‘जो करना है, बस इसी समय करना है।‘ यह कथन हम सबने ना जाने कितनी बार ‘सुना’ है। बहुत से लोगों ने इसको अपनी मर्ज़ी और ज़रूरत के हिसाब से ‘सुना’ भी, और ‘गुना’ भी। अंग्रेजी की एक कहावत ‘Do or die’ का जोश जगाती है। हमें भी ‘काल करे सो आज कर, आज करे सो अब…’ की सीख परिवार के बड़ों, और शुभचिंतकों ने ना जाने कितनी बार दी है। यानी आप जो करना चाहते हैं उसे अभी, इसी वक्त कर लें। ऐसा कहने के पीछे का कारण महत्वपूर्ण है। क्योंकि आप जो करना चाहते हैं, उसके लिए यही सही समय है। लंबे समय तक सिर्फ प्लानिंग करना, या सिर्फ लक्ष्य के विषय पर सोचते रहने का व्यवहार सरासर ग़लत है। इसी तरह ‘सही समय आने पर तैयारी शुरू करेंगे’ का व्यवहार भी उचित नहीं है। 
सैनिकों की कर्तव्य परायणता की मिसाल दी जाती है। अंग्रेजी की कहावत ‘Do or die’ का सर्वाधिक और सार्थक प्रयोग भी यही लोग करते हैं। यह उनकी ट्रेनिंग का हिस्सा होता है। आप भी यदि किसी लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं तब उसके लिए उपरोक्त सूक्ति का एटीट्यूड अपनाएं। 
हमारे पास कहावतों का विशाल खजाना है। ‘सूखा पड़ने पर कुंआ खोदना’ या ‘आग लगने पर कुंआ खोदना’, दोनों उदाहरण हमारे सामने हैं। यह और ऐसी अनेक सीख बताती है कि मुसीबत के सर पर पहुँचने के बाद हल खोजने की प्रक्रिया शुरू करना सही व्यवहार नहीं है।
मान लीजिए कि आप रचनात्मक व्यक्ति हैं। ऐसे में जो विचार इस पल आया है, उसे इसी समय लिख लें। ‘बाद में या शाम के समय लिखता/लिखती हूँ।‘ सोचने तक ठीक है मगर जब आप लिखने बैठेंगे, यक़ीन मानिए कि दिन भर के व्यवहार, काम में वह विचार खो गया होगा। आपकी यादाश्त तेज हो तब भी आप उस विचार को धुंधली चमक के साथ बैठे होंगे। यानी, जो विचार जब आये, उसी समय उस पर काम करें। 
किसी खोए संपर्क की याद आए, किसी बिछड़े दोस्त की याद सताये, तब चुपचाप बैठे ना रहें। हम अत्याधुनिक युग में हैं। आपके हाथ में मोबाइल है। जब किसी की याद आये, उसके फोन का इंतज़ार मत करते रहिये। पहल अपनी ओर से कर दें। याद आपको आई है, इसीलिए आपका फोन करना जायज है। 
इस तरह किसी लक्ष्य को पाने की छोटी-सी इच्छा आपके मनमें उठे, तब इस तरह के विचारों को अनदेखा ना करें और ना ही इस तरह के विचारों को दबाएं। लक्ष्य को पाने के लिए अपने भीतर जुनून जगायें। यह सब बातें आपके साथ साझा करने का कारण यही है कि ‘आप अपने आप पर भरोसा करें।‘ अपनी इच्छाओं का सम्मान करें। अपने निर्णयों पर अडिग रहें, और उन्हें साकार करने में अपना पूरा दम-खम लगा दें। अपनी मेहनत पर भरोसा करें। सफलता अथवा अनुभव, दोनों में से कोई एक आपके हिस्से ज़रूर आयेगा। सफलता आत्मविश्वास जगाने का काम करती है और अनुभव खुद पर भरोसा करते हुए आगे बढ़ने का मंत्र देता है। सर्वविदित तथ्य है कि गीदड, शेर की जूठन पर पलता है। अपनी भूख मिटा कर शिकार का जो हिस्सा शेर छोड़ता है, गीदड उसी पर जीवन यापन करता है। आप किसी और के छोड़ दिये गए फल के इंतज़ार में बैठे ना रहें। अपने लिए शिकार आप स्वयं करें। किसी के छोड़े गए हिस्से पर नहीं, अपने हिस्से की मेहनत करें और उस सफलता पर अपना नाम लिखें।

1 टिप्पणी

  1. आदरणीय वंदना जी
    आपके स्तंभ ‘मन के दस्तावेज’ के अंतर्गत ‘अपने आप पर भरोसा रखें’ पढ़कर बहुत अच्छा लगा। वाकई यह प्रेरणास्पद है। आज के समय में, विशेष तौर पर कोरोना हादसे के बाद,जब आधी दुनिया से अधिक की आबादी डिप्रेशन के दौर से गुजर रही है आपका यह विषय सहायक सिद्ध होगा। अपने आप पर भरोसा रखना ही हमारे आत्मविश्वास को पोषित करता है। आपने समझाइश के तौर पर कुछ पॉइंट्स दिये हैं अपने विषय से संबद्ध पर आत्मविश्वास और अपने आप पर भरोसा रखना हर काम के लिए हमारी सकारात्मक सोच को पुष्ट करता है।

    वैसे तो आपकी हर समझाइश काबिले गौर है पर रचनात्मकता के क्षेत्र में, व बिछड़े हुए दोस्त की याद आने पर तत्काल फोन करने वाली बात से हम पूरी तरह से सहमत हैं।
    वनस्थली में पढ़ते हुए अपनी खोई हुई सखियों को ढूँढने के लिए मोबाइल आने के बाद हमने निरंतर प्रयास किया। किसी का पता न था और विवाह के बाद सरनेम का चेंज हो जाना भी एक दिक्कत थी पर मोबाइल की मदद से 50 साल बाद हमने अपनी सभी सखियों को दो वर्ष पूर्व ढूंँढ भी लिया। यह अपने आप पर भरोसा रखकर निरंतर प्रयास का ही कमाल था। हालांकि मोबाइल की मुश्किलों को भी झेलना पड़ा। यह कम तकलीफ देह नहीं रहा।
    आपकी बात पसंद आई। बहुत-बहुत शुक्रिया आपका।और इस स्तंभ को पुरवाई में रखने के लिए तेजेंद्र जी व उनकी टीम का भी धन्यवाद।
    निश्चित ही यह एक महत्वपूर्ण स्तंभ है ।

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