Saturday, July 27, 2024
होमकविताशोभना श्याम के दोहे

शोभना श्याम के दोहे

न धन के अम्बार हैं नहीं गुणों की खान|
पास बाँटने क लिए छोटी सी मुस्कान ||
साँस साँस लिखती रही, पाती जिसके नाम|
वो बैरी ना पढ़ सका, बीती उमर तमाम||
टूटा दिल ये सोचता, कैसा था मधुमास|
मधु सारा तो पी गया, छोड़ गया इक प्यास||
भूखी हैं तन्हाईयाँ, बैठी घुटने टेक|
यादों की कुछ रोटियां, शाम रही है सेंक||
छोड़ दे अरी छोड़ दे, कितनी की फरियाद|
छोड़े ना परछाई सी, जिद्दी तेरी याद ||
शाख शाख पर गिद्ध हैं, नहीं सुरक्षित छाँव|
बिटिया रख सम्भाल कर, घर से बाहर पाँव||
स्वेटर हैं बाजार में,   पहले से तैयार|
गृहिणी अब बुनती नहीं, रिश्तों का संसार||
बेटी घर की शान है, बेटी घर की आन|
घर अगर एक देह है, बेटी इसकी जान||
मंदिर अब जाते नहीं, मोबाईल टू मीट|                                                  सुबह देव प्रेषित हुए, रात्रि हुए डिलीट||
रात बेचारी उंघती, हुई नींद से पस्त|
व्हाट्सप्प के फेर में, सभी फोन में व्यस्त||
बुढ़ापा ज्यों गिलास के, तले दूध का झाग|
सड़क सड़क कर अंत तक, पीने का बैराग||
RELATED ARTICLES

2 टिप्पणी

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Most Popular

Latest