उत्तर प्रदेश के देवरिया जिला स्थित ग्राम सजांव में जन्मे पीयूष कुमार दुबे हिंदी के युवा लेखक एवं समीक्षक हैं। दैनिक जागरण, जनसत्ता, राष्ट्रीय सहारा, अमर उजाला, नवभारत टाइम्स, पाञ्चजन्य, योजना, नया ज्ञानोदय आदि देश के प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक व साहित्यिक विषयों पर इनके पांच सौ से अधिक आलेख और पचास से अधिक पुस्तक समीक्षाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। पुरवाई ई-पत्रिका से संपादक मंडल सदस्य के रूप में जुड़े हुए हैं।
सम्मान : हिंदी की अग्रणी वेबसाइट प्रवक्ता डॉट कॉम द्वारा 'अटल पत्रकारिता सम्मान' तथा भारतीय राष्ट्रीय साहित्य उत्थान समिति द्वारा श्रेष्ठ लेखन के लिए 'शंखनाद सम्मान' से सम्मानित।
संप्रति - शोधार्थी, दिल्ली विश्वविद्यालय।
ईमेल एवं मोबाइल -
[email protected] एवं 8750960603
Great interview…. Looking forward to more books from you Vandana Ji
Absolutely talented and down to earth at the same time.
Wishing you all the very best mam!!Kudos to you ans your work!!
all the best for second novel, Vandanaji.
Nice article keep it up
I m proud of you chhori….. Keep it up.. keep smiling, growing n glowing
साहित्य सर्जन की बेहतरीन कृति “कितने मोर्चे” उपन्यास लेखन के लिए आपको घणी घणी शुभकामनाएं आपके द्वारा दिया गया यह इंटरव्यू नवोदित साहित्यकारों के लिए प्रेरणा का काम करेगा साहित्य की विधा में जीवन को आगे बढ़ाने के लिए स्थिरता के साथ सर्जन की आत्मा को समझते हुए विषय की गहराई के साथ अपनी बात रखने की प्रक्रिया में एक नई सोच के साथ संवाद का एक बेहतरीन प्लेटफार्म आपने उपलब्ध करवाया है आपके आगामी उपन्यास की अग्रिम शुभकामनाओं के साथ।
जगदीश अहीर 9414540015
बहुत सार्थक साक्षात्कार वंदना जी। आपको बधाई। पुरवाई को शुभकामनाएं
Nice article Mrs. Yadav. Wishing you best of luck!!
Great interview. Wish that you continue to embrace your creativity and utilize it in your work for as long as possible
आपके विषय में अनेक जानकारियां प्राप्त हुईं । एक अच्छे साक्षात्कार के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
साक्षात्कार के लिए पीयूष जी का धन्यवाद ,यह भी रचना कर्म
का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है ।