होम कविता संगीता राजपूत श्यामा की कविता – सजल कविता संगीता राजपूत श्यामा की कविता – सजल द्वारा संगीता राजपूत श्यामा - November 6, 2022 77 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet एक दूसरे से जलता है क्यो, कोने में मन के दीप जला ले । भीड़ लोभ की खड़ी मुँह पसारे, खोने से पहले दीप जला ले । लक्ष्य भेदने तू चलेगा नया, झाड़ कांटो के डग में मिलेगे । आखों से आलस हटा कर बढ़ो, सोने से पहले दीप जला ले । स्वयं से मिलो अकेले में कभी, भ्रम द्वेष के टूट ही जाऐगे । सींच रे मन बीज तत्व ज्ञान का, बोने से पहले दीप जला ले । बाँट दे अंजुलि दान अनाज का, आया याचक देखता द्वार पर । भूख से आहत न रोये कोई, रोने से पहले दीप जला ले । कौंधती आंख क्रोध से जल रही, डरे देख ये अपने ही तुझ से । दृष्टि शीत सी उठा कर देखना, खोने से पहले दीप जला ले । संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं हरदीप सबरवाल की कविताएँ अरविन्द यादव की दो कविताएँ रश्मि विभा त्रिपाठी की कविता – फुदकती चिड़िया कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.