आज उसकी शादी हो रही थी घर में खुशी का माहौल था।  पूरे घर को फूलों , तोरणों और  बंदनवारों से सजाया जा रहा था औरतें ढोलक की थाप पर बन्ना बन्नी के गीत गा रही थी तथा कुछ उत्साही स्त्रियां उन गीतों पर नाच रही थी। विवाह में आये बच्चे धमाचौकड़ी मचा रहे थे और हलवाई तरह- तरह की मिठाइयां और पकवान बनाने मे व्यस्त थे। इन पकवानों की खूशबू दूर – दूर तक फैल रही थी। सब खुश नजर आ रहे थे खासकर उस के मम्मी – पापा कुछ ज्यादा ही खुश नजर आ रहे थे बेटी के हाथ पीले करने की खुशी उनके चेहरे पर स्पष्ट छलक रही थी। वह भी इस शादी से बेहद खुश थी क्योंकि उसे पराग जैसा सुंदर सुशिक्षित और समझदार इंसान पति रूप में मिलने वाला था ।
थोड़ी ही देर में बारात बैंड बाजों के साथ द्वार पर पहुंच गई और पराग घोड़े पर चढ़कर दूल्हे के रूप में दरवाजे पर आ चुका था लड़कियां और औरतें सभी दूल्हे को देखने के लिए दौड़ पडी । वह भी चावल फेंकने की रस्म के बहाने उसे कनखियों से झांक रही थी।दूल्हे के रूप में पराग काफी सुंदर लग रहा था। धीरे धीरे शादी की सभी  रस्में निभाई  जा रही थी बीच- बीच में भाभिया और सालिया दूल्हे राजा से हंसी चुहल कर रही थी।  इस पूरी शादी में सौम्या की अनुपस्थिति उसे उदास कर रही  थी। वह और पराग शादी के पवित्र बंधन में बंध गए थे विदाई के भावुक क्षणों में वह अपने आसूं नही रोक पाई और मम्मी – पापा के गले लिपटकर खूब रोई। 
ससुराल पहुंचने पर उसका भव्य स्वागत किया गया । शादी की रस्मों की थकान के बाद उसे आराम करने के लिए उसके कमरे में ले जाया गया। जहां वह सुहाग सेज पर छुईमुई सी सिकुडी बैठी पराग के आने का इंतजार करने लगी और उसका यह इंतजार जल्द ही समाप्त हो गया ।पराग ने कमरे में प्रवेश किया , उसके कदमों की आहट सुन उसका दिल जोर – जोर से धडकने लगा । पराग ने पास आकर  उसका हाथ अपने हाथों में थाम लिया है। बिजली की लहर सी एक खुशी उसके पूरे जिस्म में दौड़ गई।वह शर्म ओ हया से और भी गठरी हुए जा रही थी।पराग ने धीरे से उसका घूघंट उठाया। वह उसका चेहरा देखकर चौक पडा ।
” तुम कौन हो और मेरे कमरे में कैसे आई ?”
“मैं …मैं तुम्हारी पत्नी हूं ।”उसने हकलाकर कहा।
 नही तुम मेरी पत्नी नही हो सकती हो।तुम वह लडकी नही हो जिसे मैंने पसंद किया था । मुझे तुम सच – सच बताओ ?कौन हो तुम नही तो मैं पुलिस को बुलाता हूं और तुम्हें और तुम्हारे बाप को धोखाधड़ी के इल्जाम में अभी पुलिस के हवाले करता हूं।
एक पल के लिए उसे ऐसा लगा जैसे उसके पैरों तले जमीन खिसक गई हो। अचानक से उस की नींद खुल गई  । उसका सारा शरीर पसीने से लथपथ हो गया ।
अरे यह तो सपना था उसकी शादी में तो अभी दो दिन शेष हैं ।
वह सोच में पड़ गई  । गर सपना इतना भयानक है तो 
सच्चाई कितनी भयावह होगी।
वह काफी देर तक इसी असहाय अवस्था में बैठी रही। पिछले दिनों के सारे घटना क्रम उसके आँखों के सामने घूम गये ।
उसके घर वाले उसके लिए कई सालों से एक अच्छे रिश्ते की तलाश कर रहे थे लेकिन उसके सांवले रंग के वजह से उसका रिश्ता कही तय नहीं हो पा रहा था। जहा भी रिश्ते की बात चलती घूम फिर कर उसके रंग पर आकर अटक जाती ।  जो भी उसे देखने आता  उसकी जगह उसकी  गोरीचिठ्ठी छोटी बहन सौम्या को  पसंद कर जाता।
उसे समझ में नहीं आता कि कैसे लोग उसके व्यक्तित्व को रंग के आधार पर आंकते है। उसकी सारी योग्यता और गुण क्यों इस रंग के आगे बौने हो जाते है। यह हमारे समाज की कैसी मानसिकता है। जहां चमड़ी का रंग ही प्रमुख है।  
वैसे उसे अपने रंग से कोई शिकायत नही थी  बस रिश्ता ना हो पाने की कसक से मम्मी- पापा के उदासी भरे चेहरों को देखकर उसका मन भी उदास हो जाता। 
बहुत दिनों के बाद उसके लिए एक अच्छा रिश्ता आया था । यह रिश्ता अब तक आए रिश्तों में सबसे अच्छा था उसके पापा किसी भी कीमत पर अपने हाथ से इस रिश्ते को निकलने नही देना चाहते थे। इसीलिए इस रिश्ते पर विचार – विमर्श करने के लिए बडी बुआ घर आई हुई थी । उसके पापा को जब भी कोई  दुविधा होती तो वह अपनी बडी बहन से जरूर सलाह मशविरा करते।
वे इसी उधेड़बुन में थे कि कही काम्या के रंग की वजह से यह रिश्ता भी हाथ से न निकल जाए।और अगर छोटी लड़की सौम्या की शादी करूं तो समाज में कई तरह की बातें उठेगी और फिर काम्या का रिश्ता होना और भी मुश्किल हो जायेगा।
 बडी बुआ ने उनकी इस परेशानी को भांप लिया।
उन्होंने झट से कहा महेश अगर मेरी सलाह मानों तो काम्या का रिश्ता इस घर में हो सकता है
“हां जिज्जी बताओ।” 
“महेश जो भी रिश्ता आता है, सभी सौम्या को पसंद कर लेते हैं क्यों ना इस बार हम सौम्या को ही लड़के वालों को दिखा दे ।”
“नहीं जिज्जी अगर मुझे सौम्या की शादी करनी होती तो अब तक कर चुका होता ।मैं चाहता हूं काम्या इस घर  की बड़ी बिटिया है। तो पहले उसकी डोली इस घर से उठे।”
 
