अशोक ‘अंजुम’ के नाटक संग्रह ‘ओम फट फटाक ‘ का लोकार्पण

9 सितम्बर 18, अलीगढ के  संत फिदेलिस स्कूल जूनियर विंग के वातानुकूलित सभागार में चर्चित कवि, रचनाकार, श्री अशोक ‘अंजुम’ के नाटक-संग्रह  ‘ओम फट् फटाक  ’ का लोकार्पण हुआ।

कार्यक्रम का शुभारम्भ मण्डलायुक्त श्री अजयदीप सिंह, आयकर आयुक्त श्री सुनील वाजपेयी ‘सरल’, डाॅ. वेदप्रकाश अमिताभ, डाॅ. प्रेम कुमार, फादर सनी कोटूर, कवि अशोक ‘अंजुम’, श्री हरीश बेताब, श्री सुबोधनन्दन शर्मा, डाॅ. राजेश कुमार, डाॅ. मुजीब शहज़र, डाॅ. सुदर्शन तोमर आदि के द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ।

तत्पश्चात कवयित्री श्रीमती भारती शर्मा ने अपने सुमधुर कंठ से सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। इसके बाद अतिथियों द्वारा पुस्तक का लोकार्पण किया गया।

पुस्तक पर बोलते हुए मण्डलायुक्त श्री अजयदीप सिंह जी ने कहा कि अशोक ‘अंजुम’ बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। इनके नाटक सशक्त हैं जिनका मंचन सभी विद्यालयों में और सम्पूर्ण देश में होना चाहिए। डाॅ. प्रेम कुमार अशोक ‘अंजुम’ के बारे में कहा कि अशोक सूर्य की तरह तपने वाले और चन्द्र की शीतल हैं और साथ ही उन्होंने अशोक ‘अंजुम’ की बहुमुखी प्रतिभा की प्रशंसा की।

डाॅ. वेदप्रकाश ने कहा कि अशोक का पेड़ कभी निष्पत्र नहीं होता, उसी प्रकार अशोक ‘अंजुम’ भी तमाम विधाओं में अपने आप को पूरे जोर-शोर के साथ अभिव्यक्त करते रहते हैं। पर्यावरण विद् श्री सुबोध नन्दन शर्मा ने कहा कि इनका पारिवारिक वातावरण साहित्यिक न होते हुए भी इतनी ऊँचाइयाँ हासिल करना बहुत बड़ी बात है। फादर सनी कोटूर ने शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि यह नाटक पुस्तक समाज सुधार में मील का पत्थर साबित होगी।

डाॅ. राजेश कुमार ने नाटक के बारे में कहा कि नाटक काव्य में सबसे रुचिकर है उन्होंने पुस्तक के शीर्षक की विस्तृत व्याख्या की। श्री हरीश बेताब ने अशोक ‘अंजुम’ की बहुमुखी प्रतिभा पर अपनी कविता प्रस्तुत की। डाॅ. मुजीब शहजर ने कहा-‘तुम तो अंजुम भी हो और अशोका भी हो, दोनों नामों की शोहरत मुबारक तुम्हें।’ अशोक ‘अंजुम’ के अंतरंग मित्र रंगकर्मी श्री प्रमोद राघव ने कहा कि नाटक के क्षेत्र में अशोक ‘अंजुम’ को लाने का श्रेय मुझे जाता है। किन्तु मैं बहुत पीछे रह गया और ये इस क्षेत्र में बहुत आगे निकल गये।

आयकर आयुक्त श्री सुनील वाजपेयी ‘सरल’ का कहना था कि अलीगढ़ आने के बाद पहला अनुभव ये रहा कि पद्मभूषण गोपालदास नीरज जी से सम्पर्क हुआ और सुखद अनुभव यह है कि अशोक ‘अंजुम’ जी से भेंट हुई जिनसे कि मुझे भी लेखन की प्रेरणा मिलती रहती है। इसी के साथ डाॅ. सुदर्शन तोमर ने भी अपने विचार व्यक्त किए। अशोक ‘अंजुम’ ने सभी का आभार व्यक्त किया साथ ही अपनी लेखन प्रक्रिया के बारे में कहा कि हर व्यक्ति के जीवन में सुख-दुख, श्रृंगार, हास्य, ओज आदि होता है तो फिर कोई भी मुझ जैसा रचनाकार एक विधा में बंध कर नहीं रह सकता। मैंनें विभिन्न विधाओं में अपने आप को अभिव्यक्त किया है और पूरे मन से किया है। नाटक का यह लेखन भी इस श्रंखला की नवीनतम कड़ी है।

कार्यक्रम का सरस संचालन डाॅ. पूनम शर्मा ने किया।

कार्यक्रम में फादर जोसफ पसाला, फादर स्टेनली, डाॅ. दौलत राम शर्मा, कवि श्री सुधांशु गोस्वामी, श्री विद्याणव शर्मा, श्री पंकज धीरज, श्री रवीन्द्र शर्मा दुष्यंत, डाॅ. दिनेश चन्द्र शर्मा, मो. इरशाद, एडवोकेट भुवनेश पंडित, श्री अनुपम वशिष्ट, समाज सेविका श्रीमती वीना शर्मा, श्री कुरियाचिन, श्री एवं श्रीमती संदीप रूहेला, कहानीकार श्री योगेन्द्र शर्मा आदि के साथ संत फिदेलिस स्कूल के शिक्षक/शिक्षिकाएँ उपस्थित रहे।

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