वे मेरी किताबें, वे प्यारी किताबें
वे कपड़े के बस्ते में रखीं किताबें,
मेरी स्लेट से बात करतीं किताबें
मेरे हाथ आने को व्याकुल किताबें,
अक्षर से परिचय उन्होंने कराया,
मुझे जोड़ और भाग करना सिखाया
पहाड़े सिखा करके पंडित बनाया
ये मेरी किताबें, ये प्यारी किताबें
मेरी मेज पर जो हैं रखी किताबें,
है इतिहास कैसा ?ये भूगोल क्या है ?
गणित से है परिचय ?यह विज्ञान क्या है?
यह बीड़ा किताबों ने हंसकर उठाया
बहुत सारे विषयों से परिचित कराया !
ये मेरी किताबें ,ये प्यारी किताबें
हैं अलमारियों में भरी वे किताबें
कहाँ की थी लैला,औ मजनूँ कहां का?
प्रथम प्रेम का किस्सा किससे सुना था?
किताबों ने ही.मुझको यह सब सिखाया,
समर्पण का मतलब भी मुझको बताया,
ये मेरी किताबें ये प्यारी किताबें
हैं जीवन की साथी ये सच्ची किताबें ।
ये दुनिया है कितनी बड़ी ?और क्या है?
यहां पर मनुज का भला मोल क्या है?
हुए कितने मानव परम लोक सेवक,?
यह सब कुछ बताती हैं प्यारी किताबें
जगत भर में फैली यह ज्ञानी किताबें
ये मेरी किताबें ,ये प्यारी किताबें।
समय होगा पूरा नयन मूंद लेंगे,
अचीन्ही-अगम राह पर जब चलेंगे
न छोड़ेंगी ये साथ अन्तिम समय तक,
ये गीता ,ओ, बाइबिल दिखा देगी राहें,
ये मेरी किताबें ये प्यारी किताबें
हैं जीवन का पाथेय केवल किताबें।
जगत भर में फैली ये ज्ञानी किताबें।।
ये मेरी किताबें, ये प्यारी किताब ।
बहुत खूब, वाह
Very sensitive and nostalgic description.
Still miss the unique aroma of the pages.