“कहाँ है तेरा मरद? बता रही है कि नहीं?” दो पुलिस वालों ने कड़कती आवाज़ में कम्मो से पूछा.
“पता नहीं साहब, वो तो दो दिन पहले बस लेकर नाइट ड्यूटी पर गए थे जब से अभी तक आये नहीं हैं ” कम्मो मिमियाते हुए बोली.
“अच्छा! और कौन कौन है घर में? उसकी किस किस से दोस्ती है, जल्दी बता” डंडा ज़मीं पर टिकाते हुए पुलिसवाला उसे ऊपर से नीचे घूरते हुए बोला.
घर में हम तीन ही लोग हैं साहब, वो ,मैं और हमारा बेटा, अम्मा को मरे दो साल हो गये हैं. इनके तो कोई दोस्त घर नहीं आते, पता नहीं बाहर किससे उठना बैठना है, मुझे तो नहीं पता.
“अगर घर आता है तो फ़ौरन इस नंबर पर फ़ोन करना” दो घंटे पूछछात करने के बाद पुलिस वाला उसे गरियाता हुआ बोला. 
“हाँ, साहब पर हुआ क्या? कुछ तो बताइए” 
“बता देंगे, पहले उसको आने तो दे” पुलिसवाले ने कमरे में बने आले के अख़बार के नीचे रखे कुछ रूपये अपनी जेब में रखे और फिर दोनों उसे अनदेखा करते बाहर निकल गए .
कम्मो का डर के मारे चेहरा पीला पड़ गया था ,पता नहीं कौन सी मुसीबत में पड़ गए हैं, कुछ तो बड़ी बात है, नहीं तो पुलिस क्यों आती ?
मोहल्ले में फुसफुसाहट शुरू हो गई थी और लोग धीरे धीरे उसके घर के बाहर जमा हो गए थे. “कम्मो, क्या हुआ पुलिस क्यों आई थी?” नगीना भाभी कम्मो के हाथों को पकड़ते हुए पूछने लगीं. 
“पता नहीं भाभी” कम्मो बड़ी मुश्किल से आँसू रोकते हुए बोली.
धीरे धीरे भीड़ छँट गई और कम्मो और गोविंद अकेले रह गए सवालों से घिरे पर कोई नहीं था उनको जबाव देने वाला. रात गहराने लगी थी, कम्मो उठी और गीले रुमाल से गोविंद के गालों से सूखे आँसू के निशान पोंछने लगी.
उसने गोविंद को दूध रोटी दे कर सुलाया पर उसके हलक से एक निवाला भी नहीं उतरा पता नहीं कहाँ चले गए ये यही सोचते सोचते रात भर वो इधर उधर करवट बदलती रही.
जैसे ही सुबह हुई मोहल्ले में जैसे बम फट गया मक्खी भिनभिनाने जैसी आवाज़ बाहर से आने लगीं. 
वो घर के दरवाज़े से निकली कि देखा हर कोई उसी के घर की ओर देख रहा है  
तभी रमन कुमार ने ज़ोर से कहा ,”अरे,मदन ने तो कोई बड़ा कांड कर दियो है, खबर है कि कोई लड़की की इज्ज़त से खिलवाड़ हुआ है और हल्द्वानी वाली बस को जब्त किया है, मदन ही डिपो से बस लेके गया था” 
“न, न ये ऐसा कुछ नहीं कर सकते” कम्मो जोर से चिल्लाई. 
लो खुद ही पढ़ लो आज का अख़बार, बस का ड्राईवर, कंडक्टर और हेल्पर तीनों फ़रार, एक अज्ञात नवयुवती की लाश नग्न अवस्था में मिली.
इस बात को आज दो महीने हो गए, कम्मो थाने और अदालतों के चक्कर लगा लगा के थक गई ,इस बीच वह दो बार मदन से मिली पर मदन ने उससे कुछ नहीं कहा. न हाँ ,न ना. उसे और उसके साथ तीन और लोगों को पुलिस ने पकड़ा, पता नहीं वे दोषी हैं या नहीं पर कम्मो इन महीनों में बेहाल हो गई. 
