होम कविता मीनू खरे के कुछ हाइकु कविता मीनू खरे के कुछ हाइकु द्वारा मीनू खरे - August 2, 2020 318 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet (1) सावन आया ख़बर कोयल ने वायरल की। (2) मॉनसून ने ऐसा क्या कह दिया नभ रो दिया! (3) काजल नहीं पीड़ाओं की झील की परिधि है ये ! (4) हैं घिर आये श्याम सघन घन चिटका मन ! (5) हवा महकी नींबू की डाल खिले एक फूल से! (6) पत्तों ने किया मोतियों से शृंगार मेघ-मल्हार! (7) किसी सच सा एक झूठा जीवन जिया किसी ने! (8) बारिश क्या है मेघों से धरती का महरास है। (9) मेघ धरा ने प्रेम का पासवर्ड बारिश रखा। (10) अलार्म जैसी बूँदों की टिप-टिप जागी चेतना। (11) छाते से नहीं बूँदों से दोस्ती कर इस बारिश। (12) आज बरसो उमस भरा मन बीते बरसों। (13) रूठे बादल छा के भी न बरसे झूठे बादल। (14) क़ुदरत से हमारे वादे टूटे बादल रूठे. (15) नम मन की आँखों से गुज़ारिश बरसो प्लीज़! (16) बूँदों का मोल अँखियों ने बताया है अनमोल। (17) नैन व घन दोनो ही छलकते जब सावन। (18) बारिश बाद एक छत रिसा की बरसों तक। (19) यादों के पन्ने बहुत गीले हुए इस बारिश। (20) कौन सा रंग तुझे चाहिए धरा ! वो बोली हरा। संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं डॉ. हर्षा त्रिवेदी की तीन कविताएँ प्रेमा झा की कविता – माँ रश्मि विभा त्रिपाठी की कविता – सपने कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.