क्या सच में तुमने
अनंत संभावनाओं का आकाश
अब तक नहीं देखा
जहां जगमगाते हैं तारे
सजते हैं सपने
हमारी आंखों के सामने
नाचने लगती है
भींगी हुई लड़की
अगली सुबह
तुम भी कहोगे
कभी साकार नहीं होते
अनंत संभावनाओं के आकाश में
जन्मे सपने
टूटते हैं तारे
दूर और दूर
होने लगते हैं सपने।
मुझे लगता है
तुमने पालवाली नाव भी
अब तक नहीं देखी
वह लहरों पर डोलती
कुछ-कुछ तैरती
हवा की मर्जी से
किस्मत के भरोसे
यहां से वहां तक उसे
ले जाती है पाल
खेत की मेड़ पर
बैठा किसान
नहीं देखता हथेली की लकीरें
वह देखता है मिट्टी और आकाश
परखता है मौसम का मिजाज
और निकालता है
धरती की कोख से खोदकर
बच्चों का आहार।
किनारे बैठ कर
अच्छा लगता है
नदी के उस पार देखना
जहां से दिखता है
कल्पनाओं का संसार
संभावनाओं का आकाश
मदहोश कर देती है
फसलों की महक
अच्छा लगता है
विचारों से खेलना
सपनों की ही फसल काटता है
किनारे बैठा आदमी
उसके हिस्से होता है
सपने सिर्फ सपने
जिसने लगा दी छलांग
वह पा जाता है
अनंत संभावनाओं का आकाश।
2 – चीखों में तब्दील होता शहर
खतरनाक होता है
चीखों में तब्दील होता शहर
आंसुओं में भींगी गलियां
अपनी ही परछाइयों का
मुंह फेरना
खतरनाक होता है मित्र
अपनी ही पंक्ति से उठकर
किसी का चला जाना
क्यों बंद है यह दरवाजा
जहां ओट से मुस्कुराती थी
खूबसूरत एक युवा औरत
क्यों थम गया है
कांच तोड़ते बच्चों का शोर
क्यों नहीं सुनाई पड़ता
वह प्रेम गीत
क्यों कांपने लगी है
उम्मीदों की डोर
क्यों डराने लगी है
किसी की दस्तक
सूनी सड़कों पर
यह अट्टहास किसका है
वह कौन है
जो गा रहा है मृत्यु गीत
मित्र उठो,
मुट्ठियों में भरकर लाएंगे धूप
ढूंढेंगे सबके हिस्से का प्रकाश
फिर से उगाएंगे गुलाब
हम बचाएंगे
बच्चों की हंसी
युवाओं के सपने
अल्हड़ युवतियों का मचलना
मां की आस
गा उठेगा सारा आकाश।