एक दिन सबको यहाँ से जाना है और यही इस जीवन की रीत है मगर कुछ लोग जल्दी चले जाते हैं लगता है ईश्वर को उनसे ज़्यादा प्रीत है
जीवन की अपनी लीला है। जीवन का अपना फ़लसफ़ा है। जीवन का अपना तसव्वुफ़ है। मशहूर अभिनेता श्री सतीश कौशिक जी का अचानक यूँ अपनी देह से (होली के उत्सव के दिन 8 मार्च 2023 को) मुक्त हो जाना बहुत ही आश्चर्य-सा लगता है। वैसे तो कोई भी व्यक्ति किसी भी क्षण इस जीवन से विदा हो सकता है मगर कुछ लोगों का विदा होना अत्यंत ही हृदय विदारक साबित होता है। और ऐसे लोगों की सूची में सतीश कौशिक जी का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा स्वर्ण शिखर पर विराजमान है।
सतीश कौशिक एक ऐसी शख़्सियत का नाम है जिसे देखते ही किसी के भी चेहरे पर मुस्कान आ जाती है, जिसे सुनते ही किसी का भी दिल गदगद हो जाता है, और जिससे गुफ़्तगू करने या मिलने का यदि किसी को मौक़ा मिल जाए, तो वो तत्क्षण ही आत्म-तृप्ति को उपलब्ध हो जाता है।
फ़िल्मों में उनका किरदार ख़ुशनुमा बनाने वाला होता था। किसे याद नहीं “मिस्टर इंडिया” फ़िल्म का उनके द्वारा अभिनीत कलेंडर का किरदार या उनके द्वारा गुनगुनायी वो चंद पंक्तियां कि – “मेरा नाम है कलेंडर, मैं तो चला किचन के अंदर, बॉल माँगों भैया, ज़रा ज़ोर से।” या फिर “बड़े मियाँ छोटे मियाँ” फ़िल्म में उनका चोर बाज़ार के शराफ़त अली का किरदार, या उनका फेमस डॉयलॉग – “कसम उड़ान झल्ले की…” इतने सारे ज़्यादा दिल में बसने वाले उनके शब्द और चित्र होते हैं जो कि कभी भी किसी के द्वारा भुलाए नहीं जा सकते।
सतीश कौशिक एक फ़िल्म अभिनेता थे। अभिनय की बारीकियों और कलाओं के ज़बरदस्त पारखी थे। उनकी अभिनय कला ने तीन दशकों तक इस तथ्य के सत्य को सिद्ध भी किया। मगर इससे इतर सतीश कौशिक जी एक बेहतरीन व्यक्ति और सत्यनिष्ठ विद्यार्थी भी थे जिस पर शिक्षा जगत् से सम्बन्धित हर एक व्यक्ति गर्व करना चाहेगा।
दिल्ली विश्वविद्यालय के नार्थ कैंपस में स्थित प्रतिष्ठित किरोड़ीमल कॉलेज के वे 70 के दशक में विद्यार्थी रहे। सिर्फ़ इतना ही नहीं, वे फ़िल्म जगत् से जुड़ने के बाद अपने कॉलेज को सदा याद करते रहे। अपने गुरुजनों का सम्मान करते रहे। आज के अत्याधुनिक युग में जहाँ पश्चिमी सभ्यता और संस्कृति का बढ़-चढ़कर बोलबाला है, वहाँ पर सतीश कौशिक जी आज के नए-नवेले विद्यार्थियों के लिए एक पथ-प्रदर्शक का काम करते हैं, उनके लिए एक प्रेरणास्रोत बनकर प्रकट होते हैं, जो यह सिखाते हैं कि गुरु और शिष्य का सम्बन्ध बहुत विशिष्ट होता है, जो यह बताते हैं कि शिक्षा के जिस आलय से एक विद्यार्थी पढ़-लिखकर बाहर निकलता है, उसका दर्ज़ा माँ से ज़रा भी कम नहीं होता है। सतीश जी इन बातों को सिर्फ़ कहते ही नहीं थे, बड़ी शिद्दत से उन्हें महसूस भी करते थे। यह कहना गलत भी नहीं होगा कि इतने बड़े होने के बावजूद वे अपने कॉलेज और उस कॉलेज के शिक्षकों का एक विद्यार्थी की तरह ही सदा सम्मान किया करते थे।
