बड़ी बेसब्री से अपने कमरे में टहल रहा है।दोनों हाथों की मुट्ठियां कसी हुई हैं।चेहरे पे तनाव साफ़ दिखाई दे रहा है। आख़िर उसके साथ आज ये सब क्या हो रहा है।ओह गोड हैल्प मीं।काश। इस समय एंडरिया घर आ जाये।वह आफ़िस से जल्दी घर ना आगया होता तो कितना अच्छा था।
उसके आफ़िस में इतनी जवान और सुंदर लड़कियां हैं लेकिन उसने कभी उन्हें आंख उठा कर नहीं देखा तो फिर आज ये सब क्यों।नहीं, मैं जो सोच रहा हूं गलत है।परन्तु अन्दर का दानव बुरी तरह से उस पर हावी हो रहा था।
दानव तो हर मनुष्य के अन्दर कहीं छुपा बैठा होता है।वह सदा उस एक कमज़ोर पल की ताक में रहता है जब वह हमला कर सके।ऐसा कमज़ोर क्षण अकसर लोगों की ज़िंदगी में आता है।जिसने उस पल को काबू में करलिया वह सदा के लिये उस उस दानव से मुक्ति पा लेता है।
उस नाज़ुक क्षण के गुज़रते ही माइकल पश्चाताप के आंसूओं में जीवन भर गोते लगाते रहे।वर्षों औलाद के लिये तरसते हुए भी किसी परस्त्री को कभी बुरी नज़र से नहीं देखा और आज अपने ही घर पर डाका डाल दिया।सोनिया की हैरत से तकती ख़ामोश आंखें कितना कुछ बोल रही थीं।
स्कूल से आते हुए सोनिया बारिश से बुरी तरह भीग गई थी।इस इंग्लैंड की बारिश का तो वैसे ही कुछ भरोसा नहीं होता कि कब बिन बुलाए मेहमान की भांति टपक पड़े।उस पर जुलाई महीने की बारिश, उसे जितनी जल्दी आने की होती है उससे अधिक जल्दी जाने की।ऐसी बारिश में भीगने का कुछ अपना ही मज़ा होता है।जब गीले कपड़े बदन से चिपक कर शरीर में एक झुरझुरी सी उत्पन्न कर देते हैं।
घर के बाहर डैडी की कार खड़ी देख कर सोनिया ख़ुश हो गई।कल से स्कूल समर हाँलिडेस के लिये बंद हो रहा है।बस डैडी अकेले हैं अब मैं उन्हें पटा लूंगी कि मुझे मेरी बचपन की सहेली मैगी के साथ आयलोवाइट जाने दें।
आयलोवाइट एक छोटा सा बहुत ही ख़ूबसूरत साफ़ सुथरा आयलैंड है।जो पर्यटकों के लिये बहुतमशहूर है।इसकी सुंदरता ही तो है जो लोगों को आकर्षित करती है।
उछलती हुइ लहरों से भरपूर नीला समुंदर। हवाओं से खेलती हुई कश्तियां। गर्मियोंमें तो यहां आने का मज़ा ही कुछ और है।घरों के सामने रंग बिरंगे फूलों से सुसज्जित बाग़, तरह तरह के फूल पत्तियों से भरी लटकती हुइ टोकरियां इस छोटे से आयलैंड को और भी ख़ूबसूरत बना देती हैं।
सोनिया की ख़ूबसूरती ही तो थी जो माइकल……
घंटी की आवाज़ सुन कर माइकल ने जैसे ही दरवाज़ा खोला भौंचक्के से रह गये।
बारिश में भीगी हुइ सोनिया।चेहरे पर गीली पानी टपकाती हुइ घुंघराली लटें।बदन से चिपका हुआ सफ़ेद गीला ब्लाऊज़ और उसमें से झांकता हुआ एक एक गठीला अंग।गर्मी से तमतमाए गाल।माइकल ने ऐसा रुप पहले कभी नहीं देखा था।इस समय उनके सामने बेटी नहीं बादलों संग उतरती हुइ कोई अप्सरा थी।माइकल के अंदर का दानव ज़ोर मारने लगा।
सोनिया प्यार से डैडी कह कर जैसे ही आगे बढ़ी माइकल एकदम घूम कर अपने कमरे में चले गये।माइकल का दिल बेकाबू हो रहा था मगर दिमाग ग़लत कदम उठाने की इजाज़त नहीं दे रहा था।दोनों हाथों की मुट्ठियों इतनी कस के भिंची हुईं थी जैसे अभी नसें फट के बाहर आ जायेंगी।
