सीढ़ी
वे सिर्फ ऊपर चढ़ने के लिए बनाई जाती हैं
कम ही लोग होंगे जिनने
उतरने के लिए बनाई हो सीढ़ियाँ
जो चढ़ते रहे सीढ़ियाँ पहुँचते रहे शिखरों पर
वे ही एक दिन उतरे भी
अंततः कोई भी सीढ़ी जमीन पर ही आ लगती है
मैं बचपन से लगा हूँ एक सीढ़ी बनाने में
जो ऊपर की ओर नहीं
बल्कि नीचे की ओर जाती है
मैं उतरना चाहता हूँ किसी खोह
पाताल बीच एक जगह
जहाँ समय का अंधेरा जम कर बैठा है
मैं उस जगह जाकर रोशनी के एक विष्फोट में
बदल जाना चाहता हूँ
फिर उस सीढ़ी से मैं कभी ऊपर नहीं आना चाहता।
चप्पलें
1.
सड़क पर छूट गये वे पुराने चप्पल
एक साबुत आदमी की ठहर गई यात्राएँ हैं
कुछ पैर हैं
छूट गये अकेले
दूसरे पैर को शिद्दत से तलाशते
याद करते
वे ईश्वर हैं
उजड़ गए गाँव में अकेले छूट गये
जीवन हैं
ठीक मृत्यु के समीप से गुजर गये ।
2.
वे रखते हैं कंकड़ पत्थर और पानी से
सुरक्षित तुम्हें
और एक दिन छोड़ दिए जाते हैं
किसी चौराहे पर
फेंक दिए जाते हैं किसी परनाले में
कचरे की ढेर बीच
हे दुनिया के तमाम अच्छे पैरों
एक दिन तुम
उन्हें पहनना बेझिझक
करना दुर्गम यात्राएँ
जमीन से अंतरिक्ष की ओर ।
3.
दुनिया के तमाम उपेक्षित और पुराने चप्पलों को
चलने वाले साबुत पैर मिलें
वे पैर नहीं जो सत्ता की गलियारों में टहलते हैं
संसद की सीढ़ियों पर चढ़ते-उतरते हैं
वे तो कदापि नहीं
चढ़ जाते हैं जो मजदूरों के गले पर
भले और निर्दोष मानुषों की नंगी पीठों पर पड़ते
हे दुनिया के तमाम पुराने और परित्यक्त चप्पलों
चले आओ सड़कों गलियों,
नालों मैदानों और भगाड़ों से चलकर
अच्छे और साबुत पैरों की तलाश में
सदियों से नंगे पैरों को आज भी
तुम्हारा ही इंतजार है।
चप्पल जैसी चीज़ भी आपके भावों को छू कर महान हो गई। बहुत गहरी दृष्टि है, वाह