होम कविता त्रिवेंद्र कुमार पाठक की कविता – क्या बताएं कि क्या हालत है कविता त्रिवेंद्र कुमार पाठक की कविता – क्या बताएं कि क्या हालत है द्वारा Editor - April 25, 2019 303 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet त्रिवेंद्र कुमार पाठक क्या बताएं किसी को कि क्या हालत है? या कहें कि नादाँ दिल की शरारत है, गुमसुम है दिल, अरमान है बहके बहके से, और “पाठक” है खामोश, ये भी तो शराफत है… समंदर में आये तूफान तो लोग कहते है आफत है और दरिया मचल भी जाए तो भी नजाकत है उसने हमें याद भी न किया और हम जिन्दा है क्या बताएं किसी को कि क्या हालत है? “पाठक” तो तन्हाई में भी बहुत माकूल रहते हैं फिर किसी के साथ की क्या जरुरत है पर इस नादाँ दिल को कौन समझाए शरारतें ही तो इस दिल की बुरी आदत हैं… संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं चंद्र मोहन की तीन कविताएँ सूर्यकांत शर्मा की कविता – कोई समझा नहीं कुसुम पालीवाल की कविता – आओ ! सूरज से आँख मिलाएँ कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.