Saturday, July 27, 2024
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वन्दना यादव का स्तम्भ ‘मन के दस्तावेज़’ – जो रूह को सुकून दे।!

समय अपनी रफ्तार से बढ़ता है। सुख के दिन तेजी से बीतते और परेशानियों के दौर आ कर ठहर गए-से लगते हैं मगर सच तो  सच ही होता है। इंसानी भावनाएं जिन पलों को बाँधना चाहती हैं, वे भी रेत की मानिंद मुट्ठी से फिसल जाते हैं। फिर जिन्हें दूर करना चाहते हैं, भला वे कैसे साथ रह सकते हैं! यह तो मन का खेल है जो मस्तिष्क पर हावी हो जाता है और उन्हीं सपनों में डूबा रहता है जिनकी चाह सुकून देती है। किसी को खुशी सुकून देती है तो कोई खुदको दर्द में रख कर अजब-सा सुख हासिल करने लगता है। यह तो अपनी-अपनी तासीर है कि किसे, क्या अच्छा लगने लगे। जिसे जो अच्छा लगता है, वह उस स्थिति में और अधिक रहने की ख्वाहिश करता है।
सुकून की तलाश ने अलग-अलग मिट्टी से बने पुतलों से कुछ अजूबे तक करवा दिए। कुछ ने जंगलों की सघन गहराई में डूब कर पार पाने की कोशिश की। ऐसे अलबेलों ने जंगल में जीवन तलाशना स्वीकारा, तो किसी ने बर्फ ढ़की चोटियों पर चढते रहने की चुनौती को ही जीवन मान लिया। किसी ने ईश्वर में ध्यान लगाया तो कोई रचनात्मकता में रम गया। अब यह तो आप पर है कि आपको सुकून की तलाश किस ओर ले जाती है! भोजन पकाने में, इतिहास के साथ समय बिताने में, विचरने में, नई-नई खोज में, विहंगम निर्माण में, संगीत रचने में/संगीत सुनने में, चित्रकला में, पढ़ने में, दोस्तों के साथ शाम गुजारने में या परिवार के साथ बिताए समय में! सबको अपने मिज़ाज के मुताबिक सुकून की चाह होती है।
जिस मंज़िल पर पहुँचने की तमन्ना हो, उस तक जाने वाला रास्ता भी उतना ही खूबसूरत हो, तो कहने ही क्या। यदि यह सही है तो शुरू कीजिए अपने हिस्से के सुकून की तलाश। यह आपकी रूह का सुकून है तो इस तक पहुँचने का जिम्मा भी आपका है। सारे जतन, सारी दौड़भाग उन पलों के लिए जो नितांत आपके होंगे, सुखदायी होंगे। जिनमें सुकून होगा। जो आपके लिए सुख महसूसने का, सुकून पाने का कारण बनेंगे। तो आइये पहला कदम उठाते हैं सुकून पाने की तलाश में।
वन्दना यादव
वन्दना यादव
चर्चित लेखिका. संपर्क - [email protected]
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9 टिप्पणी

  1. सुकून जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है। यह जीवन में तब आता है जब हम समाज के गरीब, मजदूर, बेसहारा लोगों की मदद करते हैं।
    किसी की सहायता करने से ही हमारे अंतस को सुकून मिलता है यह रूहानी प्रक्रिया है जो सतत चलती रहती हैं ।

    बाइबल में कहा गया है”मानवता मानव हृदय में खिलने वाला सुंदरतम पुष्प है”

    • सुकून सतत प्रक्रिया है जो हर छोटे-बड़े व्यवहार से पैदा होता है।
      धन्यवाद डॉ अकरम।

  2. यह बात तो सच है कि सुकून पाने के कई रास्ते होते हैं। सुकून और तलाश के बीच का सफर ही जिंदगी है। और इस लेख में बड़े शानदार तरीके से सुकून के तलाशने के सफर को उद्धृत किया है।

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