सोनिया अपनी ठंडी उंगलियां गीले बालों सें घुमाते हुए सोचने लगी, आज डैडी को क्या हुआ?ज़रुर आफिस में कोइ बात हुइ होगी।कपड़े बदल के पूछती हूं।
बदल तो मौसम रहा था।तेज़ हवाओं के साथ मूसलाधार बारिश।माइकल की बेचैनी बढ़ती जा रही थी।उन्होंने सोचा मैं क्यों ना घर से बाहर चला जाऊं।माइकल ने जैसे ही कदम उठाया कि बड़ी ज़ोर से बिजली कड़की।सोनिया के मुंह से एक चीख़ निकल गई।चीख सुनते ही माइकल जल्दी से अपने कमरे से बाहर आए।
सोनिया हमेशा कड़कती बिजली से डर जाती है।डैडी कह कर वह माइकल के साथ लिपट गई।सोनिया का बदन कांप रहा था जिसने माइकल का संतुलन और भी बिगाड़ दिया।वही माइकल जो बड़ी मुश्किल से स्वयं पर काबू पा रहे थे डगमगा गये।इससे पहले कि वह सम्भलते सोनिया के कराहने की आवाज़ आई –
“डैडी यू आर हर्टिंग मीं”।माइकल रुक ना सके और जो ना होना था हो गया।
सोनिया बड़ी बड़ी आंखों में आंसू भरे हैरानी से डैडी को देखती रह गई।क्या यह वही डैडी हैं जो कभी उसकी आंखों में आंसू देख कर विचलित हो जाते थे।चोट सोनिया को लगती थी और दर्द उन्हें होता था?आज उन्हें सोनिया के इतने चीखने, कराहने की आवाज़ भी सुनाई नहीं दी।
माइकल एक झटके से उठे और कमरे से बाहर चले गये।
सोनिया गुमसुम सी बिस्तर पर लेटी रही।एक लड़की को बेटी, बहन, मां की नज़र
से ना देख सिर्फ़ एक औरत की नज़र से ही क्यों देखा जाता है?आज केवल उसकाही नहीं उसके विश्वास का भी बलात्कार हुआ है।
बाहर ज़ोर से कार चलने की आवाज़ आई।ज़ोर से तो सोनिया का दिमाग भी चल रहा था।ममा डैडी से बहुत प्यार करती हैं।उन्हें यदि इस बात की भनक भी पड़ गइ तो वह डैडी को छोड़ने में एक पल भी नहीं लगायेंगी।मैं उन दोनों को अलग करने का कारण नहीं बनना चाहती।मैं उस कारण को ही उन दोनों के बीच से अलग कर दूंगी।
सोनिया ने उठ कर बैग में कुछ कपड़े रखे और घर से बाहर हो गई।सोनिया की टांगे कांप रहीं थी।आंखों में आंसू भरे थे।आज डैडी की एक हरकत ने उससे वो छत छीन ली जिसके नीचे एक लड़की स्वयं की सबसे अधिक सुरक्षित समझती है।नहीं, किसी चीज़ पर इतना हक नहीं जताना चाहिये।तकदीर का एक ही धक्का मुंह के बल कीचड़ में गिरा देता है।उसे बेरहम दुनिया में अकेले भटकने के लिये छोड़ दिया जाता है।
अकेली तो वह पहले भी कितनी बार डैडी के साथ घर पर रही है।कितने विश्वास के साथ उनके बिस्तर में सोई है तो फिर आज क्या बदल गया।
बदल तो सब की ज़िंदगियां गईं।अब चाह कर भी सब कुछ पहले जैसा नहीं हो सकता।चलते हुए सोनिया स्कूल ग्राऊंड में पहुंच गई।बैंच पे बैठ सोचने लगी अब आगे क्या करेगी, कहां जायेगी?
वह जायेगी।यहां से बहुत दूर।डैडी का सामना करके वह उनकी शर्मिंदगी से भरी आंखें नहीं देख सकती।मैं मैगी के साथआयलोवाइट जाऊंगी।जहां मुझे कोई नहीं जानता।उसने जेब से मोबाइल निकाला।
हैलो मैगी
सोनिया……. तुम ठीक हो?
