Monday, October 14, 2024
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वन्दना यादव का स्तंभ ‘मन के दस्तावेज़’ – ‘यह परीक्षा का समय है!

जीवन पग-पग पर इम्तिहान लेता है, यह बात ठीक है मगर वह इम्तिहान से पहले पाठ भी पढ़ाता है। हर पाठ आपके सिलेबस में हो, यह ज़रूरी नहीं है। अपने सहपाठियों के या आसपास के लोगों को सिखाए जा रहे सबक से भी लगातार सीखते हुए आगे बढ़ना होता है। जितना ज्यादा सीखते जाएंगे, अनुभव में ख़ुदको उतना ही समृद्ध पाएंगे।
साल भर की पढ़ाई से क्या और कितना ग्रहण किया है, विद्यार्थी इसका लेखा-जोखा वर्ष के अंत में परीक्षाओं में देता है। यह जीवन के शुरूआती इम्तिहान होते हैं जो कक्षा में प्राप्त ज्ञान का आंकलन करते हैंं। शेष जीवन में इंसान हर दिन सीखता है, और हर दिन परीक्षा की कसौटी पर कसा जाता है। विद्यार्थी जीवन की तरह यहाँ हर सबक के बाद लिखित सर्टिफिकेट नहीं मिलता मगर हर सफलता/असफलता इंसान का अनुभव बढ़ाती है। जहाँ सफल होने पर कॉन्फिडेंस आता है, वहीं दूसरी स्थिति में असफल होने का कारण समझ आता है। इस तरह तैयारी करते हुए यह पता रहता है कि इस राह पर जाना है, या नहीं जाना है। 
जीवन अनुभव ग्रहण करने का और परिपक्वता की ओर एक और कदम बढ़ाने का नाम है। जितना आगे बढ़ते जाएंगे, खुद को और अधिक समृद्ध होता हुआ महसूस करेंगे। जितने इम्तिहान देंगे, उतना ही जीवन का अनुभव पाएंगे।
वन्दना यादव
वन्दना यादव
चर्चित लेखिका. संपर्क - [email protected]
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4 टिप्पणी

  1. जीवन का प्रारंभ ही एक अनुभव से होता है फिर उसी अनुभव से व्यक्ति का मानसिक विकास संभव हो पाता है….. यह प्रक्रिया सतत है जो जो मां की गोद से शमशान घाट तक चलती है…..

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