कुछ दिन पहले की बात है जब पेड़-पौधे अलसाए-से खड़े थे। अपनी सारी हिम्मत लगा कर शीतकाल से अपने जीवन की रक्षा में जी-जान लगाए हुए थे मगर अब सूरत बदल गई है। जो ऊर्जा ज़िंदा रहने के लिए खर्च हो रही थी, प्रकृति का मिज़ाज बदलते ही पेड़-पौधों ने भी अपनी मेहनत का तरीक़ा बदल दिया है।
विपरीत मौसम में जीवित बचे रहने का संघर्ष अब नहीं रहा। इसका अर्थ है कि अब परिश्रम का तरीक़ा बदलना होगा। यह पुष्पित, पल्लवित होने का समय है। फलदार वृक्षों पर की शाखाओं नई आमद दिखाई दे रही है। आम के पेड़ बौर से लद गए हैं। पुराने पड़ चुके पत्तों को छिटका कर वृक्षों की शाखें नई कोपलें से भर गई हैं। फूलों वाले पौधे अपनी सुंदरता के चरम पर हैं। हर ओर रंग-बिरंगे और खुशबूदार फूल दिखाई दे रहे हैं।
दरअसल फूल कठिन परिश्रम का परिणाम होते हैं। रूखे, बेजान और कठिनतम समय को झेल जाने की मेहनत का परिणाम होते हैं। वर्ष भर के बाद फलने-फूलने वाले पेड़-पौधे बताते हैं कि जिसने जीवन के कठिन समय को धैर्य के साथ, परिश्रम करते हुए पार किया, प्रकृति उसे फलने का मौक़ा ज़रूर देती है। फूलों के इस मौसम में जब खिलखिलाते हुए फूलों को देखें, उस समय फूलों की सुंदरता पर मोहित होते हुए याद रखें कि फूल कठिन परिश्रम का परिणाम होते हैं।
वाह
अद्वितीय
धन्यवाद डॉ अकरम।
बहुत खूबसूरत और सकारात्मक बात कही अपने, साधुवाद!
धन्यवाद पूजा जी।
Love how you used nature to talk about the importance of perseverance and adaptability. Great piece!
Thanks Shivani bitiya for such a beautiful comment.