Sunday, October 6, 2024
होमकहानीडॉ पुष्पलता की कहानी - नहीं मर चुकी हूँ

डॉ पुष्पलता की कहानी – नहीं मर चुकी हूँ

मिश्री मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ।
मिशू के मोबाइल की स्क्रीन पर उभरा एस एम एस पढ़कर मिशू उस मन में पता नहीं कैसी हिलोंरे उठने लगी। थोड़ी देर तक असामान्य रही कुछ देर बाद  ‘दोस्ती में अफेक्शन, रेस्पेक्ट, लव तीनों होते हैं’ टाइप कर दिया।
‘थैक्यू’ – स्क्रीन पर उभरा।
उसके भीतर से कुछ उमड़-उमड़ कर नदी के जल की तरह किनारे तोड़ जाने को आतुर-सा हो रहा था। कुछ हो गया तो उसके बाद उसका अस्तित्व खत्म हो जाएगा – यह बात सोचकर सिंहर उठती थीं। अपने ऊपर बनाए संयम के बांध में हर रोज एक नई दरार नजर आती थी। सब कुछ तहस-नहस न हो जाए यह सोचकर वह कांप उठती थी मगर उससे बात करने का सिलसिला बढ़ता ही जा रहा था।
फोन पर एस एम एस आ रहा था।
”क्या कर रही हो?“
”अकेली बोर हो रही हूँ“ उसने टाइप कर दिया।
”मैं तो यहीं हूँ।“
”तुम्हारा क्या तुम तो एक दिन चले जाओगे“ उसने टाइप कर दिया।
”मैं तुम्हारे साथ जन्म-जन्मान्तर का रिश्ता बाँधने की प्लान बना रहा हूँ। तुम ऐसा सोच रही हो?“ स्क्रीन पर उभरा।
पढ़कर उसे कुछ होने लगा।
फोन की रिंग बज उठी
‘हैलो’ उसने कहा
‘क्या हाल है’- आवाज उभरी
‘ठीक हूँ।’
‘मूड खराब है।’
‘नहीं ठीक है।’
‘फिर रोने जैसी आवाज क्यों निकल रही हैं?’
सुबह तुमने एस एम एस का जवाब नहीं दिया था।
‘मैं ऑफिस में था साॅरी।’
‘अब तो गुस्सा नहीं हो।’
‘नहीं रख रही हूँ।’
‘बोर हो रही हो?’
‘नहीं खाना बनाने जा रही हूँ।’
उसके कदम रोकने के लिए कुछ तो करना पड़ेगा। उससे अकेले में सामना होने पर कहीं कुछ अनहोनी न हो जाए।
दोस्ती में अफेक्शन, रेस्पेक्ट के साथ लव भी होता है मगर स्प्रीचुवल उसने टाइप करके एस एम एस कर दिया।
‘जब मैंने कहा था मैं मन से लव करता हूँ फिर यह सब?’ स्क्रीन पर उभरा।
‘मुझे तुम्हारे मन की लिमिट पता नहीं है इसलिए’ उसने टाइप कर दिया।
उधर से कोई उत्तर नहीं मिला वह चैक करती रही।
‘गुस्सा हो गए हो?’ उसने टाइप कर दिया।
‘ब्रश कर रहा हूँ’ स्क्रीन पर उभरा।
‘फिर तो जरूर पिछले जन्म में साथ रहे होंगे तुम भी मेरी तरह ब्रश करके सोते हो’ उसने टाइप कर दिया।
‘जब तुम कहती हो मुझे अच्छे से जानती हो तो मेरे मन की लिमिट नहीं जानती’ स्क्रीन पर उभरा।
‘मन की लिमिट नहीं होती मन तो बेलगाम घोड़ा है।’
‘हमारे घोड़े का क्या हाल है’ – स्क्रीन पर उभरा।