ओह मैगी, शब्द उसके होठों पर कांप के रह गये
सोनिया तुम हो कहां, जल्दी बोलो मैं आ रही हूं।
मैगी तो आ गई मगर सोनिया ने अपनों से बहुत दूर जाने का इरादा कर लिया।जातो वह आयलोवाइट ही रही है परन्तु उस जाने में और इस जाने में कितना अंतर है।तब वह डैडी की मर्ज़ी से जाती और अब वह मजबूरी में जा रही है कभी वापिस ना आने के लिये।
“ओह ममाआज आपकी बेटी को आपकी गोदी की बहुत ज़रुरत है।एक बार आपनी सोनिया को सीने से लगा लो”
सोनिया, सोनिया बेबी, देखो ममा तुम्हारे लिये क्या लाई है।यह बच्ची भी ना ज़रुर स्कूल से आकर सो गई होगी।
अरे ये तो अपने कमरे में भी नहीं है कहां गई होगी।इसके कारण तो आज मैं जल्दी काम से घर आई हूं।ये बच्चे भी ना।मेज़ पर एक लिखा हुआ कागज़ देख कर एंडरिया उधर को बढ़ गई।
“आइ एम सोरी ममा, आइ लव यू”।
पगली कहीं की।आज फिर कोई शरारत की होगी एंडरिया हंसते हुए बेटी के कमरे से बाहर आ गई।उसे क्या मालूम कि शरारत तो सोनिया की तकदीर के साथ हुइ है।जब रक्षक ही भक्षक बन जाये तो इन्साफ़ की उम्मीद का विश्वास भी मर जाता है।
विश्वास तो माइकल का भी उठ गया था स्वयं पर से।वह उस एक पल को कोसते हुए बेमकसद इधर से उधर कार भगा रहे थे।सोनिया की वो दर्द भरी हैरान आंखें।मैं कैसे उन आंखों का सामना कर पाऊंगा।“आइ एम सोरी माइ बेबी”।
पांच महीने की छोटी सी बच्ची ही तो थी सोनिया जब एंडरिया सीने से लगा कर उसे घर लाई थी।दस साल से औलाद के लिये तरसती हुई एंडरिया ने जब इस लावारिस छोटी सी बच्ची को अकेले बेबीकोट में खेलते देखा तो इतने सालों की दबी हुई उसकी
ममता जाग उठी थी।उस बच्ची में जाने क्या था कि एंडरिया स्वयॆं को रोक ना पाई और उसे गोद ले लिया। इस छोटे से ख़ुशियो से भरपूर बंडल ने अपनी किलकारियों से सारे घर को रोशन कर दिया था।
उसने तो हमारे घर को रोशन किया लेकिन मैंने उसकी ज़िंदगी में अंधेरे भर दिये।चाहे गोद ली हुई है मगर है तो बेटी ही ना।अरे वह तो बेचारी यह भी नहीं जानती कि वह हमारी बायलोजिकल बेटी नहीं है।आज मैंने अपनी ही बेटी के विश्वास को कितनी बड़ी चोट दी है।
जिस बेटी को इन हाथों ने झूला झुलाया, जिसके सीने से लग कर वह बेझिझक सो जाया करती थी उसी बेटी के साथ इतनी घिनोनी हरकत..छी।मुझे घिन्न आ रही है स्वयं पर।माइकल अपनी ही आत्मग्लानी में जल रहे थे।
जलना तो अब उन्हे सारी उम्र है पश्चाताप की अग्नि में।अचानक मोबाइल की घंटी सुन माइकल के हाथ स्टेरिंग व्हील पर कस गये।
माइकल कहां हैं आप, क्या सोनिया आपके साथ है?एंडरिया की आवाज़ आई।
सोनियाक्या हुआ सोनिया को? मैं तो उसे वहीं छोड़ कर आया था माइकल के मुंह से एकदम से निकल गया।
आप कब मिले सोनिया से।क्या आपसे कुछ कह कर गई है?