घर में राशन पूरा ख़तम हो गया तो वह रमन कुमार की दुकान पर पहुँची , “चाचा दो किलो दलौर पांच किलो चावल दे दो ,पैसे इनके छूटते ही दे दूँगी.”
उसकी उभरी छातियों को घूरते हुए रमन कुमार ने पान गाल के एक तरफ़ दबाया और फिर पीक थूकते हुए बोला ,अरे ! दे देना पैसे कौन सी जल्दी है, तू ले जा जो चाहिए शम्पू और पाउडर का पाउच भी दे दूँ, बोल तो ”  
कहते कहते वो उसके और पास खिसक आया और उसके नितंबों से अपनी जाँघ सटा कर खड़ा हो गया.
“नहीं ,नहीं वो सब नहीं चाहिए आप बस दाल और चावल दे दो, कम्मो उसकी निगाह से खुद को  बचाते हुए बोली.
“ऐसा कर अभी तो मैं घर जा रहा हूँ तो शाम को घर आ जाना , थोड़ी साफ सफाई कर देना और सामान भी ले जाना .”  
कम्मो के कनपटी से जैसे रक्त का प्रवाह बह निकला और वो हाँफती घर लौट आई पर घर में घुसते ही भूखा बच्चा उसके पैर से लिपट गया , अम्मा, राशन नहीं लाई ,खाना दे न.”
अब वह स्टेशन के पास गोविंद को साथ ले भीख माँगने जाती है, आज थकी हारी घर आई तो बिस्तर पे लेटते ही पुरानी यादों में खो गई . 
“क्या कर रहे हो ? छोड़ो न, गोविन्द उठ जाएगा” कम्मो ने मदन का हाथ अपनी मेक्सी के ऊपर वाले बटन से धकेलते हुए कहा .
“साली ,बहनच….. तेरा न रोज़ रोज़ का यही है ,उठ जाएगा तो उठ जाए. ” मदन ने उसे अपनी ओर खींचते हुए कहा.| उसके होंठ और दांत उसके गले और छाती से छेड़खानी करने लगे और मदन के मुंह से आती तंबाकू की तेज़ महक उसकी साँसों में भरने लगी. “पता नहीं, ये महक उससे बर्दाश्त क्यों नहीं होती? शादी के आठ साल हो गए हैं पर उसे आदत नहीं हुई अभी तक इस महक की ”.
“आह! उसके मुंह से हलकी सी चीख निकल गई, मदन की आखिरी उंगली का बड़ा सा खुरदरा नाख़ून उसकी छाती में एक लंबी खरोंच बना गया था.  
अभी उसका हाथ खरोंच तक पंहुचा ही था कि मदन ने उसके हाथ को पूरी ताकत से रुई के गद्दे पर दबा दिया और उसका भारी बदन उसके ऊपर झुकने लगा और तंबाकू की बदबू फेफड़ों तक घुसने लगी. एक झटके से उसकी फूलों वाली मेक्सी उसके पैरों की तरफ जा गिरी और उसका पति अपनी पौरुष क्रिया में रत हो गया.
फटी सी आँखों के साथ वो सीधे बिस्तर पर पड़ी रही, बिना हिले-डुले, एक मुर्दा शरीर सी, दिमाग बराबर में सोए बेटे गोविंद की ओर और नग्न शरीर मदन के हाथों में झूलता रहा. थोड़ी देर तक जो कुछ चला उसमें उसका शरीर बस शामिल रहा पर दिलोदिमाग इसी भय में पसीने होता रहा कहीं गोविंद उठ कर उसे इस नग्न अवस्था में न देख ले. 
अपने अंदर के मर्द को शांत करते ही मदन अब ज़ोर जोर से खर्राटे भरने लगा और कम्मो की उँगलियाँ मेक्सी को ढूढने लगी, मेक्सी पर हाथ लगते उसकी साँस जैसे वापिस लौट आई .उसने अपनी मेक्सी फिर ऊपर खींच ली, राहत जैसी महसूस होती थी उसे शरीर पर कपड़े आते ही ,जब भी बेटे के बराबर में वो नग्न होती उसका बदन जैसे अकड़ जाता और साँस लेने की प्रक्रिया भी जैसे मंद हो जाती.