बडी बुआ उनकी बात बीच में ही काट कर बोली ।
” महेश तुमने तो मेरी बात पूरी सुनी ही नही मैं तो यह कहना चाह रही हूं कि जब सीधी उंगली से घी नहीं निकलता है तो उंगली  टेढ़ी करनी पड़ती है ।”
” आपके कहने का मतलब क्या है ? जिज्जी ” उन्होंने पूछा
” मेरे कहने का मतलब यह है कि अगर लड़के वाले सौम्या को  पसंद कर लेते हैं तो हम सौम्या को  काम्या बताकर लड़के वालों को दिखा देंगे और शादी काम्या की कर देंगे ।”
” पर यह तो गलत है जिज्जी।” काजल की मां ने दबे स्वर में उनसे कहा 
” भाभी मुझे तो यही सही रास्ता लगता है बाकी  आपकी मर्जी ,आपको जो सही लगे वो कर लो।”
” अरे जिज्जी तुम भी कहा इस अनपढ़  औरत के मुँह लगती हो ,पर यह तो बताओ जिज्जी शादी के समय तो लडको वालो के सामने सब भेद खुल जाएगा कि यह वो लड़की नहीं है जिसे हमने दिखाया था तब क्या होगा । ”   उन्होंने अपनी शंका जाहिर की। 
” इसका भी तरीका है मेरे पास  ।”
“क्या ?”
” हम लड़के वालों से कह देंगे कि हम शादी अपने परंपरागत  रीति रिवाज  से करेंगे जिसमें लड़की शादी के पूरे समय पर्दा रखती है।’
“और जब शादी में उन्हें सौम्या दिखाई देगी तब तो सबको पता चल जाएगा  ना जिज्जी उन्होंने अपनी आशंका का एक और तीर दागा।”
“हम काम्या को उसके मामा जी के घर भेज देंगे ।” बुआ ने बडे इत्मीनान से कहा
” शादी के बाद तो सबको सच्चाई पता चल जाएगी । तब तो लडकी की शादी टूट सकती है ना जिज्जी ।”  उसकी माँ ने अपनी चिंता व्यक्त की।
” भाभी रिश्ता तोड़ना इतना आसान नहीं होता है इसके लिए कोर्ट – कचहरी के न जाने कितने चक्कर लगाने पड़ते है और कोई भी भला आदमी इन सबके झमेले मे ना पडना चाहेगा ।”बुआ ने अपनी बात अधूरी छोड़ते हुए कहा।
अभी तक दरवाजे के पास खडी होकर इन लोगों की बातचीत सुन रही काम्या से अब चुप ना रहा गया।वो उनके बीच में ही बोल पड़ी
” पापा मुझे झूठ के सहारे  शादी नहीं करनी है ।
अगर मैं आपके लिए इतनी ही बोझ हो गई हूं।तो मुझे कुएं में धकेल दो या जहर दे दो खाने के लिए  लेकिन मेरी ना सही किसी और की जिंदगी के साथ ऐसा क्रूर मजाक ना करें। मैं आप सबके आगे हाथ जोडती हूं। “
इतना कहकर वह फफक फफककर रोने लगी।
“काम्या तुम्हें बड़ों के सामने बात करने की तमीज नहीं है क्या ? चार किताबें क्या पढ़ ली। सारे शिष्टाचार ही भूल गई  हो  ।क्या तुम नही जानती बड़ों की बातें इसतरह छिपकर नही सुनी जाती है? ” बुआ ने उसे झिडकते हुए कहा ।
“और आप जो कह रही है  क्या वह सही है बुआ।” काम्या ने प्रतिउतर दिया।
” काम्या तुम चुप ही रहो ,तुम्हारी शादी किससे करना है किससे नहीं और किस तरह करना है यह फैसला करने के लिए हम बड़े लोग अभी जिंदा है ।” उसके पापा गुस्से में बोले रहे थे।
काम्या तुम मेरे साथ अपने कमरे में चलो माँ उसका हाथ पकडकर जबरजस्ती कमरे में ले आई।
सब कुछ उनके प्लान के मुताबिक ही हुआ । उसकी जगह सौम्या को लड़के वालों को दिखा दिया गया और चट मंगनी पट ब्याह की तर्ज पर उसकी शादी की तैयारिया शुरु कर दी गई और वो अपनी विवशता पर आंसू बहाती रही  ।
 
