Wednesday, October 16, 2024
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सूर्यकांत शर्मा की कविताएँ

1 – किताबें
सांसों सी सरगम सी किताबें
एहसासों से सराबोर किताबें।
इंसा की रूह को रोज़ रोज़
राज बताती किताबें।
इंसा को इंसा की कीमत
बताती किताबें,
मां सी मुकद्दस बाप सी
बेलौस किताबें।
ऑनलाइन की ख़ामोशी में
चहचहा कर अपना अस्तित्व
बताती किताबें।
मोबाइल कंप्यूटर लैपटॉप की स्क्रीन से
ध्यान खींचती ,
बंद अलमारियों के भीतर से
हौले से पुकारती किताबें।
हो सके तो पुकार लो
वही पुरानी पर नई सी
साथी किताबें।
2 – उम्र की धूप
समय के रथ पर बैठी
मासूम मस्त सलोनी
सुंदर छौनी सी
उम्र की धूप।
खेलती कूदती
उछलती दौड़ती
तितली सी उम्र की धूप।
समय के रथ पर
बैठी  उम्र की धूप,
पढ़ती बढ़ती
या यूंही बढ़ती
सपने देखती
पालती उम्र की धूप।
यौवन की कस्तूरी
मादकता से महकती
अनंग की बाहों में
झूलती झूमती
उम्र की धूप।
अनंग की जिम्मेदारी
संभालती
अपनी निशानी जीवन पर
उकेरती उम्र की प्यास।
समय के रथ पर आगे
आगे चल कर बैठती
उम्र की धूप।
पंच तत्वों से लड़ भिड़
समय के रथ का
संचालन करने को
उद्यत होती उम्र की धूप।
पंच विकारों से लैस होती
उम्र की धूप
उस की सत्ता को
चुनौती देती उम्र की धूप।
समय के रथ पर ऐंठती
बैठी उम्र की धूप।
समय के रथ पर
ज़िंदगी का सफर
पूरा करती
उम्र की धूप।
कभी भी कहीं भी
मौत के हाथों
समय के रथ से
भूखी प्यासी
उतारी जाती
उम्र की धूप।
– सूर्यकांत शर्मा –
संपर्क – [email protected]
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