कुछ 15-16 साल पहले बहुप्रतिष्ठित किरोड़ीमल कॉलेज ऑडिटोरियम में एक घटना घटी जिसके बाद वह ऑडिटोरियम एक कबाड़खाने में तब्दील हो गया। उसकी हालत ऐसी हो गयी कि उसके अंदर किसी भी गतिविधि को अंज़ाम देना सम्भव नहीं रहा। तत्पश्चात ऑडिटोरियम में ताला लग गया और फिर उसे शायद ही कभी खोला जा सका, जिसके कारण कॉलेज के अनेक महत्त्वपूर्ण कार्य जो ऑडिटोरियम की उपस्थिति में क्रियान्वित हो सकते थे, वे नहीं हो सके, और जो प्रतिमान ऑडिटोरियम के मंच पर गढ़े जा सकते थे, वे भी नहीं गढ़े जा सके।
इस सम्बन्ध में प्रोफ़ेसर दिनेश खट्टर जी, जो कि वर्तमान में कॉलेज के प्राचार्य पद को सुशोभित कर रहे हैं, ने अपने पहले कार्यकाल में (जब वे 2016-18 तक कॉलेज के ऑफिसिएटिंग प्राचार्य थे) आगे बढ़कर इस मसले का गंभीरतापूर्वक संज्ञान लिया। सतीश कौशिक जी की अगुआई में ही किरोड़ीमल के स्टार अलूमनस श्री अमिताभ बच्चन जी के साथ मुंबई में एक एलुमनाई मीट आयोजित की गयी और मुहिम को पूरी ऊर्जा के साथ आगे लेकर चला गया।
बाद में नई प्राचार्या प्रोफ़ेसर विभा सिंह चौहान ने इसे अपनी तरफ़ से गति दी मगर कोरोना, नैक इत्यादि के चलते कुछ ख़ास प्रगति को अंज़ाम नहीं दिया जा सका। 30 दिसम्बर 2023 को जैसे ही ईश्वर ने प्रोफ़ेसर दिनेश खट्टर जी को प्राचार्य के रूप में दुबारा कॉलेज की सेवा करने का शुभ अवसर दिया, प्रोफ़ेसर खट्टर ने पूरी प्रतिबद्धता के साथ ऑडिटोरियम को 2023 में बना देने का प्रण ले लिया जिसकी घोषड़ा उन्होंने कॉलेज के एन्युल डे (1 फरवरी 2023) के मंच से की। इस संदर्भ में उन्होंने सतीश कौशिक जी से तत्काल बात की और उनके द्वारा दी गयी 8 अप्रैल 2023 की तिथि को एक भव्य एलुमनाई मीट को आयोजित करने के लिए सुनिश्चित कर दिया।
मगर ईश्वर को लगता है कि कुछ और ही मंजूर था। उन्होंने सतीश कौशिक जी को अदृश्य रूप में इस कार्य को सम्पन्न करने के लिए सुनिश्चित किया था। आज हमारे बीच सतीश कौशिक जी सदेह नहीं है मगर उनकी ऊर्जा, उनकी भावना और उनका किरोड़ीमल कॉलेज को लेकर लगाव निरन्तर सारे किरोड़ीमल परिवार को प्रेरणा देता रहेगा।
किरोड़ीमल कॉलेज के ऑडिटोरियम का रेनोवेट होना उनका सपना था। यह सारे किरोड़ीमल कॉलेज के विद्यार्थियों और शिक्षकों का भी सपना है। इस सपने को पूरा करने के लिए सतीश जी पूरी प्रतिबद्धता के साथ कॉलेज के साथ सम्पर्क में थे। उनकी यह प्रतिबद्धता कॉलेज के एक-एक सदस्य के लिए प्रेरणा का काम करती है, जो कि उनके इस सपने को पूरा करके ही रहेगी, और जिस दिन उनका यह सपना पूरा होगा, कॉलेज अपनी ओर से उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर सकेगा।
सतीश जी के लिए तो बस यही कहूँगा कि:
आपकी मुस्कान बड़ी निराली है
आपके होने से सजती दुनिया ये सारी है
आप न गए हैं और न जा सकते हैं, ये हमारा विश्वास है
आप हमारे दिलों में बैठे सदा हमारे पास हैं।