लेकिन आज इस डरावने सपने ने उसे जैसे नींद से जगा दिया। 
कुछ समय तक असमंजस के हिडोले पर झूलने के बाद उसने तय किया कि वह इस झूठ की बुनियाद पर अपने वैवाहिक जीवन की शुरुआत नहीं करेंगी। वह सारी सच्चाई पराग को बता देगी। सच्चाई बताने से क्या होगा ज्यादा से ज्यादा यह रिश्ता टूट जाएगा वैसे भी पानी में पावं कब तक ठहरेंगे ।झूठ की बुनियाद पर खडे इस रिश्ते को एक दिन भरभराकर ढह ही जाना है। कल ढहे इससे अच्छा है यह आज ही ढह जाए ।
उसने अपने कांपते हाथों से पराग का नंबर डायल किया।
दूसरी ओर से फोन पराग ने ही उठाया 
“क्या मैं पराग से बात कर सकती हूं ?”
“जी मैं पराग ही बोल रहा हूं “
 
“आप कौन?”
“मैं कौन हूं यह जानने की आपको कोई जरूरत नहीं है बस मेरी बात को ध्यान से सुनो मैं आपको एक सच्चाई बताना चाहती हूं जो आपकी जिंदगी बर्बाद होने से बचा सकती है।”
” कैसी सच्चाई ?” पराग ने पूछा 
यह तो मैं आपसे मिलने के बाद ही बता पाऊंगी । क्या आप मुझसे मिलने आ सकते हो ?
“हां लेकिन मैं आपको पहचानूंगा कैसे ?”
उसकी फिक्र आप ना करें मैं आपको पहचान लूगी।
आप एमजी रोड पर जो पार्क है उस जगह शाम 5:00 बजे आना कहकर उसने फोन रख दिया।
दूसरे दिन वह घर से अपनी सहेली के साथ ब्यूटीपार्लर जाने का बहाना बनाकर फोन पर बताई हुई जगह पर पहुंच गई।
पराग वहां पहले से मौजूद था। वह पराग के पास पहुंची उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपनी बात कहां से शुरू करें वह जानती थी कि जो कदम वह उठाने जा रही है। उससे उसके परिवार की मान प्रतिष्ठा को बहुत क्षति पहुंचेगी और शायद फिर कभी उसकी शादी ही ना हो ।
उसने अपने दिल को मजबूत करते हुए कहा।
 
“हैलो आप जिसका इंतजार कर रहे हो। वह मैं ही हूं “
पराग उसकी ओर देखकर बोला “आप क्या सच बताना चाहती है?”
“आप की शादी एक बेहद बदसूरत लड़की से होने जा रही है।”
पराग हंसकर बोला “आप किस लड़की की बात कर रही हैं ।जहां तक मैं जानता हूं मेरी होने वाली पत्नी बहुत ही सुंदर और समझदार है शायद आप को कोई गलतफहमी हुई है।”
 
