प्रियंका गान्धी, अखिलेश यादव, दिग्विजय सिंह और अनेकानेक राजनीतिज्ञ विकास के पकड़े जाने से पहले योगी सरकार पर आरोप लगा रहे थे कि विकास को भागने का मौक़ा दे दिया है ताकि वह सब के राज़फ़ाश ना कर सके। यहाँ तक कहा गया कि यदि विकास दुबे का नाम इस्लामिक होता तो उसका एन्काउंटर कब का हो गया होता। मगर अब वही नेता आरोप लगा रहे हैं कि विकास दुबे का एन्काउंटर इसलिये किया गया क्योंकि यदि वह जीवित रहता तो बहुत लोगों के राज़ खोल देता।
आख़िर विकास दुबे प्रकरण का पटाक्षेप हो गया। यू.पी. की स्पेशल टास्क फ़ोर्स के अनुसार जब उसे उज्जैन से उत्तर प्रदेश ले जाया जा रहा था, पुलिस की गाड़ी उलट गयी। विकास ने एक पुलिसकर्मी की पिस्तौल छीन कर भागना चाहा। मगर पुलिस ने उसका एन्काउंटर कर दिया और चार गोलियां उसके सीने में उतार दीं।
एक ना समझ आने वाली बात यह भी है कि जो व्यक्ति गिरफ़्तार होने से पहले सरे बाज़ार शोर मचाता हुआ अपना नाम बता रहा है कि वह कानपुर का विकास दुबे हैं, वह भला भागने या फ़रार होने का प्रयास क्यों करेगा।
विकास दुबे की मौत ने उत्तर प्रदेश पुलिस और राजनीतिज्ञों पर बहुत से सवालिया निशान खड़े कर दिये हैं। विकास दुबे के बहुत से पुलिस अधिकारियों एवं लगभग हर राजनीतिक दल के साथ रिश्ते थे। समाजवादी पार्टी, बहुजन समाजवादी पार्टी, भाजपा और काँग्रेस सभी के राजनीतिज्ञों के विकास दुबे के साथ रिश्ते थे। यहां तक कि विकास दुबे की पत्नी तो समाजवादी पार्टी की आजीवन सदस्य भी है।
विकास दुबे द्वारा 8 पुलिस कर्मियों की हत्या के बाद हर पुलिस वाला और राजनीतिज्ञ उसके साथ अपने रिश्तों से पल्ला झाड़ रहा है।
प्रियंका गान्धी, अखिलेश यादव, दिग्विजय सिंह और अनेकानेक राजनीतिज्ञ विकास के पकड़े जाने से पहले योगी सरकार पर आरोप लगा रहे थे कि विकास को भागने का मौक़ा दे दिया है ताकि वह सब के राज़फ़ाश ना कर सके। यहाँ तक कहा गया कि यदि विकास दुबे का नाम इस्लामिक होता तो उसका एन्काउंटर कब का हो गया होता। मगर अब वही नेता आरोप लगा रहे हैं कि विकास दुबे का एन्काउंटर इसलिये किया गया क्योंकि यदि वह जीवित रहता तो बहुत लोगों के राज़ खोल देता।
विकास दुबे के अंतिम संस्कार में केवल नज़दीकी रिश्तेदारों को ही आने की अनुमति दी गयी थी। वहां उसकी पत्नी ऋचा मीडियाकर्मियों के सवाल सुन कर भड़क गयी। मीडिया ने अपनी आदत के अनुसार उसके मुंह के सामने माइक लगाते हुए पूछ लिया, “क्या आप मानती हैं कि आपके पति के साथ जो हुआ वो ठीक हुआ?” उसने लगभग चिल्लाते हुए कहा, “हाँ हाँ उसके साथ सही हुआ। यहाँ से चले जाओ!”
विकास दुबे के पिता ने अपने पुत्र के अंतिम संस्कार में जाने से इन्कार कर दिया। उनका कहना था, “हमें किसी ने बताया कि हमारा बेटा मारा गया है हमने कहा ठीक किया गया।मैं उसके अंतिम संस्कार पर क्यों जाऊं। हमारा कहा वो मानता तो आज इस दशा को क्यों प्राप्त होता। उसने हमारी कभी मदद नहीं की”
हाल ही में देखने में आया कि हैदराबाद में बलात्कार के आरोपियों को पुलिस ने बिना किसी अदालती सुनवाई के गोली से उड़ा दिया तो वहां की जनता ने पुलिस को फूलों के हार पहनाए और यही कुछ इस मामले में भी हुआ। विकास दुबे के गाँव वालों ने भी पुलिस को मिठाई खिलाई, उनकी आरती उतारी और फूलमालाएं पहनाईं।
वहीं प्रियंका गान्धी ने भाजपा की योगी सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है,“बीजेपी की सरकार ने उत्तर प्रदेश को ‘अपराध प्रदेश‘ में बदल दिया है। विकास दुबे जैसे अपराधी सत्ता में बैठे लोगों की देखरेख में आगे बढ़ रहे हैं और उन्हें बचाया भी जा रहा है। कांग्रेस पूरे कानपुर कांड की जांच सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज से कराने की मांग करती है।”
वहीं एक व्हट्सएप मैसेज भी वायरल हो रहा है जिसमें कुछ सवाल उठाए जा रहे हैं, “तरीक़ा तो बालि, भीष्म, द्रोण, जयद्रथ, कर्ण और दुर्योधन को मारने का भी ग़लत था। परंतु भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण के जीवनवृत्त का अध्ययन करने के पश्चात् हमें यह सीख मिलती है कि धर्म को क्षति पहुंचाने वाले दुष्टों के वध के लिए यदि धर्म-रक्षक को लीक से हटकर छल भी करना पड़े तो भी ये नीति के विरुद्ध नहीं है।
विकास दुबे का एन्काउंटर अभी बहुत से सवालों का पिटारा खोलेगा। बहुत से राजनेताओं और पुलिस अधिकारियों के चेहरे से नक़ाब उठेगी। विकास के बहुत से सहयोगी अभी ज़िन्दा हैं, जिन्हें गिरफ़्तार करके बहुत से जवाब निकलवाए जा सकते हैं।
समाचार चादर की तरह होते हैं
आते हैं
अपने से पहली चादर को ढांप जाते हैं
शुशांत सिंह की आत्महत्या
विकास दुबे का आत्मसमर्पण
एक एनकाउंटर
जैक चार्लटन का निधन
कैलाश बुधवार का देहावसान
फिर भारी भरकम एक चादर
अमिताभ बच्चन का कोरोना पॉजिटिव
ईश्वर करे वो ठीक होकर अपने घर पहुंचें
और एक स्वर्णिम चादर स्वरुप जगमगाये
इस निराश पल में
एक जलसा मनाएं
-निखिल कौशिक
संपादकीय विकासात्मक , हो गई । और विकास गतिशील ।
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अपने से पहली चादर को ढांप जाते हैं
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फिर भारी भरकम एक चादर
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-निखिल कौशिक
विरोधी पार्टियों को न ऐसे चैन है न वैसे।
विकास केस की परतें खुलने दीजिए।