Saturday, July 27, 2024
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अमित कुमार मल्ल की कहानी – आदमी बनना

राज के पिताजी के परिवार के पास ,  गांव में काफी खेत थे ।राज के तीन ताऊ थे। चारो भाइयो का परिवार एक साथ संयुक्त परिवार के रूप में  रहता  था । गांव में चकबंदी हो चुकी थी। चारो भाइयो  के बीच 6 चक थे। उन 6 चको की  खेती एक साथ होती थी , इसलिये गांव की सबसे बड़ी खेती उनकी थी। बड़ी खेती होने पर काम भी बहुत रहता  था , लोगो का आना जाना , नेवता हकारी , लंबी रिश्तदारी – घर मे हर समय काम भी  बहुत रहता और आने जाने वालों की  भीड़  भी बहुत रहती । यह स्वाभाविक भी था। तीन ताऊ ताई , राज के माता पिता  और राज के  9 कजिन  – को मिलाकर यह संयुक्त परिवार बना था।
लेकिन इन 9 कजिन में से  केवल एक स्नातक था । अधिकतर भाइयो ने दसवीं की  बोर्ड की परीक्षा पास करने में पूरा जोर लगाया लेकिन उन्हें  दसवीं पास करने में एक साल और लगाना पड़ा । लड़को की पढ़ाई से घर के लोग चितिंत रहते इसलिये घर मे हर दो तीन माह में ,एक बार चर्चा होती रहती कि लड़के लोग आगे क्यो नही पढ़  पाए ? ऐसा कौन तरीका अपनाया जाय कि आगे आने वाले बच्चे पढ़े ? एक ताई ने इसका कारण गांव में स्कूल न होना बताया , तो दूसरी ताई ने कस्बे के इंटर कालेज तक साइकल से जाने में , दूसरे गांव के लड़कों से होने वाले झगड़ो को , इसका कारण बताया।कुछ भाइयो का कहना था कि यहा के प्राइमरी स्कूल में ,पढ़ाई की आदत नही पड़ती , तो कुछ भाई लोगो का कहना था कि घर मे भीड़ बहुत रहती है।कुछ भाई कहते गांव में पढने का माहौल ही नही है। राज के भाइयो के न पढने के कारण परिवार को यह समझ में आया कि गांव का खराब माहौल , गांव की लड़को की  संगत , स्कूल की पढ़ाई – के कारण ही राज  के बड़े भाई लोग नही पढ़ पाए।
इस चर्चा के आधार पर पिछले साल  ,सबसे बड़े ताऊ के सबसे छोटे लड़के को 9 वी में पढ़ने के लिये शहर के स्कूल में भेजा गया और वही पर होस्टल में उनका एडमिशन कराया गया।एक हफ्ते में ही वह समान और होस्टल छोड़कर घर आ गया । पूछने पर रूंधे स्वर में बताया ,
–  वहाँ अच्छा नही लग रहा था ।
– मम्मी – ताई जी याद आ रही थी
– लड़के रैगिंग ले रहे थे ।
–  खाना ख़राब  रहता था।
यह प्रयास भी विफल रहा। न पढने के कारणों के चर्चा के अगले बैठक में , इस बात पर भी चर्चा हुई कि सबसे बड़े ताऊ का सबसे छोटा लड़का क्यो नही हॉस्टल में रुक पाया ?  किसी ने कहा ,
– घर की याद आ गयी होगी।
किसी ने कहा ,
– कभी घर से बाहर नही निकला था ।
 बड़ी ताई ने निष्कर्ष दिया ,
– पौधा बड़ा होने पर ,जगह बदलकर ,दूसरी जगह लगाने में दिक्कत होगी।यदि पौधा दूसरी जगह लगाना है तो जल्दी ही लगा देना चाहिए ताकि वह वह के माहौल में एडजस्ट हो सके।
जैसे ही राज  ने पांचवी वलास पास की। उसके बेहतर भविष्य के नाम पर  , उसे  दूर के बड़े शहर के एक बोर्डिंग स्कूल में 6  ठवी में दाखिला करा दिया गया । होस्टल में जाने पर राज को पता चला कि पौधों को ही नही , बच्चों को भी परिवार से बिछड़ने पर बहुत दुख होता है।उसे  माता पिता , ताया ताई , कजिन , दोस्त याद आते रहे । वह हफ़्तों तक वह खुल कर रोता रहा। बाद में छिपकर सिसकियों में रोता रहा । पिता ताऊ आते थे , समझाते थे ,
– गांव का माहौल पढ़ने लायक नही है।
– गांव की पढ़ाई से कुछ होता नही।
– जिसने   गांव छोड़ा आदमी बन गया।
– कुछ दिन की ही तो बात है , फिर हम लोग साथ रहेंगे।