मैं घर आ रहा हूं।
अब वो घर घर नहीं रहा माइकल।तुमने एक ही झटके में सब कुछ बरबाद कर दिया।कहां गई होगी सोनिया।कहीं उसने… नहीं नहीं यह मैं क्या सोचने लगा।
सोच तो सोनिया रही थी कि अब आगे क्या करेगी।अभी सोलह वर्ष पूरे करने में दो महीने बाकी हैं।ममा को मेरे सोलहवें जन्मदिन का कितना इन्तज़ार था।
बेटी के इन्तज़ार में एंडरिया की आंखों से नींद ही ग़ायब हो गई थी।करवटें बदलते हुए जैसे ही बिस्तर पर आगे हाथ गया तो वह ख़ाली था।“अरे माइकल कहां गये”?
माइकल सोनिया के अंधेरे कमरे में पलंग के पास नीचे कालीन पर बैठे धीरे धीरे कुछ बोल रहे थे।
सोनिया मेरी गल्ती का अपनी ममा से बदला मत लो बेटा।मैं उसे यूं तुम्हारे लिये तड़पता नहीं देख सकता।वापिस आ जाओ सोनिया।मैं वादा करता हूं तुम्हारे सामने कभी नहीं आऊंगा।एंडरिया और ना सुन सकी।
सुन रही हो ना सोनिया मैं कबसे बक बक कर रही हूं।आज शाम को क्लब चलेंगें।सुना है इस क्लब में ख़ूब देर तक डिस्को होता है।दादी को तो मैं पटा लूंगी।बस आज की शाम मस्ती के नाम मैगी झूमते हुए बोली।
मैग छुटियां समाप्त होने वाली हैं मैं स्कूल नहीं जाऊंगी तो लोग मेरी ममा से तरह तरह के सवाल करेंगे सोनिया ने परेशान होते हुए कहा।
मैं हूं ना सोनिया।मैं ऐसा कुछ नहीं होने दूंगी, चल अब जल्दी से तैयार हो जायें।
क्लब के अंदर पैर रखते ही उन्हें लड़के लड़कियों का शोर सुनाई दिया।तेज़ संगीत, रंग बिरंगी बत्तियां, गिलास टकराने की आवाज़ें चारों ओर हंसी मज़ाक।यहां किसी को किसी की परवाह नहीं कि कौन क्या कर रहा है।चारों ओर बस मस्ती ही मस्ती।कोई और समय होता तो सोनिया सबसे ज़्यादा इस माहोल का आनंद उठाती परंतु इस समय उसे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था।
अच्छा तो उस समय एंडरिया को भी नहीं लगा था जब माइकल तैयार हो हाथ में सूटकेस लेकर सीड़ियों से नीचे उतर कर आये थे।उसकी प्रश्न भरी नज़रें पती की ओर उठ गईं।
एंडरिया मैंने तुम्हें बताया था ना कि मुझे लंदन हैड आफ़िस में टरांस्फ़र कर दिया गया है।मेरे कैरियर का ये एक बहुत बड़ा ब्रेक है।वहां मकान वगैरह का इन्तज़ाम करके मैं तुम्हे भी ले जाऊंगा।
नहीं माइकल मैं लंदन नहीं जाऊंगी।अगर मेरी बेटी वापिस आ गई तो..एंडरिया आंसू ना रोक सकी।
माइकल आगे बिना एक शब्द बोले कमरे से बाहर चले गये।
सोनिया ने क्लब से बाहर आकर राहत की सांस ली।वह सोच रही थी की ये बात मैगी को कैसे बताये।लेकिन कल मैगी वापिस घर जाने वाली है।यह बात उससे छुपा कर भी तो नहीं रख सकती।
“मैगी मैं मां बनने वाली हूं”।
क्या?मैगी दोनों हाथ अपने कानों पर रख कर बोली ये मैंने क्या सुना सोनिया फिर से तो कहना।तुम पागल हो गई हो।जितनी जल्दी हो सके इस मुसीबत से छुटकारा पाओ नहीं तो तुम्हारी ज़िंदगी तबाह हो जायेगी।
अरे जिसने ये ज़िंदगी दी है जब उसने इसे तबाह करने से पहले एक बार भी नहीं सोचा तो हो जाने दो।
देख सोनिया पागल मत बन।हम कल ही डाक्टर से बात कर के इसका कोई ना कोई हल ढूंड लेंगे।
