Saturday, July 27, 2024
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मनवीन कौर की कविता – अंत क्या है ?

वीभत्स, वितृष्णा
उत्पन्न करता दृश्य
क्यों मौन रहीं
चारों दिशाएँ
क्यों ना फट् गया
ज्वालामुखी
आया ना अंधड़
ना ही नदी उफनी
देखते रहे
मूक दर्शक बन
निसहाय, निर्जीव लाश को
ताकते रहे
प्रफुल्लित राक्षस
मनाते रहे जश्न
हैवानियत का
नहीं प्रकट हुए कृष्ण
ना वध हुआ दुशासन का
ना घुड़के बादल
ना तांडव नृत्य
नहीं भस्म हुए
नृशंस हत्यारे
घिनौनी राजनीति
धर्म ,नैतिकता , नियम
बस झुलसते रहे
सरे आम ।
मणिकी धरती पर ।
मनवीन कौर
संभाजी नगर ( महाराष्ट्र )
8600017018
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1 टिप्पणी

  1. मणिपुर के प्रसंग पर आदरणीय मनवीन कौर जी की कविता ने प्रभावित किया।

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