एक मोड़ ऐसा जीवन में
आया लेकर अवसर
बना प्रवासी एक देश में,
सपने अंदर भरकर।।
इस कविता में सच मानो,
मैं मन की कहता हूँ
कौन प्रवासी होता है,
कुछ पंक्ति में रखता हूँ।।
जो लेकर आता है माटी
अपने मन के कोने में
जो जागा रखता है भारत
जागे में या सोने में
जो लाता है गंगा जल की
शीशी अपने झोले में
जो लाता है गर्व हिंद का
भारतवासी होने में
लाता है वह संस्कार
अपने सीने में कसकर।
बना प्रवासी एक देश में,
सपने अंदर भरकर।।
जो आया है दूर धरा पर,
लेकर अपनी आशा
शायद लिखने को आया है
मेहनत की परिभाषा
परिभाषा एक नयी क्षुधा में,
नयी सुधा पीने को
परिवर्तन करने को आया,
नव जीवन जीने को
सहता सारे दुःख जीवन के
देखो केवल हँसकर।
बना प्रवासी एक देश में,
सपने अंदर भरकर।।
अंतर कुछ भी हुआ नहीं
चाहे चंदा से दूर हुए
कुछ ऐसे भी हुए प्रवासी,
नये देश में नूर हुए
कुछ ने अपनी मातृभाष में
भाव ह्रदय संजोया भी
कुछ ने कथा कहानी लिखकर
सुंदर इसको बोया भी
सुंदर इसको और बनाया,
कुछ ने कविता लिखकर।
एक मोड़ ऐसा जीवन में
आया लेकर अवसर
बना प्रवासी एक देश में,
सपने अंदर भरकर।।

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