1.
आख़िर क्यों दर्द इतना होता है जिंदगी में
ग़म की तो बात छोड़ो आंसू हैं हर खुशी में।
वो छोटी छोटी खुशियां कोई कहां से लाए
अश्कों को अपने जाकर कहां कोई छिपाए
एक अजीब सा सुकून मगर मिलता है बेबसी में
आखिर क्यों दर्द इतना होता है जिंदगी में।
जी रहे हैं किसलिए हम कोई तो ये बताए
मंजिल है क्या हमारी किस राह पे हम जाएं
एक तमन्ना हर किसी की तड़पती है हर घड़ी में
आखिर क्यों दर्द इतना होता है जिंदगी में।
सब कुछ अपना खोकर थोड़ा सा हम क्यों पाएं
क्यों सपने ऐसे देखें जो मिट्टी में मिल जाएं
एक कशिश मगर ख्वाबों की ले जाती है बेखुदी में
आखिर क्यों दर्द इतना होता है जिंदगी में,
ग़म की तो बात छोड़ो आंसू हैं हर खुशी में।
2.
माना हमने लक्ष्य दूर है पथ दुर्गम है
माना हमने ज्ञान शून्य बाधा निर्मम है,
यह भी माना लक्ष्य न अपना सुंदरतम है।
जीवन के अवशेष इकठ्ठे करके,
फिर से रंग भरेंगे।
तूफानों को हंसकर अंगीकार करेंगे।
हम न रुकेंगे, हम न झुकेंगे,
जीवन से हम हार नहीं स्वीकार करेंगे।
जीवन से हम हार नहीं स्वीकार करेंगे।
3.
जिंदगी को खुल के जीना मुश्किल है क्या,
हर एक गम को हंस के पीना मुश्किल है क्या,
कभी गिरना कभी रुकना कभी टूट कर बिखर जाना,
फिर से उठना, फिर से चलना, मुश्किल है क्या।
जो खो गया वो खो गया जो मिला नहीं तो ना सही,
होना था जो वो हो गया जो भी हुआ वही सही,
यह जिंदगी की रीत है मिलकर बिछड़ना पाना खोना,
इस रीत को अपना कर जीना मुश्किल है क्या।
कल भी गुज़र रहा है पल भी गुज़र रहा है,
हर इंसान हर लम्हे में एक ख्वाब बुन रहा है,
वक्त की तो फितरत है रुकना नहीं बस चलते जाना।
आज अभी एक इस पल में जीना मुश्किल है क्या।

प्रीति रतूड़ी की कविताएँ 3

प्रीति रतूड़ी
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में जन्मी प्रीति सिंह रतूड़ी अंग्रेजी विषय स्नातकोत्तर हैं। वर्तमान में आप केंद्रीय विद्यालय क्रमांक १, हाथीबरकला,देहरादून में स्नातकोत्तर शिक्षिका के पद पर कार्यरत हैं। अंग्रेजी शिक्षिका होने के बावजूद इनकी हिंदी साहित्य में विशेष रुचि है। बचपन से ही इनको हिंदी कविताएं लिखने का शौक रहा है।
संपर्क – preetisinghraturi@gmail.com

3 टिप्पणी

  1. प्रीती रतूड़ी जी की तीनों कविताएँ बहुत अच्छी लगीं।
    पहली कविता पीड़ा की कविता है ।कहीं ना कहीं इसमें निराशा और अवसाद है। जिंदगी में कई बार ऐसे अवसर आते हैं कि हमें अप्रत्याशित रूप से दुखों से साक्षात्कार करना पड़ता है। पीड़ा न जाने कब, किस रूप में आ जाए, कोई नहीं जानता ;पर जीवन यही है। किंतु जीवन में एक मार्ग समझौता भी है। समझौते का अर्थ मात्र समर्पण ही नहीं होता ।कई बार समझौता सीख बनकर हमारा पथ प्रदर्शित भी कर देता है, इसलिए जीवन में समझौते का भी बहुत महत्व है। पीड़ा जीवन की पहली और बड़ी सच्चाई है।
    आपकी दूसरी कविता पहली कविता के बरक्स हौसले की कविता है जो जीवन में चाहे जितनी भी कठिनाई हो लेकिन हार नहीं मानना चाहिए की ताकत जगाती है।यह हमारा आत्माभिमान और आत्मविश्वास है- जो हर पल हर मुश्किलों से सामना कर आगे बढ़ाने की प्रेरणा देता है।
    तीसरी कविता घोर निराशा के क्षणों में उत्साहवर्धन व समझाइश की कविता है ।जीवन में परेशानी आती रहती हैं चाहे जैसी भी स्थिति हो लेकिन हर स्थिति का सामना करना संभव है । इंसान कभी-कभी टूट जाता है उसे स्वयं पर से भरोसा उठ जाता है। हर शख़्स के जीवन में एक समय ऐसा आता है कि जिन्दगी के दोराहे पर वह स्वयं को अकेला पाया है और उसे कोई राह नहीं सूझती। यह कविता ऐसे क्षणों में ऊर्जा देती है।
    इन बेहतरीन कविताओं के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया।
    शुक्रिया पुरवाई का भी, जिसने इतनी सुंदर कविताओं को पढ़ने का अवसर दिया।

  2. आपका धन्यवाद नीलिमा जी।आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। भविष्य में और बेहतर लिखने का प्रयास करूंगी।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.