कम्मो सोलह साल में ब्याह के मदन के घर आई थी, बड़ी –बड़ी कजरारी आँखें और गुलाबी ओठ , नाजुक सा बदन और साँवला सुनहरी रंग, आलता लगे पैर जब उसने देहरी पर रखे तो उसकी सास बलैयाँ लेने लगी, आखिर उसके ड्राइवर बेटे को ऐसी सुन्दर बहु जो मिली थी. पूरे मोहल्ले की औरतें तीन दिन तक मुँह दिखाई को आती रहीं और मदन की किस्मत पे रश्क करती रहीं. “मदन, तूने शंकर जी को खूब जल चढ़ाया होगा जबी ऐसी खबसूरत बहुरिया मिली है तोये” पीपल के पेड़ वाली बूढी अम्मा मदन से बोलीं. मदन दांत निपोरते अंदर कोठरी में चला गया. 
“भाभी, कंगन कब खुलेगा मुझे परसों से काम पर जाना है” मदन ने धीरे से पड़ोस वाली भाभी से पूछा. 
“ओह हो देवर जी बड़ी जल्दी है यहाँ तो सोमवार वाले दिन कंगन खुलता है” भाभी शरारत से मुस्कारते हुए बोली “अरे! कम्मो तो छोटी है अभी थोड़े दिन छोड़ दो, समझे!” 
“न भाभी अब हमसे गर्मी न संभाले जा रही, हमतो कह रहे हैं, तुम्हीं रात को यहीं रुक जाओ ” मदन ने एक आँख धीरे से भाभी को मारते हुए कहा. 
“अच्छा जी और तुम्हारे भैया को क्या कहूँ मैं ” भाभी बोलते हुई बाहर निकल गईं .मोहल्ले की औरतें उसकी दिलफेंक तबियत से अच्छी तरह वाकिफ थीं. सभी जानती थीं मदन और उसके यार-दोस्त शाम को दारू पी के हर लड़की को छेड़ते थे, दो साल पहले मोहल्ले के बाहर खेतों में एक लड़की की नंगी लाश मिली थी और सबको मदन ,रंगा और इमरान की तिगड़ी पर शक था पर बदनामी के डर से लड़की के घर वालों ने पुलिस में रिपोर्ट नहीं करवाई और तुरत फुरत क्रियाकर्म कर दिया था. सारा मामला रफ़ा दफ़ा हो गया लेकिन महीनों तक दबी ज़ुबान से पूरे मोहल्ले में कानाफूसी होती रही कि यही तीनों ठेके से दारू की बोतल लेकर खेतों की ओर गए थे और सुबह चार बजे मंगलू के बाबू ने मदन को बदहवास हालत में घर में घुसते देखा था. अब सच तो भगवान जाने.उस वाकये के तीन साल बाद अब मदन की शादी हुई पर बाकी दोनों दोस्त अभी भी कुँवारे थे.
“मदन, आज रात हल्द्वानी वाले रूट पर बस लेके जाना है” बस डिपो के अंदर से सोहनलाल ने आवाज़ लगाते हुए कहा. “हाँ पता है बे, मज़ा आता है हिल स्टेशन जाने में, ठंडा मौसम और चारों तरफ गरम गरम….. छोटी छोटी निकर में लडकियाँ घूमती हैं देखते ही गर्मी चढ़ जाती है. चल अभी तो घर जा रहा हूँ. रात को नौ बजे आऊँगा.
“कम्मो, कम्मो, कुंडी लगा कर सो गई क्या? कबसे खटखटा रहा हूँ?” 
मुंदी आँखों से, अलसाई सी कम्मो भागती आई और दरवाजा खोलते हुए बोली, “अरे आप! आप तो बोले थे कि साँझ तक आओगे”
“हाँ पर आज नाईट ड्यूटी पर जाना है और सुबह तक फिर वापस आना है सो जल्दी आ गया हूँ अब सोने दे. 
