Tuesday, October 8, 2024
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वन्दना यादव का स्तंभ ‘मन के दस्तावेज़’ – सुंदरतम सृजन का समय

पर्यावरणीय बदलाव के नतीजतन मार्च महीने के ख़त्म होते-होते गर्मी अपना असर दिखाने लगती है। जून-जुलाई में बरसात शुरू होने से पहले तक की सूखी गर्मी से मुकाबला करने के सबके तरीक़े लगभग एक जैसे होते हैं, मगर सावन की फुहारों के शुरू होते ही सब बदल जाता है।
जब बरसात हो रही होती है, सब सुहाना हो जाता है। बारिश के थमते ही सूर्य देवता पूरे क्रोध के साथ निकल आते हैं। सुबह-शाम का आलम भी कुछ कम नहीं होता जब देह से पसीना टपकता रहता है। हवा में आर्द्रता का आलम यह होता है कि नहाने के बावजूद यह पता लगाना कठिन लगता है कि पूरा शरीर पानी से गीला है, अथवा पसीने से तर है।
इस तरह के मौसम से कोफ़्त-सी होने लगती है। मगर क्या यह मौसम सिर्फ इतनी परेशानी देने वाला ही है या इससे इतर भी कुछ करामात करता है? जरा गौर करें कि इस मौसम में प्रकृति किस तरह के बदलाव के संकेत देती है! आसपास नजर घुमाने पर आप पाएंगे कि जिसे यूं ही गुठली समझ कर फेंक दिया था, मौसम की नर्माहट से वह बीज में बदल गया है। जो सामान कूड़ा-करकट समझ कर फेंक दिया गया था, दरअसल वह अंकुरित होने लगा है। यानी बेकार समझ कर फेंक दिया गया सामान, नए आकार में जीवित हो उठा है। उन्हीं चूस कर फेंकी हुई गुठलियों से पौधे निकल रहे हैं। जिन गुठलियों को “यूजलेस” समझ लिया था, वे पौधों का आकार लेने लगी हैं। आने वाले समय में यही पौधे, फल-फूल और दवाइयाँ देने का स्त्रोत बनेंगे। प्रदूषण से त्रस्त जीवन में ऑक्सीजन का संचार करेंगे यानी इनके होने से ही जीवन संभव होगा।
एक बात हमेशा याद रखें कि प्रकृति से बड़ा कोई गुरू नहीं है। आर्द्रता से परेशान होने पर “मदर नेचर” का यह स्वरूप आवश्य याद रखें कि यह आपके जीवन के सुंदरतम सृजन का समय है। जब आपके आसपास का माहौल (कार्य स्थल अथवा रिश्ते) आपके गुणों को निचोड़ लें, उन्हें लगने लगे कि आपके सभी पोजिटिव गुण काम ले लिए हैं और आपमें अब कुछ भी “एक्साइटमेंट” शेष नहीं रहा है। जब यह समझ लिया जाए कि फल के तौर पर आपके गुण काम में ले लिए गए हैं, और मिठास चूस कर गुठली फेंक दी है। जब आपको गर्मी से तपती हुई धरती पर अकेले छोड़ दिया गया है, यही समय आपका खुद पर मेहनत करने का समय है।
गर्मी से जिस तरह बीज खुदको गलने-सड़ने से बचाए रखता है, रोग और कीटों से मुक्ति की प्रोसेसिंग में लग जाता है, अकेले छोड़ दिए गए समय सें अवसाद के स्थान पर आप भी अपनी कमियों को खूबियों में बदलने में लगा दीजिए। इसे “एकांत काल” समझ कर अपने उपर काम करें और जब समय बदलेगा, आपकी मेहनत रंग लाएगी। प्रकृति के आर्द्र स्वरूप से परेशान होकर वह लोग जिन्होंने आपको गुठली समझ, फेंक दिया था। इस चिपचिपे मौसम से बचने के लिए एयरकंडीशन की ठंडक में सुख तलाश कर रहे होंगे। जबकि यह आपके जीवन के नवीन अंकूरण का दौर होगा। आप नया पौधा बन रहे होंगे और जब तक जीवन का मौसम बदलेगा, लोग अपने आप से बाहर निकल कर आसपास देखेंगे, आप कठोर धरती की छाती चीर कर अपने दम पर तन कर खड़े उस पौधे का आकार ले चुके होंगे जो बहुत जल्दी मुकम्मल पेड़ बनने की यात्रा पर चल पड़ा है। याद रखें कि ऐसा पौधे जो लगातार विपरीत हालात से लड़कर उगते हैं, उन्हें धरती से अपना भोजन-पानी लेना आता है। इसीलिए यह भी याद रखें कि जब-जब माहौल सताए यानी जीवन की धूप तपाने लगे, समझना यह अपनी कमियों को दूर कर, अपने स्ट्रांग पॉइंट्स पर काम करने का समय है। इसी तरह जब तकलीफ आँखें नम करने लगे, आर्द्रता बढ़ने लगे, समझ जाना कि यह आपके नव स्वरूप को सामने लाने का वक्त है। जब-जब विपरीत परिस्थितियाँ आएं, रिश्ते आर्द्र हो जाएं, अपने आप पर भरोसा करना। समझ लेना कि यह आपके जीवन के सुन्दरतम सृजन का समय है। आपके नए आकार, नई पहचान पाने का संकेत है।
वन्दना यादव
वन्दना यादव
चर्चित लेखिका. संपर्क - [email protected]
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8 टिप्पणी

  1. वर्तमान में मनुष्य की रसायनिक जीवनशैली की आदतों को मोटिवेट करता माननीया वन्दना यादव जी का लेख समय से संतुलन और सामंजस्य कैसे और क्यों स्थापित किया जाय इस पर केंद्रित है जो कि इस शहरईलए वातावरण के दोनों पक्षों का मूल्य निर्धारण करता है वे बधाई की हक़दार हैं।

  2. Atyant sunder evm saargarbhit lekh k liye apko badhai. Manushye, Prakriti evm beej, in teeno ki vytha katha ek hi prishth par ankit krne ka samarthye aap me h.
    Visham vatavaran k baad hi nav ankur ka agman hoga, fir chahe beej ho ya manav mann.
    Apko sadhuwad evm shubhkamna

    • आपको कॉलम पसंद आ रहा है, यह जानना सुखकर है। इस सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद डॉ सतीश कुमार यादव जी।

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