होम कविता सुनीता खोखा की कविता – थोड़ा प्यार लिखूँ कविता सुनीता खोखा की कविता – थोड़ा प्यार लिखूँ द्वारा सुनीता खोखा - June 18, 2023 115 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet जी करता है मैं थोड़ा प्यार लिखूँ….. हरे भरे मेरे खेत लिखूँ ट्यूबल वाली धार लिखूँ दहलीज पर खड़े कुछ जिक्र लिखूँ हँसते-गाते नर-नार लिखूँ टाहली नीचे बैठे हाली की बात लिखूँ पीपल के पत्तों का चश्मा, कीकर के फूलों का हार लिखूँ। बाकली, खील -पताशे, आम की बन्दनवार लिखूँ कडोनी में कड़ता दूध लिखूँ रई से लिपटा नूनी घी , मैं भैंसों की धार लिखूँ माटी में लेटा बचपन, पाणी के नलके पर होती लुगाइयों की तकरार लिखूँ खाट पे लटकी सेवियां, आँगन में सुखे अचारों की महकार लिखूँ बालो में तेल लगाती माँ लिखूँ रिश्तों के मान-मनुहार लिखूँ आली सुक्की धेपड़ी, चान्द-चढ़े बिटौड़े लिखूँ गोसे की वा लार लिखूँ गोबर से लीपी भीतों पर ‘भतेरी ‘ के हाथों से बने चित्रों में बसा संसार लिखूँ पत्थरों से पत्थराते हुए इस शहर के क्या मैं कारोबार लिखूँ…! पेट की खातिर माणस हुआ बेवतन क्यों मैं उसकी हार लिखूँ…? जी करता है थोड़ा प्यार लिखूँ ….. जो टूटे न कभी ऐसे कुछ ऐतबार लिखूँ संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं मनवीन कौर पाहवा की कविताएँ शोभा प्रसाद की तीन कविताएँ सावित्री शर्मा ‘सवि’ की कविता – चुनावी रंग कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.