होमकविताहेमन्त कुमार शर्मा की कविता - मैं बोलता तेरी तर्जुमानी कविता हेमन्त कुमार शर्मा की कविता – मैं बोलता तेरी तर्जुमानी By Editor September 3, 2023 2 188 Share FacebookTwitterPinterestWhatsApp मैं बोलता तेरी तर्जुमानी है, मेरे शब्द उस अधीरे की कहानी हैं। जो मजदूर बिखरा दिन भर, अन्न पाया बस मुट्ठी भर। मेरे शब्द उसकी मौन बानीं है। राह के दरख़्त सब काट दिये, समतल मग सब पाट दिये। उनकी असमय मौत मेरी जुबानी है। शिक्षा कुछ काम ना आई, सब डूब गई जो की थी पढ़ाई। उस साक्षर की कथा बनानी है। सुंदर पर भीतर से जो काले हैं, गिनती में नहीं और मुॅंह पे तालें है। इन अच्छे बुरों की बात सबको बतानी है। हेमन्त कुमार शर्मा ग्राम – कोना पोस्ट – नानकपुर हरियाणा। Share FacebookTwitterPinterestWhatsApp पिछला लेखडॉ. ममता पंत की कविताएँअगला लेखडॉ ममता मेहता का व्यंग्य – मेरे अपने Editor RELATED ARTICLES कविता अजय कुमार मोंगा की कविता – कितना सरल प्रश्न है! July 27, 2024 कविता संजय अनंत की तीन कविताएँ July 20, 2024 कविता दामिनी यादव की दो कविताएँ July 20, 2024 2 टिप्पणी सुंदर पर भीतर से जो काले हैं, गिनती में नहीं और मुॅंह पे तालें है। इन अच्छे बुरों की बात सबको बतानी है। बहुत अच्छी रचना! जवाब दें धन्यवाद आपका।—–हेमन्त जवाब दें कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें टिप्पणी: कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! नाम:* कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें ईमेल:* आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें वेबसाइट: Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed. Most Popular कविताएँ बोधमिता की November 26, 2018 कहानीः ‘तीर-ए-नीमकश’ – (प्रितपाल कौर) August 5, 2018 ‘हयवदन’ : अस्मिता की खोज May 2, 2021 विनीता परमार की कहानी – घोषा April 12, 2020 और अधिक लोड करें Latest सूर्य कांत शर्मा की कलम से ‘पांडे जी की दिलकश दुनिया’ की समीक्षा July 27, 2024 डॉ आरती कुमारी की ग़ज़लें July 27, 2024 श्रीकांत सक्सेना का लेख – जानिये अपनी दिल्ली को…! July 27, 2024 अजय कुमार मोंगा की कविता – कितना सरल प्रश्न है! July 27, 2024 और अधिक लोड करें
सुंदर पर भीतर से जो काले हैं, गिनती में नहीं और मुॅंह पे तालें है। इन अच्छे बुरों की बात सबको बतानी है। बहुत अच्छी रचना! जवाब दें
सुंदर पर भीतर से जो काले हैं,
गिनती में नहीं और मुॅंह पे तालें है।
इन अच्छे बुरों की बात सबको बतानी है।
बहुत अच्छी रचना!
धन्यवाद आपका।—–हेमन्त