मैं नारी हूं
अभी नहीं हारी हूं।
सहनशील, चुप्पी तोड़कर,
हर क्षेत्र में आगे जाऊंगी
साहस और शक्ति से,
पुरुषों से आगे बढ़ जाऊंगी।
घर में कैद नहीं,
सारी बेड़ियां तोड़ जाऊंगी
आग में तप कर
कुंदन बन दिख लाऊंगी।
मैं नारी हूं
अभी नहीं हारी हूं।
अत्याचारों के खिलाफ
मैं आवाज उठाऊंगी।
काली, दुर्गा का रूप लेकर
पापियों को सबक सिखाऊंगी।
नारी किसी से
ना हारी है।
इस बात को मैं बतलाऊंगी।
मैं नारी हूं
अभी नहीं हारी हूं।