1
हम कविताएँ नहीं पढ़ते
बल्कि एक ऐसे आदमी को पढ़ते हैं
जो व्यथित होकर
सुख से जीता है..!
हम उन व्यथाओं को पढ़ते हैं
जो कविताएँ बन जाती है।
दुःख को काम्य बनाने का एक उपक्रम है
कविता
कवि आँखों में अंधेरा भर कर भी
चन्द्रमा की रौशनी पर प्यार लुटाता है।
मैं ऐसे एक आदमी को जानता हूँ
जो मेरे मन में रहता है..!.
2
इस तरह वो मुझसे रुठ गया
जैसे बरसात रूठती है किसान से..!
मैं उसको मनाने के खातिर सूरज से अड़ता हूँ
कभी हवाओं से भीड़ जाता हूँ
उसे यकीन दिलाता हूँ
खेत में बोये गए अनाज के दाने सबसे मीठे दाने हैं
बस,एक बार तू बरस जा…अपने सारे पानी के साथ..!
देख लेना,आने वाली फसल
हमारे प्रेम और मित्रता की गवाह होगी
जिसे कोई बंजरपन झुठला नहीँ सकेगा!
सम्पादक जी का बहुत आभार मेरी कविताओं को स्थान देने के लिए।
5 वीं कविता में कही बात मन को छू गई