दिलीप कुमार की लघुकथा – सुंदर नगरी
सब कुछ समेटा जा रहा था , आंदोलन समाप्त हो चुका था । आंदोलन से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह से जुड़े लोग भी अपने उन पुराने दिनों में लौटने की तैयारी में जुटे थे ,जिनको वो काफी पीछे छोड़ चुके थे ।
जिस तिराहे...
आभा अदीब राज़दान की लघुकथा – ठंडे पैर
“राधा मोज़े पहन लो ठंड लग जाएगी न तब फिर सबसे पहले तुम्हारी नाक बहना शुरू होगी और फिर तुम सारे घर को सिर पर उठा लोगी ।" मोहन जी बोले ।
"हाँ-हाँ पहन रही हूँ आज तो ठंड भी बहुत बढ गयी है निगोड़ी...
शीला मिश्रा की लघुकथा – समझौता
"मैं आपको मिसेज अवस्थी कहूँ तो.....?"यह सुनकर फ्रिज से दूध निकालती नीरा ने पलटते हुए किचन के दरवाजे पर खड़ी अपनी नई नवेली बहू डिंपल की ओर आश्चर्य से देखा.... डंक की तरह चुभते इस प्रश्न से उसके मन में गुस्सा वैसे ही उबलने लगा...
सपना चन्द्रा की लघुकथा – बिकाऊ
राहुल अपनी गायन की कला से शहर भर में प्रसिद्व था। किसी ने उसे महानगर के सपने दिखाए और चल पड़ा अपनी पीठ पर सपनों को लादकर।
धक्के खाते हुए दिन बीतते गए,किसी तरह मंच पर गायकी का कमाल दिखाने का उसे एक अवसर मिला।
गायकी...
रेखा श्रीवास्तव की लघुकथा – किसकी किस्मत !
घर में शादी की धूमधाम मची थी, तीसरे दिन बारात जानी थी। सुबह जब सब उठे तो नीलेश के पापा सीढियों के नीचे मृत पड़े थे।
घर में कोहराम मच गया। जितने मुँह उतनी बातें।
"लड़की के पैर अच्छे नहीं है, शादी तोड़ दें।"
"लड़की मनहूस है।"
"आ...
कमला नरवरिया की लघुकथा – स्पेशल दीपावली
इस बार विभा दीपावली की तैयारियां पूरे जोर-शोर से कर रही थी और वह करे भी क्यों ना, उसका बेटा कई वर्षों बाद विदेश से इस दीपावली घर आ रहा था। इसीलिए यह दीपावली उसके लिए स्पेशल दीपावली होने वाली थी । इसे और...