नहीं मैगीइस बच्चे में मेरे डैडी का अंश है।मैं इस को ज़रुर जन्म दूंगी।जो मेरे डैडी ज़िंदगी भर अपनी उस भूल को ना भूल सकें।
सोनिया क्या जाने डैडी का हाल।और ममा, उनकी तो आंखें दरवाज़े पर और कान हर ध्वनी पर टिके हुए हैं।एंडरिया इसी उम्मीद पर ज़िंदा है कि सोनिया एक दिन ज़रुर मिलेगी।ख़ामोशी उसकी मजबूरी है क्यों कि माइकल का इस शहर में बहुत नाम है इज़्ज़त है अगर उसने ज़बान खोली तो कयामत आ जायेगीसब कुछ ख़त्म हो जायेगा।
मैगी आखिर सोनिया की ऐसी भी क्या मजबूरी थी कि किसी से मिले बिना ही लंदन चली गई स्कूल की सहेलियों ने ताना मारा।
भई बाद में उसे दाखिला मिलने में मुश्किल होती।फिर उसके डैडी भी तो वहां हैं।ठुट्टियों में आ जायेगी मिलने कह कर मैगी ने सब का मुँह बंद कर दिया।
मुश्किल का समय तो नाज़ों से पली हुई सोनिया के लिये था।पेट में पलती हुई नन्ही सी जान, पब की नौकरी।रात बारह बजे के बाद थक कर जब बिस्तर पर लेटती तो ममा का नर्म स्पर्ष याद आ जाता।सोनिया ने तकिये को ऐसे सीने से लगा लिया मानों वह ममा के गले में बाहें डाल कर बातें कर रही हो।
ममा अगर मैं बेटी ना हो कर बेटा होती तो आप मेरा क्या नाम रखतीं एंडरिया के पास लेटे हुए छोटी सी सोनिया ने पूछा।
हूं.. लड़कों में मुझे सायमन नाम अच्छा लगता है एंडरिया ने बेटी के बाल सहलाते हुए कहा।
ममा मुझे सायमन चाहिये।
वो तो सम्भव नहीं।मुझे मेरी बच्ची सबसे प्यारी है एंडरिया ने उसे कस के गले से लगा लिया।
प्यार तो सोनिया भी कर रही थी धीरे से अपने पेट पर हाथ फिराते हुए।ममा मैं आपको सायमन दूंगी।आप सायमन को प्यार करेंगी ना ममा वैसे ही जैसे डैडी ने अपनी प्रिंसेस से किया था।ममा घर की बहुत याद आती है और सुबकते हुए सोनिया की आंख लग गई।
आंख तो शायद अब ना एंडरिया की लग पाएगी और ना ही माइकल की।एक का पश्चाताप उसे कचोट रहा था और दूसरे की इंतज़ार में खुली आंखें।
हां एक इंतज़ार ज़रुर समाप्त हुआ और वो था सोनिया का।नन्हे से जीते जागते खिलौने को जब उसने बाहों में लिया तो फूट के रो पड़ी।आज उसकी इस ख़ुशी में शामिल होने वाला कोई अपना नहीं था।
अरे मैं ग्रैनी को कैसे भूल सकती हूं जो मेरा कितना ख़्याल रखती हैं।वह मैगी की ग्रैनी हैं मगर उन्होंने कभी मुभे परायेपन का एहसास नहीं होने दिया।
ग्रैनी मैं काम पर जा रही हूं। सोनिया तैयार हो कर नीचे आई।
आज जाना ज़रुरी है बेटा।बाहर बहुत सर्दी है और फिर आज सायमन की तबियत भी कुछ ठीक नहीं ग्रैनी प्यार से बोलीं।
“ही इज़ अ बिग बोय ग्रैनी”कल से मेरी दो हफ़्ते की छुट्टियां भीहैं हमारी मैगी मैम जो आरही हैं अपने बेटे सायमन का दूसरा जन्मदिन मनाने और वह ग्रैनी और सोए हुए सायमन को एक प्यारा सा चुम्बन दे कर घर से बाहर हो गई।
उफ़ आज कितनी ठंड है एंडरिया रज़ाई को चोरों ओर लपेटते हुए बोली।जब ज़्यादा ठंड होती थी तो सोनिया हमेशा मेरे बिस्तर में आ जाती थी गर्म होने के लिये।कहां होगी मेरी बच्ची।किस हाल में होगी।
