होम कविता हेमन्त कुमार शर्मा की कविता – मैं बोलता तेरी तर्जुमानी कविता हेमन्त कुमार शर्मा की कविता – मैं बोलता तेरी तर्जुमानी द्वारा Editor - September 3, 2023 90 1 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet मैं बोलता तेरी तर्जुमानी है, मेरे शब्द उस अधीरे की कहानी हैं। जो मजदूर बिखरा दिन भर, अन्न पाया बस मुट्ठी भर। मेरे शब्द उसकी मौन बानीं है। राह के दरख़्त सब काट दिये, समतल मग सब पाट दिये। उनकी असमय मौत मेरी जुबानी है। शिक्षा कुछ काम ना आई, सब डूब गई जो की थी पढ़ाई। उस साक्षर की कथा बनानी है। सुंदर पर भीतर से जो काले हैं, गिनती में नहीं और मुॅंह पे तालें है। इन अच्छे बुरों की बात सबको बतानी है। हेमन्त कुमार शर्मा ग्राम – कोना पोस्ट – नानकपुर हरियाणा। संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं हिंदी भाषा पर मधु शृंगी की कविता प्रीति रतूड़ी की कविताएँ सरिता मलिक की कविताएँ 1 टिप्पणी सुंदर पर भीतर से जो काले हैं, गिनती में नहीं और मुॅंह पे तालें है। इन अच्छे बुरों की बात सबको बतानी है। बहुत अच्छी रचना! जवाब दें कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.
सुंदर पर भीतर से जो काले हैं, गिनती में नहीं और मुॅंह पे तालें है। इन अच्छे बुरों की बात सबको बतानी है। बहुत अच्छी रचना! जवाब दें
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इन अच्छे बुरों की बात सबको बतानी है।
बहुत अच्छी रचना!