जन्म। लगभग तीन दशक पत्रकारिता में ग़ुजारने के बाद अब स्वतंत्र लेखन। सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कहानियां प्रकाशित। अनेक कहानियों का रेडियो से प्रसारण। अनेक क्षेत्रीय भाषायों के साहित्यिक उपन्यासों का रेडियो रूपांतरण किया। वीडियो के लिए भी अनेक धारावाहिक लिखे। खाली कॉफी हाउस, उसके साथ चाय का आख़िरी कप और स्माइल प्लीज़ नाम से तीन कहानी संग्रह प्रकाशित। युवा महिला रचनाकारों का एक संग्रह बग़ावती कोरस नाम से संपादित। संपर्क - 9810936423
बढ़िया कहानी
हुमा जब आपके संग नहीं होती तो मेरे संग होती है, कभी कभी तो वो मेरे संग भी होती है और आपके संग भी, वो हवा में तैरती है और कभी यहाँ कभी वहां हूँ-हां करते करते उससे बतियाते दिन बीत जाता हैं, है ना! कभी कभी तो लगता हैं दिन ही नहीं पूरा जीवन बीत गया हूँ – हाँ करते करते- करते रहो!