Saturday, July 27, 2024
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एक बरतानवी लोककथा – तीन भाइयों ने बनाई किस्मत (अनुवाद – किशोर दिवसे)

मूल कथा – लेविस तेवांस,वेल्श (1882-1935)
अनुवाद – किशोर दिवसे
वेल्श का एक नागरिक तीन बेटों का पिता था.तानविच का निवासी वह शख्स अत्यंत उम्रदराज़ हो गया था.कुछ सोचकर उस बुज़ुर्ग ने वसीयत बना ली.दरअसल उस बुज़ुर्ग के पास तीन चीज़ें थीं-कॉकरेल मुर्गा,बिल्ली और सीढ़ी.उस बुज़ुर्ग ने अपने एक बेटे जॉन को बिल्ली देने का फैसला किया.वसीयत के मुताबिक कॉकरेल मुर्गा विलियम को और सीढ़ी रॉबर्ट्स को मिलने वाली थी.यही  सब तो था उस वसीयत में.
सबसे पहले बिल्ली को पीठपर रखकर जॉन रवाना हुआ.वह जिस देश में जा रहा था वहां पर बिल्लियां ही नहीं थीं.जॉन ने वहां पहुंचकर अपने लिए एक कमरा सुनिश्चित किया.
” हमारे शहर में बिल्लियां नहीं हैं लेकिन चूहे बहुत हैं.इन चूहों के लिए सराय में कौन रुकेगा? “सराय मालिक ने पूछा,” रात के समय यहां कौन रुकेगा?”
” ओह! जॉन ने निश्चिंत होकर कहा,”किसी को भी वहां रुकने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी. इस थैले में मेरे पास एक ऐसी चीज है जिससे सभी चूहे पकड़ में आ जाएंगे.
” अरे वाह! यह तो बड़ी अच्छी बात है.हमें उन चूहों से मुक्ति मिल जाएगी.आपके पास जो चीज है वह हमारी सारी परेशानियां दूर कर देगी.”
सराय का मालिक ख़ुश था.कुछ देर बाद वे अपने कमरे में चले गए्.ऊपरी मंजिल पर सराय का मालिक रहता था.सुबह जब सराय का मालिक नीचे उतरा उसने देखा कि नीचे फर्श पर चूहे बिखरे पड़े हैं.फिर भी उसे अपनी सराय से चूहों का सफाया हो  जाने पर प्रसन्नता थी.
“हे प्रभु!”  सराय के मालिक ने जॉन से कहा,” आख़िर इन चूहों का सफाया करने की एवज में हमें  आपको कितनी रकम देनी होगी?”
“देखिए! हमारे देश में इतने चूहे मारने का सौ पाउंड मिलता है “
सौ पाउंड की राशि मिलने पर जॉन सराय से अपने घर वापस लौट गया.
..अगली बारी थी दूसरे बेटे विलियम की.विलियम अपना कॉकरेल मुर्गा लेकर ऐसे देश गया जहां पर मुर्गे ही नहीं थे.वह भी एक सराय में रात व्यतीत करने ठहरा.
..”आप बताइए कि सुबह के समय निगरानी करने कौन रहेगा ? ” ,सराय के मालिक ने पूछा.
” हुजूर ! आप निश्चिंत रहें” विलियम ने सराय के मालिक को आश्वस्त किया ,”हमारे पास इस थैले में एक ऐसी चीज है जो भोर होते ही सभी को  जगा देगी.”
“अरे वाह! ” सराय का मालिक विलियम की बात सुनकर प्रसन्न था.सराय मालिक अपने कक्ष में और विलियम अपने कमरे में शयन करने प्रस्थित हो गए.
भोर होने पर विलियम के मुर्गे ने बांग दी.सभी लोग जो सराय में थे जाग गए.सराय के मालिक ने विलियम से पूछा ,”हमें आपको कितनी रकम देनी होगी इस ख़ूबसूरत सुबह के लिए?”
” देखिए ! हमारे देश में सुबह जगाने का सौ पाउंड मिलता है” विलियम ने  कहा और सराय मालिक ने ख़ुश होकर उसे रकम दी.सौ पाउंड की राशि लेकर विलियम घर लौटा.
अगले दिन तीसरा बेटा ऐसे देश गया जहां पर सीढ़ियां ही नहीः होती थी.वह जहां रुका था सराय के उस कमरे में तीसरे बेटे ने सीढ़ी टिकाकर रख दी.कुछ देर बाद सीढ़ी से चढ़कर ऊपर वाले कमरे में होने वाली बातें तीसरा बेटा सुनने लगा.
” कमरे में रुके उस मुसाफ़िर की पत्नी अत्यंत बीमार थी.मुसाफ़िर किसी चिकित्सक की प्रतीक्षा कर रहा था.तीसरे बेटे ने भीतर जाकर बीमार महिला के स्वास्थ्य का परीक्षण किया.
” देखिए! मरीज़ कल तक बिल्कुल ठीक हो जाएगा.मैं जो दवाइयां दूंगा वे समय पर इन्हें दे दीजिएगा “तीसरे बेटे ने भरोसा दिलाया.
” जी…लेकिन.आपको कितनी फीस देनी होगी?” मरीज की तीमारदारी करने वाले सज्जन ने पूछा.
” सिर्फ सौ पाउंड” तीसरे बेटे ने विनम्रता से कहा,”निश्चिंत रहें ,ये शीघ्र भली-चंगी हो जाएंगी” सौ पाउंड लेकर तीसरा बेटा भी अपने घर लौट गया.इस तरह तीनों भाइयों ने अपनी सूझबूझ और मेहनत  से पैसे कमाए और धीरे -धीरे अमीर बन गए.
किशोर दिवसे
किशोर दिवसे
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं. आधा दर्जन से अधिक भाषांतर और संकलन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं. कविता, कहानी आदि साहित्यिक विधाओं में सृजन जारी है.
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