आज तो ठंड के मारे हाथों का बुरा हाल है जूली लगता है ज़ोरों से बर्फ़ गिरने वाली है तुम्हें क्या?तुम तो कल से दो वीक की छुट्टियों पर जा रही हो।कोई हमसे पूछे जिसने इतनी ठंड में भी काम पर आना है जूली उलाहना देते हुए बोली।
अच्छा सायमन का जन्मदिन नहीं भूल जाना मैगी भी आ रही है सच मज़ा आयेगा।
कैसे भूल सकती हूं जूली मुस्कुरा कर बोली।देखो ना सायमन दो साल का भी हो गया, समय कैसे भागता है।
“नज़र मत लगाना मेरे बेटे को” और दोनों हंसते हुए काम में लग गईं।
नज़र किसी से पूछ कर नहीं लगती।घूमते हुए ना जाने कहां ठहर जाये।जैसे एंडरिया की नज़र सामने मुस्कुराती हुई बेटी की तस्वीर पर टिकी हुई थी।
टर्र..टर्र.. अरे इतनी रात को कौन हो सकता है। कहीं सोनिया, एंडरिया ने लपक के फ़ोन उठाया।
हैलो एंडरिया उधर से आवाज़ आई।मैं मैगी बोल रही हूं।एंडरिया सोनिया से मिलना है तो जल्दी से आयलोवाइट आ जाओ।
कहां है मेरी बच्ची?कैसी है?ख़ुशी से एंडरिया की आवाज़ नहीं निकल रही थी।
एंडरिया प्लीज़ जल्दी आ जाओ कहीं देर ना हो जाये और मैगी ने पता लिखवा दिया।
एंडरिया के हाथ पैर फूल गये।समझ में नहीं आ रहा था कि ये ख़ुशी है या बेचैनी।एंडरिया बिना माइकल को बताये अकेली ही चल पड़ी।रास्ता था कि ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था।सोनिया, माई बेबी।ममा आ रही है।अब ममा तुम्हें एक पल के लिये भी अपनी नज़रों से दूर नहीं होने देगी।
आज तक एंडरिया ने अकेले इतनी दूर सफ़र नहीं किया था।अपनी बेटी को मनाने के लिये तो वह दुनियां के किसी कोने में भी जा सकती है।
ये आने जाने का रास्ता कौन जानता है।अचानक दरवाज़ा खोल कर मैगी को अंदर आते देख ग्रैनी चोंक गईं।मैगी तुम तो कल आने वाली थी।
जी ग्रैनी।मैंने सोचा एक दिन पहले आ कर सेनिया को सरपराईस दूं।
सरपराईस तो मैगी को मिला जब सोनिया के स्थान पर आधी रात को पुलिस ने दरवाज़ा खटखटाया।
“ये मिस सोनिया स्मिथ का घर है ?” एक आफ़िसर ने नर्मीं से पूछा।
जी।क्या हुआ सोनिया को?कहां है वो?
सोनिया का ऐक्सीडेंट हुआ है आप हमारे साथ चलिये।
मैगी क्या सोच कर आई थी और क्या हो गया।सोनिया इमरजैंसी वार्ड में थी।मैगी को जूली दिखाई दी जिसके साथ एक पुलिस की महिला थी।
मैगी को देखते ही जूली उसके गले से लिपट गई।ओह मैगी आज सोनिया कितनी ख़ुश थी अपने सायमन के जन्मदिन का सोच कर।मैगी मैं क्यों उसकी बात मान कर पहले पब से बाहर आ गई कार पार्क से कार निकालने।ठंड बहुत थी सोनिया ने कहा…
जूली तुम्हे कार पर से फ़रोस्ट हटाने में देर लगेगी।तुम कार स्टार्ट करके सड़क के दूसरी ओर मेरा इन्तज़ार करो मैं काम समाप्त करके आती हूं।
काम क्या उस तेज़ी से आती हुई कार ने तो उसे ही समाप्त कर दिया।ओह मैगी सड़क पार करते हुए उस तेज़ी से आती कार ने सोनिया को इतनी ज़ोर से टक्कर मारी कि वह हवा में ऊंची उड़ कर बहुत दूर जा कर गिरी।वो कार वाला रुका भी नहीं और मेरी सोनिया… जूली आगे कुछ ना बोल पाई।
नहीं जूली कुछ नहीं होगा हमारी सोनिया को।मैं उसे कुछ नहीं होने दूंगी।
यहां मैगी कौन है एक नर्स बाहर आ कर बोली।
