ऐसा माना जाता हैं कि सपने नींद में आते हैं। मगर जो लोग अपने सपनों को सच होते हुए देखना चाहते हैं, उनकी आँखो से नींद उड़ जाती हैं। यानी सपने वही सच होते हैं, जो आँखों से नींद उड़ा दें, आपको सोने ने दे।
तब क्या यह सच है कि सपने पूरे होने तक नींद ही ना आए! ऐसा बिल्कुल नहीं है। दरअसल जब जागते-सोते हुए अपने सपनों को सच करने की तैयारी में लग जाएंगे, उसके बाद ही सपनों के पूरा होने का रास्ता बनने लगेगा। सच यह है कि कोई भी मंज़िल इतनी आसान नहीं होती कि सोचते ही उसे प्राप्त कर लेंगे। अपनी मंज़िल तक पहुँचने के लिए बहुत सारे त्याग करने होते हैं। जिसमें सबसे पहले आता है आराम।
इसके बाद मन के बहलाव का लालच आता है जो हर बार अपने साथ कोई ना कोई नया प्रलोभन ले आता है। इन दोनों कमजोरियों पर काबू पाने के बाद कदम तेजी से उठने लगते हैं। जब आपको ऐसा होता हुआ महसूस होने लगे, समझ लीजिए कि यहीं से दिन और रात का फासला मिटने लगा है। यहीं से सपनों के सच होने की शुरूआत हो रही है। यही वे पल हैं, जो सोने-जागने का फर्क भुला चुके हैं।
बंद आँखों से देखे सपने, मन बहलाव का या भटकाव का कारण हो सकते हैं। मगर खुली आँखों से देखे जाने वाले सपने, आपकी सफलता की राह की मशाल बनेंगे। यही जागती आँखों के सपने आपको मंज़िल तक पहुंचाएंगे इसीलिए सपने वही देखें जो नींद उड़ा दें, जो सफल होने को बेचैन कर दें।
इसके सीधा मतलब हुआ की जागती आँखों के सपने, असली सपने हैं। यही सपने आपके जीवन की तस्वीर बदलेंगे। इन सपनों को असलियत का रूप देने के लिए मेहनत आपको करनी है। याद रखिए कि मंज़िल आपकी है, मेहनत भी आपको ही करनी होगी।
लाजवाब
विश्लेषण
धन्यवाद डॉ अकरम हुसैन।
लाजवाब
धन्यवाद रम्या जी।
बहुत खूब
मुझे खुशी है कि आपको ‘जागती आँखों के सपने’ लेख पसंद आया। धन्यवाद रम्या जी।
Beautiful
Thanks Shivani.
अच्छा लेख। हार्दिक शुभकामनायें।
धन्यवाद प्रगति जी।