किसी व्यक्ति ने आपकी तारीफ कर दी, आपको अच्छा लगा। आपके चेहरे पर मुस्कान आ गई। आपका मूड कुछ समय के लिए अच्छा हो गया। कोई दिलखुश समाचार मिला, आप प्रसन्न हो गये। संभव है कि अच्छे समाचार से, मन प्रसन्न करने वाली खबर से आप कोई गीत गुनगुनाने लगें या अपनी पसंद का कोई काम करने लगे। हो सकता है कि आप टहलने निकल जाएं या लंबे समय से पेंडिंग काम निपटाने का मन बना लें। कोई रचनात्मक काम शुरू कर दें या पहले से शुरू काम को पूरा करने की ठान लें मगर क्या हो जब स्थिती इसके उलट हो जाए!
मान लीजिए कि किसी ने आपके मन को दुखाने वाली कोई बात कह दी या आपकी नापसंद हरक़त कर दी। हो सकता है कि कोई व्यक्ति आपको चोट पहुँचाने के मकसद से ऐसी बात कह दे जिसे सुनने की आपने कभी कल्पना भी नहीं की थी, तब क्या होगा? क्या आप तारीफ सुनकर जितने खुश हुए थे, इस बार भी उतने ही खुश होंगे? या प्रतिक्रिया देने के स्थान पर आप चुप रह जाएंगे? क्या आप सामने वाले की इस हरक़त को नजरअंदाज कर देंगे? ठीक से सोचिए कि ऐसे में आप क्या करेंगे।
आमतौर पर ऐसी स्थिती में अधिकतर लोग क्रिया पर प्रतिक्रिया देने का काम करते हैं। कुछ अच्छा सुना, तब उसे ना ना कहते हुए स्वीकार कर लेते हैं जबकि कुछ अप्रिय सुनने पर गुस्सा हो जाते हैं। दूसरी स्थिती में अपशब्द बोलना, झगड़ना, मूड खराब कर लेना या यह सब कुछ एकसाथ भी शामिल हो सकता है। आप अपना मूड कुछ समय, या कई दिनों के लिए भी खराब कर सकते हैं। जो जैसे चाहे, वैसे नचा ले, ऐसा हरगिज नहीं होना चाहिए। यदि यह आपके साथ हो रहा है, तब विचार करने की बात है। सोचिए कि ऐसा क्यों हो रहा है?
इस स्थिती में आप खुदको एक ताला समझिये, और विश्वास करें कि आपके जीवनमय ताले की चाबी आपके पास है ही नहीं। आपके खुलने-बंद करने का सिस्टम किसी भी अन्य व्यक्ति के पास तो हो सकता है, बस यह सिर्फ आपके पास नहीं है। जो मर्जी आपके चेहरे पर मुस्कान ले आए, या गुस्सा दिला दे। यानी आपका अपने ही जीवन पर कोई अधिकार नहीं है। इसका मतलब हुआ कि आप दूसरे के हाथ की कठपुतली है। और यकीन मानिये कि कठपुतलियों की कोई मर्जी नहीं होती।
उनका कोई व्यक्तित्व नहीं होता। वे हमेशा दूसरों के इशारों पर नाचती हैं। इसीलिए यदि आप भी सामने वाले की क्रिया पर प्रतिक्रिया देते हैं, सामने वाले के चाहे अनुसार व्यवहार करते हैं, तब सम्हाल जाएं। अपने जीवन को अपने अनुसार, अपनी मर्जी के अनुसार चलाना सीखें। किसी के हाथ की कठपुतली ना बनें। किसी अन्य द्वारा बनाई स्थितियों में फंसना ठीक नहीं है। याद रखें कि यह आपका अपना जीवन है। आपका अलग, स्वतंत्र व्यक्तित्व है। आप किसी के हाथ की कठपुतली नहीं है।
Vandana ji namaskar aapane Sahi kaha hamen apni jindagi apni hisab se jini chahie na ki dusron ke hath ki kathputli Bankar … Aapane Sahi kaha ..
रम्या जी आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए आभार।
Bahut sundar likha Vandana ji Hme kisi ke hath ki Kathputli nhi Banna chahiye
धन्यवाद श्री ज्ञान यादव जी।