होम कविता शोभना श्याम के दोहे कविता शोभना श्याम के दोहे द्वारा शोभना श्याम - February 27, 2022 181 2 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet न धन के अम्बार हैं नहीं गुणों की खान| पास बाँटने क लिए छोटी सी मुस्कान || साँस साँस लिखती रही, पाती जिसके नाम| वो बैरी ना पढ़ सका, बीती उमर तमाम|| टूटा दिल ये सोचता, कैसा था मधुमास| मधु सारा तो पी गया, छोड़ गया इक प्यास|| भूखी हैं तन्हाईयाँ, बैठी घुटने टेक| यादों की कुछ रोटियां, शाम रही है सेंक|| छोड़ दे अरी छोड़ दे, कितनी की फरियाद| छोड़े ना परछाई सी, जिद्दी तेरी याद || शाख शाख पर गिद्ध हैं, नहीं सुरक्षित छाँव| बिटिया रख सम्भाल कर, घर से बाहर पाँव|| स्वेटर हैं बाजार में, पहले से तैयार| गृहिणी अब बुनती नहीं, रिश्तों का संसार|| बेटी घर की शान है, बेटी घर की आन| घर अगर एक देह है, बेटी इसकी जान|| मंदिर अब जाते नहीं, मोबाईल टू मीट| सुबह देव प्रेषित हुए, रात्रि हुए डिलीट|| रात बेचारी उंघती, हुई नींद से पस्त| व्हाट्सप्प के फेर में, सभी फोन में व्यस्त|| बुढ़ापा ज्यों गिलास के, तले दूध का झाग| सड़क सड़क कर अंत तक, पीने का बैराग|| संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं डॉली की दो कविताएँ जितेन्द्र कुमार की व्यंग्य कविता – क्योंकि मैं वरिष्ठ हूँ शैली की कलम से : सावन में शिव से प्रार्थना – जयतु, जयतु महादेव 2 टिप्पणी बहुत सुंदर दोहे जवाब दें धन्यवाद शकुन्तला जी जवाब दें Leave a Reply Cancel reply This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.
बहुत सुंदर दोहे
धन्यवाद शकुन्तला जी