समझ में नहीं आया कि शहर आने का फैसला गलत था या शादी करके 3 महीने में बच्चे पैदा करने का। शादी और बच्चे सुख के लिए किये जाते हैं या दुःख उठाने के लिए? मुझे भारतीय समाज की शादी और बच्चे की जल्दी और फिर खर्च और काम के बोझ को सम्मानित करतीं या कठिनाईयों का ज़िक्र करके चरित्रों को हीरो या कर्मठ दिखाती रचनाओं का औचित्य समझ में नहीं आता…
समझ में नहीं आया कि शहर आने का फैसला गलत था या शादी करके 3 महीने में बच्चे पैदा करने का। शादी और बच्चे सुख के लिए किये जाते हैं या दुःख उठाने के लिए? मुझे भारतीय समाज की शादी और बच्चे की जल्दी और फिर खर्च और काम के बोझ को सम्मानित करतीं या कठिनाईयों का ज़िक्र करके चरित्रों को हीरो या कर्मठ दिखाती रचनाओं का औचित्य समझ में नहीं आता…