“गलतफहमी मुझे नहीं आपको हुई है पराग जी। “
“आपको एक खूबसूरत लड़की दिखा कर एक बदसूरत लड़की से शादी करने की साजिश रची जा रही है ।”
” ये क्या बकवास कर रही हैं आप और आप इतने यकीन के साथ कैसे कह सकती हैं कि वह लोग ऐसा कर रहे है ?”
“क्योंकि वह लड़की कोई और नहीं मैं खुद हूं”
काम्या ने रुंआसे स्वर में उससे कहा।
“क्या?” पराग ने हैरान होकर उसकी ओर देखा ।
 
वह चलने को मुडी तो पराग ने उससे पूछा क्या मैं
जान सकता हूं कि आप मुझे यह सच्चाई क्यों बता रही है?  क्या आप नही जानती है कि सच्चाई का पता चलते ही यह शादी टूट जाएगी ?और इससे आपके परिवार की बदनामी भी होगी  ?
पराग जी मैं भी चाहती हूं मेरी शादी हो और मेरा भी घर बसे लेकिन मैं उसकी शुरुआत झूठ से नही करना चाहती हूं । मैं अपने परिजनों द्वारा आपके साथ हुए अपराध के लिए क्षमा प्राथी हूं। इतना कहकर वो अपने घर चली आई और रातभर बिस्तर में पडी आसूं बहाती रही।
दूसरे दिन सुबह उसने मोबाइल में पराग के मिसकॉल पडे देखे।उसने बडे अनमने भाव से उसे फोन रिटर्न किया।
विल यू मैरी मी काम्या।” पराग बोल रहा था
” अभी- अभी तुमने क्या कहा फिर से कहो ?” उसे अपने कानों पर यकीं नही हो रहा था।
” विल यू मैरी मी “
“एक बात पूछूं बताओगे?”
” हा पूछों”
सब कुछ जानने के बाद भी तुम मुझसे शादी क्यों कर रहो ।
” सच बताऊं काम्या मुझे हमेशा से एक सच्चे साथी की तलाश थी और मुझे तुमसे ज्यादा सच्चा और कहां मिलेगा ? 
” एनी वे तुमने मुझसे तो पूछ लिया लेकिन मैंने तुमसे पूछा उसका तो तुमने कोई जवाब नही दिया।”
“क्या पूछा तुमने ?”
“यही विल यू मैरी मी ?” पराग ने फिर से उसे पूछा ।
यह सुनकर उसकी आँखों से आसूं झर – झर झरने लगे।
“काम्या इन आसूंओ को बचाकर रखो विदाई के समय काम आयेंगे । मैं कल बारात लेकर आ रहा हूं तुम्हारे घर।”

3 टिप्पणी

  1. कमल नरवरिया जी की कहानी यथार्थ से प्रेरित है,आजके सामाजिक परिवेश में सांवली बेटियों के माता पिता ऐसी ही मानसिक पीड़ा से गुजरते हैं, और लगभग वैसा ही करते हैं जैसा प्रस्तुत कहानी के पिता ने किया,, परंतु व्यावहारिक दृष्टि से यदि समाज की सोच में बदलाव लाने की कोशिश हो, युवाओं को अपने जीवन के निर्णय खुद ले पाने की स्वतंत्रता दी जाए तो ऐसी मानसिकता में बदलाव लाया जा सकता है,जैसा कि कहानी में पराग ने किया,, और सच्चाई की राह पर अड़ी काम्या ने एक उदाहरण पेश किया, लेकिन यह अभी हमारे समाज में काल्पनिक ही लगता है,ऐसी घटनाएं और ऐसे कदम उठाने वाले कम ही है,,यह सोच बदलनी होगी, युवाओं को आगे आना होगा,, बहुत सुंदर संदेश दिया है कमल जी ने, हार्दिक बधाई –
    पद्मा मिश्रा,

  2. मैम आपने जिस शिद्दत से कहानी को पढ़ा और उसकी समीक्षा की उसके लिए आपका शुक्रिया मैम

  3. शुक्रिया मैम …आपने जिस शिद्दत से कहानी को पढ़ा और उसकी इतनी सुंदर समीक्षा की उसने मुझे और अच्छा लिखने के लिए प्रोत्साहित किया है इसके लिए मैं पुनः आपका हृदय से आभार प्रकट करती हूं

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