– छुट्टी में तो हम लोग आते ही रहेंगे।
– तुम्हारे उम्र के कई बच्चे अपने परिवार को छोड़कर यहाँ रह रहे हैं न ? तुम भी रह लोगे। बहादुर हो।
रोते  , दुखी होते , परिवार से अलगाव  से जूझते राज  ने  एक कॉलेज से दूसरे कालेज , एक  विश्वविद्यालय से दूसरे विश्वविद्यालय  , एक होस्टल से दूसरे होस्टल , एक डेलीगेसी से दूसरी डेलीगेसी  जाकर पढ़ता रहा  कि  डिग्री  अच्छे प्रकार से मिल जाय , नौकरी मिल जाय।20 साल की आदमी बनने (लायक बनने) की इस यात्रा में कितने होली , दशहरा , दीपावली , रक्षाबंधन , रिश्तेदार , गांव के दोस्त साथी ,मां की ममता और परिवार का साथ  – सबको खो बैठा।इस यात्रा के बाद उसे नौकरी मिली ।
      नौकरी के बाद राज  की  शादी हुई । सुख सुविधाएं आई। बच्चे हुए। जीवन एक एक समरस ढंग पर चलने लगा।एक बड़े शहर की लाइफ को जीने लगा। बच्चे वहीं के अच्छे स्कूल में पढ़ने लगे। काफी दिन बीतने के बाद तबादला हुआ भी तो उसी शहर के , दूसरे शाखा में हो गया। पारिवारिक जीवन पूर्ववत चलता रहा।
            समस्या तब हुई जब नौकरी में आने के 15 साल बाद , राज का तबादला दूर के छोटे शहर में हो गया । राज ने नये शहर में फ्लैट लेने व  समान शिफ्ट करने की तैयारी शुरू की।
पत्नी ने कहा ,
– तुम तो वहाँ रह लोगे , बच्चों की पढ़ाई का क्या होगा?
-वहाँ भी तो …स्कूल कालेज है। वही पढ़ लेंगे।
– तुम तो गांव में रहते थे , तुम्हारे पिता किसान थे , फिर भी उन्होंने तुम्हे बड़े शहर के अच्छे स्कूल में पढ़ाया.. तुम्हारे बच्चे इस बड़े शहर में पले बढ़े , तुम अच्छी नौकरी कर रहे हो ,..तो तुम इन्हें छोटे शहर के स्कूल में डालना चाह रहे हो ।
–  तो , इन्हें यहाँ के होस्टल में डाल देते हैं। वे यहाँ के स्कूल में पूर्व की भाँति पढ़ते रहेंगे।
– जो अकेलापन , घर छोड़ने का दुख , परिवार छोड़ने का दुख , त्योहार से बचित रहने का दुख तुमने हॉस्टल में रहकर झेला है… क्या उसी कष्ट पीड़ा से  बच्चों  को गुजरने के लिये उन्हें होस्टल में डालोगे ?
किंकर्तव्यविमूढ़ राज ने पूछा,
– फिर ?
-मैं इस बड़े शहर में रहकर , यहाँ के अच्छे स्कूल में , पहले की भांति  बच्चों को पढ़ाऊंगी। तुम  तबादले वाले छोटे शहर में रहकर नौकरी करना ।…सेकंड सटरडे में ,छुट्टियों में यहाँ आ जाना । सीधी ट्रेन है।
राज चुप रहा।
उसकी पत्नी ने भाव पूर्वक बोली ,
–  मैं जानती हूँ , अकेले तुम्हे बहुत परेशानी होगी , कष्ट होगा , एक नॉकर रख लेना। …तुम्हे लायक बनना था , आदमी  बनना था , तुम बन गए । अब बच्चों को आदमी बनाना , लायक बनाना , हम लोगो की जिम्मेवारी हैं।अच्छे स्कूल में बच्चे पढ़ेंगे , अच्छी सोहबत में रहेंगे , अच्छी जगह रहेंगे ,तो लायक बनेंगे।
 –  …
– इसके लिये ,अब हम लोगो को त्याग करना होगा।हमे अलग अलग जगह रहकर अपने कर्तव्यों का पालन करना होगा। मै इस शहर में रहकर बच्चों को बेस्ट शिक्षा दिलवाऊंगी, तुम तबादले वाले  छोटे शहर में रहकर , नौकरी करोगे ताकि तुम्हारे वेतन से इस घर का खर्चा चल सके।
पत्नी ने बात खत्म की।
राज  हतप्रभ  होकर सोचता रहा कि पहले अपने आदमी बनने के लिये परिवार से दूर रहा। …अब बच्चों को आदमी बनाने के लिये न जाने कितने साल परिवार से दूर रहना पड़ेगा ?
अमित कुमार मल्ल
अमित कुमार मल्ल
कई काव्य-संग्रह और पत्र-पत्रिकाओं में कहानियां-कविताएँ प्रकाशित. सम्पर्क - [email protected]
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