‘मैं अपने मन को ठोक पीट कर अपने सांचे में फिट रखती हूँ वरना भगवान से नजरें नहीं मिला पाऊँगी।’ उसने टाइप कर दिया।
‘मेरे मन का क्या हाल है? यह भी तुम्हें पता होगा।’ स्क्रीन पर उभरा।
‘तुम्हारे मन को मैं ही अनजाने में हवा दे रही हूँ।’
‘मतलब’ स्क्रीन पर उभरा।
‘ऐसा मुझे लगता है हमारे बीच की एक-एक रूकावट हटती जा रही है। डर जाती हूँ। ये क्या हो रहा है। मेरे साथ’ उसने टाइप कर दिया।
‘मुझ पर भरोसा रखो हमारा रिश्ता जन्म जन्मान्तर का आत्मा का रिश्ता है उसमें देह का कोई स्थान नहीं। मुझे गर्व है अपनी दोस्ती पर’ स्क्रीन पर उभरा।
‘थैंक्यू सो मच’ उसने टाइप कर दिया।
‘इस बार यह थैंक्यू ले लेता हूँ।’
फोन की रिंग बज उठी।
वह फोन उठाते सोचने लगी नार्मल बात नहीं कर पाएगी खुद को संभालकर बोली –
‘हैलो?’
‘अब तो ठीक है।’ उधर भी आवाज भर्राई हुई थी।
वह हँसने लगी। उधर से भी फीकी हँसी आ रही थी।
‘हँस क्यों रहे हो? मैं सीरियस बात कर रही हूँ? तुम भी तो सीरीयस बात कर रहे हो, अब मैं निश्चिन्त हूँ। इसीलिए मेल फीमेल की दोस्ती पर रोक लगाते हैं।’
उधर से कोई उत्तर नहीं मिला।
‘गुडनाइट उसने धीमी आवाज में कहा
‘गुडनाइट’ धीमी आवाज में उत्तर मिला।
मिशु के पापा उसकी मम्मी को लेकर डाॅक्टर के यहाँ गए थे। घर पर कोई नहीं था। वह काॅलिज से लौटकर आ गया था। इधर-उधर देखकर बोला – ‘पानी देना मिश्री।’
वह फ्रिज से पानी निकालने चल पड़ी। वह पीछे-पीछे चल रहा था। वह घूम गई। वह आगे बढ़ता रहा। उसकी पीठ फिज्र से टिक गई। उसने आँखें बन्द कर ली। थोड़ी देरे ऐसे ही रही।
‘पानी नहीं दोगी’ – मनिन्दर ने कहा
उसने आँखें खोलकर देखा। वह दूर खड़ा मुसकरा रहा था।
वह भागकर उससे लिपट गई। दोनों की आँखें भीगी थी। मिशु रोने लगी तो वह उसे चुप करने लगा।
‘हमारी शादी नहीं हो सकती, तुम जानते हो।’
‘क्यों नहीं हो सकती?’
‘कास्ट की वजह से।’
‘मेरी तरफ रोक लगाने वाला कोई नहीं है, अनाथ हूँ।’
‘मेरे मम्मी-पापा बिल्कुल नहीं मानेंगे।’
‘मैं बात करता हूँ।’
‘नहीं पापा मुझे मार डालेंगे।’
‘मम्मी से बात कर लूँगा।’
‘नहीं ऐसा मत करना।’
‘फिर क्या करूँ?’
‘मुझे कुछ नहीं पता! वह दूसरे रूम में भाग गई।
अगले दिन वह चाय पी रहा था। मिशु के पापा आकर बोले- मनिन्दर पहली तारीख को यह रूम खाली कर देना। हमें ये दोनों रुम तोड़कर बैठक बनवानी है। मिशु के पापा को उनके बारे में कुछ शक हो गया था।
‘अंकल! मुझे आपसे बात करनी है।’
‘क्या’? ‘वो मैं-मैं वो… वो मैं….’ ‘मैं मिशु से शादी करना चाहता हूँ।’ वह तेजी से बोल गया।
‘अपना सामान उठाओ और निकल जाओ तुरन्त!’
