होम ग़ज़ल एवं गीत नीलम वर्मा की ग़ज़ल ग़ज़ल एवं गीत नीलम वर्मा की ग़ज़ल द्वारा Editor - June 18, 2023 47 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet अब हवा आशिक़ी की ये चलने लगी तो शम्म-ए-मोहब्बत मचलने लगी चाँदनी की कसक जाने शबनम फ़क़त क़तरा क़तरा जो अश्कों में ढलने लगी रौशनी के परिंदे उतर आए हैं हर कली पैरहन अब बदलने लगी है तपिश उसकी आहों में बाकी अभी बर्फ सी मेरी हसरत पिघलने लगी एक रंगीं फ़साना हिना लिख गई शाम भी हाथ अपने मसलने लगी वस्ल की रात में ये दिया न बुझे खुद मेरी आरजू इसमें जलने लगी वक्त-ए-रुखसत वो ‘नीलम’ हटा ही नहीं फिर घड़ी इक क़यामत की टलने लगी नीलम वर्मा संपर्क – 9811140216 संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं डॉ पुष्पलता की ग़ज़ल – प्यास बैठी है पास पानी के गज़ाला तबस्सुम की ग़ज़ल – बच्चों पे कुछ तो रहम किया कर ऐ मुफ़लिसी डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र का गीत – कभी सोचा नहीं था कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.