तमन्ना तो मुझे भी थी ऊँची उड़ानों की ता-उम्र बस हौसला जुटाता रहा समंदर के रेत से टीला बनाने की जब ठानी ता-उम्र बस घरौंदे बनाता रहा, मिटाता रहा
रंगरेज बन, इन्द्रधनुष से चला रंगने सब को ता-उम्र बस रंगों को हिलाता रहा, मिलाता रहा तमन्ना तो मुझे भी थी ऊँची उड़ानों की ता-उम्र बस हौसला जुटाता रहा
चला चराग़ से लाने नए सहर को ता-उम्र बस शम्मे जलाता रहा, बुझाता रहा तमन्ना तो मुझे भी थी ऊँची उड़ानों की ता-उम्र बस हौसला जुटाता रहा
ख़्वाहिशें कई थी जो मयस्सर ना हो सकीं ता-उम्र बस उन्हें जगाता रहा, सुलाता रहा तमन्ना तो मुझे भी थी ऊँची उड़ानों की ता-उम्र बस हौसला जुटाता रहा
दिखने लगी चेहरे पे उम्र की परेशानियाँ भी बाक़ी उम्र उन सिलवटों को दिखाता रहा, छुपाता रहा तमन्ना तो मुझे भी थी ऊँची उड़ानों की ता-उम्र बस हौसला जुटाता रहा
देश के वीर सपूतों के लिए
एक नए महाभारत का फिर गूँज रहा सिंघनाद है, भारत के कण-कण में, तड़प रहा प्रह्लाद हैI
कोई कृष्ण है नहीं, पांडव अकेला है, वीर सपूतों के चारों ओर, कौरवों का मेला हैI
सीमाओं पे खाते गोली, घाटियों में पत्थर हैं, जंगलों के सीने में ये खून बहाते अक्सर हैंI
बेबस भीष्म दिख रहा समझौतों के तीर पर, व्याकुल माता रो रही हैं, हर दिन खोते वीर परI
हैं सर्वश्रेष्ठ अर्जुन ये, पर बन गए अभीमन्यु हैं, कहीं राजनैतिक तो कहीं कूटनैतिक चक्रव्यू हैंI
मुझको सिर्फ़ अपराध दिखा
सबने दिखाए कई रंग मुझे, मुझको सिर्फ़ अपराध दिखाI
किसी ने शायद राम सुना, किसी ने शायद अल्लाह सुना, उस बेबस आवाज़ में मैंने सिर्फ़ ‘आह!’ सुनाI
सबने दिखाए कई रंग मुझे, मुझको सिर्फ़ अपराध दिखाI
किसी ने देखा केसरिया दुपट्टा, किसी ने देखा पल्लू हरा, लाल लहू में लथपथ ज़मीं पर मैंने देखा एक इंसान मराI
सबने दिखाए कई रंग मुझे, मुझको सिर्फ़ अपराध दिखाI
किसी ने अनसुनी कहानी सुनाई, किसी ने दिखाया काला इतिहास, रोज़ बिखरते इंसानियत से मैंने छोड़ी अच्छे कल की आसI
सबने दिखाए कई रंग मुझे, मुझको सिर्फ़ अपराध दिखाI
किसी ने बिछाई कमल शवों पर, हाथ ने सैकड़ों मोमबत्तियाँ जलाई, मैंने देखा एक मासूम कली जो वक़्त से पहले ही मुरझाई