‘अंकल मेरी बात तो सुनिए।’
‘मैंने कहा तुरन्त! 15 मिनट बाद तुम यहाँ दिखाई नहीं देने चाहिए!’
उसने अपना सामान पैक कर लिया। आॅटो भी ले आया था। सामने आकर बोला –
‘जा रहा हूँ अंकल! मगर शादी मैं मिशु से ही करूँगा।’
अंकल का जोरदार तमाचा उसके गाल पर पड़ा।
‘शादी मैं मिशु से ही करूँगा।’ कहता हुआ मनिन्दर चला गया।
मिशु रो रही थी उसकी मम्मी उसका हाथ पकड़कर घसीटती हुई उसे रुम में ले गई उसके मुँह पर तड़ातड़ तमाचों की बारिश करने लगी।
‘मार लो जितना मारना है शादी तो मैं उसी से करूँगी?-
मम्मी- ‘उसी से करेगी, उसी से करेगी।’ बोलती जा रही थी तमाचे जड़ती जा रही थी।
जब थक गई तो सिर पकड़कर बैठ गई। कहने लगी – ‘तू तो हमारी इज्जत उतारने के लिए ही पैदा हुई है। वो हमारी बिरादरी का नहीं है। चार दिन में वापिस भेज देगा तुझे।’
‘और दिलवा इसे मोबाइल’ उसके पापा ने कहा।
मम्मी ने यंत्रवत उठकर उसके हाथ से मोबाइल छीनकर उसके पापा के हाथ में रख दिया।
उन्होंने उसकी सिम निकालकर तोड़कर फेंक दी।
ले कहीं रख दे पत्नी से कहा।
मिशु की तरफ मुँह करके बोले ‘आज के बाद तेरी जुबान पर उसका नाम भी आया तो मेरा मरा मुँह देखेगी। उसके साथ तेरी शादी मेरी लाश पर से गुजर कर होगी याद रखना।’
पलभर में मिशु के प्यार का बुखार रेत की दीवार की तरह ढह गया। वह अपने प्यार के लिए अपने पापा की बलि नहीं चढ़ाएगी, वह सोचने लगी थी।
मिशु के पापा ने जल्दी में एक बेरोजगार पढ़त हुआ लड़का देखकर उसकी शादी की तैयारियाँ शुरू कर दी थी।
मनिन्दर एक दिन दरोगा को साथ लेकर आ गया। दरोगा ने कहा-
माफ कीजिएगा सर! यह बालिग है आप इसकी शादी जबरदस्ती  नहीं कर सकते।’
तुम जाओ यहाँ से!’ मिशु ने कहा- ‘मुझे नहीं करनी तुमसे शादी, भगवान् के लिए भूल जाओ मुझे।’
‘तुम डरो मत मिशु तुम्हारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता!’ मनिन्दर बोला।
‘तुम मेरा पीछा छोड़ दो! मुझे नहीं करनी तुमसे शादी’ वह रोती हुई भाग गई।
मिशु के पापा ने नकली कम उम्र का बनवाया सर्टीफिकेट दरोगा को देते हुए कहा-
‘ले जाओ इसे! नाबालिक लड़की को बहलाने फुसलाने के जुर्म में इसे अन्दर करवा सकता हूँ मंै।’
मनिन्दर हतप्रभ था। मिशु बालिग थी। यह उसने उसे बताया था। मिशू के पापा वकील थे सारे दाँवपेंच जानते थे। वह खड़ा नहीं हो पा रहा था। दीवार से जाकर टिक गया। काफी देर तक रोता रहा फिर भागकर मिशु के पापा के पैरों से लिपट गया – ‘अंकल प्लीज ऐसा मत करो! मैं आपकी बेटी को पलकों पर बैठाकर रखूँगा, मेरा विश्वास करो। मैं इससे बहुत प्यार करता हूँ। मैं मर जाऊँगा इसके बिना। मिशु की मम्मी