मैं हूं मैगी।चलो हमारे साथ।
सामने जो मैगी ने देखा वो तो वह कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी।सोनिया सिर से पैर तक पट्टियों सें लिपटी हुई थी।मैगी स्वयं को रोक ना सकी।
नहीं सोनिया नहीं मैगी की चीख़ निकल गई।
मैगी सोनिया की कमज़ोर आवाज़ आई।मैगी सायमन।
सायमन बिल्कुल ठीक है सोनिया तुम उसका फ़िक्र मत करो बस जल्दी से ठीक हो जाओ सोनिया।
मैगी सायमन मामा को दे देना सोनिया आगे ना बोल सकी।
बोल तो मैगी भी ना सकी।उसकी आवाज़ हिचकियों में डूब गई।
अपने ख़्यालों में डूबती तैरती एंडरिया आयलोवाइट पहुंच गई।वह टैक्सी ले बताए हुए पते पर चल पड़ी।उसका दिल ज़ोरों से धड़क रहा था।होंठ बार बार कांप जाते।टैक्सी रुकते ही एंडरिया अंदर की ओर भागी।कमरे के दरवाज़े पर उसके पैर ठिठक गये।सामने मैगी एक छोटे से बच्चे को गोदी में उठा कर खड़ी थी।एंडरिया उस बच्चे को देखती रह गई।बिल्कुल माइकल का छोटा रुप।
एंडरिया की नज़रें तो अपनी बेटी को ढूंड रहीं थीं।इतने में उसे एक बहुत कमज़ोर जानी पहचानी आवाज़ आई जिसे सुनने के लिये उसके कान तरस गये थे।
ममा।
सोनिया, एंडरिया की नज़र एकदम कमरे के बीचो बीच रखे पलंग पर गई।वह तो सोच भी नहीं सकती थी कि उसकी बेटी कभी उसे इस हालत में मिलेगी।
वह जल्दी से पलंग की ओर लपकी जहां पट्टियों में लिपटी सोनिया मशीनों से घिरी हुई थी।
ममा.. सायमन……
इतना लम्बा आयलोवाइट पहुंचने का रास्ता तो जल्दी कट गया था परंतु दरवाज़े से पलंग तक का रास्ता तय करने में एंडरिया ने बहुत देर कर दी।
आप की कहानी पढ़ी नीना जी! वह एक पल! कभी-कभी वह एक पल भी कितना अधिक भारी पड़ जाता है कि इंसान न चाहते हुए भी वह कर देता है जो करना चाहता भी नहीं और होना भी नहीं चाहिए।( जो वहशी हैं, यहाँ हम अपनी टिप्पणी से उन्हें अलग रखते हैं।)सारे रिश्तों को ताक में रख देता है यह वासना का उफान । यहाँ यह भी कहा जा सकता है कि अविवेकी कर देता है। मानवीयता मर जाती है।
और उसके बाद जो पछतावा रहता है वह आत्मग्लानि की वजह से जीवन भर पीछा नहीं छोड़ता। यही इस कहानी का प्राप्य है।
जीवन में संयम का बहुत अधिक महत्व है। और हमारी संस्कृति में इस बात का विस्तार से जिक्र किया गया है। प्राचीन काल में भी ऋषि मुनि; काम, क्रोध ,लोभ, मद, मोह पर संयम की बात कहते हैं। और इन सबकी लगाम मन के हाथ में है। सिर्फ 10 मिनट के लिए अगर मौन रख लें,उस जगह से हट जाएँ और मन को केंद्रित करने के लिए उल्टी गिनती करनी शुरू करें, भगवान का नाम नहीं लेना है तो ना लें।
कोशिश करके देखिएगा, प्रेक्टिकल करके देखिएगा कि आप अपनी उस मनोवृति पर स्वयं को नियंत्रित करने में सक्षम पाएंगे। फिर वह चाहे कोई सी भी मनोवृति हो चाहे वह क्रोध ही क्यों ना हो।
हमने संयम के मामले में मन को साधने का बहुत प्रयास किया है।अपनी युवावस्था में।
किसी को, कोई, कभी नहीं सुधार सकता। हम स्वयं ही अपने को सुधार सकते हैं बशर्ते कि हमें अपनी गलतियों को देखने, समझने और सुधारने की आदत या चाहत हो।
खैर….
