मैं फ़ोन पर चैट कर रही थी कि अचानक किसी लड़के ने फ़ेसबुक पर मुझे मैसेज भेजा.. मैंने उसकी फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली! और हम फ़ोन के माध्यम से अच्छे दोस्त बन गए..
हम दोनों घंटों फ़ोन पर बातें करते रहते, उसकी सुबह मुझ से ही शुरू होती और मेरी रात उससे ही ख़त्म होती, हम दोनों एक दूसरे को बहुत प्यार करने लगे..
“मनु मुझे बताओ कि तुम मुझसे कितना प्यार करती हो?” उसने पूछा.
मैंने भी कह दिया – सिद्धार्थ अपनी जान से ज़्यादा?
सिद्धार्थ ने कहा – मन्नू, मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूँ कभी मुझे धोखा नहीं देना..
मैंने कहा, सिद्धार्थ तुम ऐसी बातें क्यों कर रहे हो मैं तुम्हें धोखा क्यों दूंगी ?मैं भी तो तुमसे बहुत प्यार करती हूँ..
छह महीने हम लगातार फ़ोन पर बात करते रहे!
फिर मैंने एक दिन सिद्धार्थ को कहा – कब तक हम छुप छुपकर मिलते रहेंगे जब मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती..
उसने कहा – कोई बात नहीं हम मुंबई में इकट्ठे रहेंगे.
हम दोनों मुम्बई में किराये के मकान पर रहने लगे. सिद्धार्थ मर्चेंट नेवी में नौकरी करता था, मैंने सिद्धार्थ को कहा कि हम शादी कर लेते हैं।
सिद्धार्थ ने कहा – शादी की क्या ज़रूरत है, हम दोनों लिव इन रिलेशनशिप में रहेंगे।
मैंने कहा – ऐसा कैसे हो सकता है ?
“इसमें कौन सी ग़लत बात है, आज बहुत से लोग लिव -रिलेशनशिप में रहते हैं। इसमें कुछ ग़लत नहीं है….”
मैंने सिद्धार्थ की बात मान ली और हम दोनों ही इकट्ठे मुंबई में रहने लगे। समय अपनी रफ़्तार पकड़ रहा था। मैं बहुत ख़ुश थी ऐसे लग रहा था मानो कि मुझे ज़िंदगी का सबसे अनमोल तोहफ़ा मिल गया हो। परंतु मुझे क्या पता था यह मेरी सबसे बड़ी गलती थी।
एक दिन अचानक सिद्धार्थ को नौकरी पर जाना पड़ा । मैं सिद्धार्थ को फ़ोन कर रही थी परंतु सिद्धार्थ मेरा फ़ोन नहीं उठा रहा था। मन ही मन सोच रही थी कि भगवान सिद्धार्थ जहां भी हो ठीक हो सुरक्षित हो। पर मुझे क्या पता था कि सिद्धार्थ का मन बदल चुका था। मेरे पेट में सिद्धार्थ का बच्चा पल रहा था। और मैं बिन ब्याही माँ बन बैठी।
एक दिन अचानक उसने फ़ोन उठा लिया.. मैंने कहा – सिद्धार्थ तुम कहाँ थे ? मैं तुम्हारे लिए परेशान हो रही थी। सिद्धार्थ तुम्हें मैं ख़ुशख़बरी देना चाहती हूँ मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनने वाली हूँ।
सिद्धार्थ मेरी बात सुनकर कुछ बोला नहीं।
“सिद्धार्थ क्या हुआ तुम ख़ुश नहीं हो ? तुम तो बाप बनने वाले हो…..”
“नहीं मनु ऐसी बात नहीं है अभी हम बच्चे के बारे में नहीं सोच सकते तुम बच्चा गिरा दो..”
“तुम पागल हो तुम कैसी बातें कर रहे हो? ये बच्चा हमारे प्यार की निशानी है! तुम ऐसा सोच भी कैसे सकते हो।“
“मनु तुम्हें पता है मेरे माता पिता इस रिश्ते को नहीं मानेंगे न ही इस बच्चे को स्वीकार करेंगे। तुम इस बच्चे को जन्म नहीं दे सकती। अगर तुम्हारे माता पिता हमारे रिश्ते को स्वीकार नहीं करेंगे तो फिर क्या होगा? हम आराम से बात करेंगे फ़िलहाल तो तुम ये बच्चा गिरा दो।“
सुबह सुबह उठकर में डॉक्टर के पास चली गई और डॉक्टर को बच्चा गिराने के लिए कहा था उस समय में बहुत रो रही थी परंतु मेरे सामने कोई विकल्प नहीं था। अपने आपसे मुझे घृणा आ रही थी कि मैं माँ होकर भी अपने बच्चे को नहीं बचा पाई। शरीर में बहुत कमज़ोरी लग रही थी..
सिद्धार्थ ने कहा – तुम गई थी डॉक्टर के पास बच्चा गिरा दिया
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हाँ गिरा दिया मैंने बच्चा तुमको परेशान होने की ज़रूरत नहीं।
प्रेरक कहानी
धन्यवाद संगीता जी
लिव इन की मरीचिका का सच उजागर करती मार्मिक कहानी.
बधाई.
सिंह साब, टिप्पणी के लिये धन्यवाद।