की आँखों में आँसू आ गए थे। मिशु जोर-जोर से रो रही थी। उसके पापा निरुत्तर खड़े थे। उसी हालत में उसे छोड़कर चले गए। मनिन्दर जमीन पर बैठा रोता रहा। फिर चला गया। बुझे-बुझे मन से सगाई की तैयारियाँ चल रही थी। रोबोट की तरह मिशु सगाई की रस्मों में बैठाई जा रही थी। मेहमान आ चुके थे। जिनमें से आधे से ज्यादा मेहमानों को सच पता था। शादी जैसी कोई खुशी नजर नहीं आ रही थी। तारों की छांव में दर्द भरी चीखों की आहों कराहों के साथ मिशु की विदाई हो रही थी चार कंधों पर रामनाम सत्य है के उच्चारण के साथ। उधर मनिन्दर भी चार कंधों पर इसी उच्चारण के साथ जा रहा था। मिशु के पापा घर के भीतर खड़े थे। दीवारें ठहाके लगा-लगाकर हँस रही थी, वे रो रहे थे। पसीने से तरबतर मिशु के पापा की आँख खुल गई रात के 3 बजे थे। तेजी से मिशु के रुम की तरफ भागे दरवाजा खोलकर देखा मिशु किसी से शायद मनिन्दर से बात कर रही थी। आँसू पोछती जा रही थी। बिस्तर पर मिक्की नीटू बेसुध सोए थे। गिलास के पास चूहे मारने की दवा रखी थी। उसके पापा के पांव के नीचे से जमीन खिसक गई। हमें वैसे ही मार डाल बेटे! इतनी बड़ी सजा मत दे! कहकर उन्होंने बेटी को सीने से लगा लिया था। ‘तुझे उसी से शादी करनी है ना? उसी से करूँगा तेरी शादी, अगर तुझे कुछ हो जाता’ वह उनसे हाथ छुड़ाकर जाने लगी – ‘अब कुछ नहीं हो सकता। अब मैं नहीं जी सकती, अब तक तो मन्निदर ने भी जहर खा लिया होगा। अब आपने बहुत देर कर दी पापा – आपने बहुत देर कर दी।’ वह जल्दी से नम्बर मिलाकर मनिन्दर से बात करने की कोशिश करने लगा। ‘हैलो मनिन्दर बेटे तू कुछ मत करना। मिशु की शादी तेरे साथ ही होगी तू सुन रहा है ना। ‘तुझे उसका एडरेस पता है? वह कहाँ रहता है?’ उसके पापा ने मिशु से पूछा। ‘जी पापा’ चल मेरे साथ जल्दी से दोनों गाड़ी में बैठकर मनिन्दर के रुम की तरफ चल दिए। उसने पास में ही रुम लिया हुआ था। फोन कटा नहीं था उसने मिशु व उसके पापा की बात सुन ली थी। जब वे उसके रूम पर पहुँचे तो वह उन्हें बाहर ही इंतजार करता खड़ा मिला गया था। मिशु के पापा ने बढ़कर मनिन्दर को गले से लगा लिया था। ‘मुझे माफ कर दे बेटे।’ ‘ऐसा मत कहिए पापा’! मनिन्दर के मुँह से निकल गया था। घर में शादी की रौनक मंगल गीत खुशियाँ सब कुछ एक साथ आ गए थे। मिशु के पापा ने मिशु के ससुराल वालों को सच बताकर उन्हें अपनी भतीजी के लिए तैयार कर लिया था।
शुभ मुर्हूत में बेटियों की विदाई साथ-साथ हो रही थी।
डॉ. पुष्पलता
डॉ. पुष्पलता
संपर्क - 09458513369
RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Most Popular

Latest