उल्टी गिनती की बात हमने इसलिए कही क्योंकि सीधी गिनती तो सहजता से स्पीडली बोल देते हैं। पर उल्टी गिनती आप इतनी जल्दी नहीं बोल पाएंगे।
मनोभाव जितनी तीव्रता से उग्र होते हैं उतनी ही तीव्रता से शांत भी हो जाते हैं या तो अपनी वृत्ति को अंजाम दे कर या स्वयं को शांत करके।
अंजाम देने पर तो पछतावा ही हाथ आता है लेकिन स्वयं को शांत करने में एक समय के बाद स्वयं आनंद की अनुभूति होती है
कहानी बेहद-बेहद मार्मिक लगी।
पढ़ तो हमने कल ही ली थी पर लिखा आज। मन खराब हो जाता है इस तरह का कुछ पढ़कर।
कहीं न कहीं माइकल के मन में यह फांस तो रही ही होगी कि यह मेरा खून नहीं।
पर ऐसा नहीं है कि ऐसा होता नहीं। हम तो यही कहेंगे कि ईश्वर सब को सद्बुद्धि दे। सबका भला करे। सोनिया के लिये बहुत तकलीफ हुई।
बेहतरीन कहानी के लिये आपको बहुत-बहुत बधाइयाँ।
आप की कहानी पढ़ी नीना जी! वह एक पल! कभी-कभी वह एक पल भी कितना अधिक भारी पड़ जाता है कि इंसान न चाहते हुए भी वह कर देता है जो करना चाहता भी नहीं और होना भी नहीं चाहिए।( जो वहशी हैं, यहाँ हम अपनी टिप्पणी से उन्हें अलग रखते हैं।)सारे रिश्तों को ताक में रख देता है यह वासना का उफान । यहाँ यह भी कहा जा सकता है कि अविवेकी कर देता है। मानवीयता मर जाती है।
और उसके बाद जो पछतावा रहता है वह आत्मग्लानि की वजह से जीवन भर पीछा नहीं छोड़ता। यही इस कहानी का प्राप्य है।
जीवन में संयम का बहुत अधिक महत्व है। और हमारी संस्कृति में इस बात का विस्तार से जिक्र किया गया है। प्राचीन काल में भी ऋषि मुनि; काम, क्रोध ,लोभ, मद, मोह पर संयम की बात कहते हैं। और इन सबकी लगाम मन के हाथ में है। सिर्फ 10 मिनट के लिए अगर मौन रख लें,उस जगह से हट जाएँ और मन को केंद्रित करने के लिए उल्टी गिनती करनी शुरू करें, भगवान का नाम नहीं लेना है तो ना लें।
कोशिश करके देखिएगा, प्रेक्टिकल करके देखिएगा कि आप अपनी उस मनोवृति पर स्वयं को नियंत्रित करने में सक्षम पाएंगे। फिर वह चाहे कोई सी भी मनोवृति हो चाहे वह क्रोध ही क्यों ना हो।
हमने संयम के मामले में मन को साधने का बहुत प्रयास किया है।अपनी युवावस्था में।
किसी को, कोई, कभी नहीं सुधार सकता। हम स्वयं ही अपने को सुधार सकते हैं बशर्ते कि हमें अपनी गलतियों को देखने, समझने और सुधारने की आदत या चाहत हो।
खैर….
उल्टी गिनती की बात हमने इसलिए कही क्योंकि सीधी गिनती तो सहजता से स्पीडली बोल देते हैं। पर उल्टी गिनती आप इतनी जल्दी नहीं बोल पाएंगे।
मनोभाव जितनी तीव्रता से उग्र होते हैं उतनी ही तीव्रता से शांत भी हो जाते हैं या तो अपनी वृत्ति को अंजाम दे कर या स्वयं को शांत करके।
अंजाम देने पर तो पछतावा ही हाथ आता है लेकिन स्वयं को शांत करने में एक समय के बाद स्वयं आनंद की अनुभूति होती है
कहानी बेहद-बेहद मार्मिक लगी।
पढ़ तो हमने कल ही ली थी पर लिखा आज। मन खराब हो जाता है इस तरह का कुछ पढ़कर।
कहीं न कहीं माइकल के मन में यह फांस तो रही ही होगी कि यह मेरा खून नहीं।
पर ऐसा नहीं है कि ऐसा होता नहीं। हम तो यही कहेंगे कि ईश्वर सब को सद्बुद्धि दे। सबका भला करे। सोनिया के लिये बहुत तकलीफ हुई।
बेहतरीन कहानी के लिये आपको बहुत-बहुत बधाइयाँ।