अचानक कम्मो उठकर बैठ गई मदन तो अभी भी जेल में है और इन चार महीनों में सब बदल गया है. उसे लगता है बलात्कार उस लड़की का नहीं उसका हुआ है, जहाँ से भी गुज़रती है लोग फ़ब्तियाँ कसते हैं , गोविंद का स्कूल बंद हो गया है, उस अनपढ़ को कहीं काम भी कहाँ मिलेगा? नाते रिश्तेदारों ने आना जाना छोड़ दिया है कोई उधारी देने को भी तैयार नहीं होता , रोज़ कैंडल मार्च निकल रहे हैं उसके घर के बाहर कैमरा , माइक लिए पत्रकार खड़े ही रहते, टीवी वाले दो महीने तक उसका जीना दुश्वार करते रहे .सबको ब्रेकिंग खबर चाहिए थी पर वो कहाँ से देती ब्रेकिंग खबर? मदन क्या करता था, कैसा आदमी था, उसके गाँव तक पत्रकार पहुँच गए, सवालों के जबाव देते –देते कम्मो ने परेशान हो गई पर तभी लंबा कुरता पहने बड़ा सा काला चश्मा आँखों पर लगाए एक मैडम उसकी तरफ आई , “कम्मो जी हम आपसे कुछ जानना चाहते हैं उसने बड़े प्यार से कम्मो से कहा. 
पता नहीं क्यों कम्मो को उसकी आवाज़ से थोड़ी राहत से मिली. “हाँ मैडम जी पूछो ” अभी तक तो मिडिया वालों को देखते ही कम्मो दरवाज़ा बंद करके अन्दर बैठी रहती पर आज उसे कुछ हिम्मत सी आई, “ हम आपको कुछ बातें बताएँगे आप बस कैमरे के सामने रोते हुए कह देना” चश्मा बालों के ऊपर चढ़ाते हुए मैडम ने कहा. उसकी हरी सी बिल्ली जैसी आँखें कम्मो से मिलीं और कम्मो की रूह जैसे काँप गई . मैडम ने धीरे से उसकी मुट्ठी में कुछ रूपये दबा दिए. कम्मो कैमरे के सामने बोलती गई, क्या क्या उसे कुछ सुनाई नहीं दिया बस आँखों के आगे गोविन्द का स्कूल, मकान मालिक, राशन यही दिखाई देता रहा ,फिर तो सिलसिला चल पड़ा ,अलग –अलग चैनल वाले आते उससे कुछ भी बुलवाते और कुछ रूपये थमा जाते . दो महीने तक वह धुँधली छवि के साथ टीवी पर आती , उसे आराम हो गया है , गोविंद फिर से स्कूल जाने लगा था गाड़ी पटरी पर आने लगी थी पर एक सप्ताह से हल्द्वानी वाली बस का रहस्य टीवी से गायब हो गया. अब सारे चैनल पर मंदिर मस्जिद पर बहस छिड़ी थी और मदन का केस पूरी तरह किनारे लग गया था, अब किसी को न नग्न लाश की चिंता थी, न हत्यारों को पकड़वाने की फ़िक्र. कम्मो की आमदनी का जरिया बंद हो गया था.  
फिर से भुखमरी ने उसके घर का दरवाज़ा देख लिया था, पुराने मोहल्ले में सब उसे देखते ही मुँह बिचकाते आखिर उसने दूसरे मोहल्ले में एक कमरा किराये पर ले लिया. पर अब उसके पास एक भी कोड़ी नहीं बची थी. आज फिर वह और गोविंद स्टेशन के बाहर भीख मांगने खड़े थे, तभी अख़बार वाला चिल्लाते हुए निकला, “आज की ताज़ा खबर! गैंग रेप के सभी आरोपी दोषी करार , बर्बरता से लड़की के शरीर के नाज़ुक अंगों को छिन्न-भिन्न करके उसके मृत शरीर से भी हैवानियत करने वालों को उम्रकैद की सज़ा” नृशंस हत्यारे पहले भी ऐसी दो घटनाओं को अंजाम दे चुके थे”
कम्मो ने थूकते हुए अपना मुँह फेर लिया और गोविंद का हाथ एक लंबी सी कार के शीशे के आगे पसार दिया और उसकी आँखों के आगे मदन ,रमन कुमार ,पुलिसवाले मिडिया वाले सबके चेहरे नाचने लगे .
शालिनी वर्मा 
shln.verma2@gmail.com   

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