1
कोशिश ये नहीं आसमां में मेरा घर हो,
सिर्फ मेरे हिस्से की दो ग़ज़ ज़मीन मुझे दे दो ।
कोशिश ये नहीं अकेला मेरा सफर हो,
सिर्फ मेरे हिस्से का संसार मुझे दे दो ।।
कोशिश ये नहीं सफलताओं का अंबार हो,
सिर्फ मेरे हिस्से का दीलें अधिकार मुझे दे दो ।
कोशिश ये नहीं उत्कर्ष भरी महफ़िल हो,
सिर्फ मेरे हिस्से की तन्हाई मुझे दे दो ।।
कोशिश ये नहीं स्वप्न भरी रातें हो,
सिर्फ मेरे हिस्से का दर्पण मुझे दे दो।
कोशिश ये नहीं मेरे हाथों में हाथ हो,
सिर्फ मेरे हिस्से की परछाई मुझे दे दो ।।
कोशिश ये नहीं चाहतों का व्यापार हो,
सिर्फ मेरे हिस्से का तिरस्कार मुझे दे दो ।।
कोशिश ये नहीं काफिलें चारों ओर हो,
सिर्फ मेरे हिस्से की अंतिम विदाई मुझे दे दो ।।
कोशिश ये नहीं आसमां में मेरा घर हो,
सिर्फ मेरे हिस्से की दो ग़ज़ ज़मीन मुझे दे दो ।।
2
पात्रो की कविताओं में आत्म वेदना है ।