Tuesday, October 8, 2024
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विनीता शुक्ला की लघुकथाएँ

1 – पलटवार 
करोना आने के बाद, किट्टीपार्टी तो बंद हो गयी, किन्तु उसके सदस्यों कीऑनलाइन मीटिंग’, हर महीने, सुबह 11 बजे से, होने लगी. फोन पर ही, घरपरिवार की बातें, हो जातीं और औरतों वालीगॉसिपभी! निवेदिता उन दिनों, देर से, सोने लगी थी. चाहकर भी, नींद ना आती. यूँ ही कुछ, लिखतीपढ़ती रहती. किट्टी वाली मीटिंग के दिन, जब वह ऑनलाइन हुई; किट्टीसमूह की संचालिका, तारिका को, उसकी सूजी हुई आँखें और निस्तेज सा मुखड़ा, नजर आया. उसने पूछा, “निवेदितायू लुक टायर्ड
“हाँ…रात देर से सोई थी…शायद इसीलिये…”
अगली सभा में, फिर किसी ने पूछा, “थकी हुई, लग रही हो” तो उसने हंसकर टाल दिया. उसके बाद वाली, मीटिंग के लिए, वह पहले ही, सतर्क हो गयी. मीटिंग के पहले वाली रात, जल्दी- जल्दी काम निपटाकर; बिस्तर पर, पड़ रही. सभा में, वह ‘थकी हुई’, नहीं लगना चाहती थी. संयोग से उसे, अच्छी नींद आ गयी. उसने सुबह उठकर, आईने में, अपने चेहरे का, निरीक्षण किया. थकान के चिन्ह, कहीं नहीं थे. वह आश्वस्त हुई और घर के कामों में, लग गयी. नियत समय पर, उसने मुँह धोया और बाल संवारकर; किट्टी वाले, आयोजन से जुड़ गयी. चैताली ने उसे देखा और छूटते ही बोली, “ ओह निवेदिता… यू आर लूकिंग टायर्ड…कुछ दिक्कत है?” 
  निवेदिता पहले ही त्रस्त थी. उससे जब्त ना हुआ. व्यंग्य से हंसकर बोली, “मुझे लगता है, मेरा चेहरा ही, कुछ ऐसा बना है.” उसके कटाक्ष से, चैताली का, मुँह उतर गया. इसके बाद, किसी ने भी, निवेदिता की ‘थकान’ पर, कोई टिप्पणी नहीं की! 
2 – शो मस्ट गो ऑन
देवराज जी, आज कुछ देर से, ऑफिस पहुँचे. आज उनका ‘सही वाला’ जन्मदिन था. रात को बारह बजे, केक काटकर, शुभ दिन का, श्रीगणेश हुआ. ऑफिस के रिकॉर्ड में तो उनके ‘अवतरण दिवस’ की, कोई और ही तारीख दर्ज थी. इसी से अपने हर जन्मदिन पर, केक का कुछ हिस्सा, सहकर्मियों के लिए सुरक्षित रखते. 
कार्यस्थल पर, अजब सा सन्नाटा था. उनका सहायक, गैलरी में, किसी से बतिया रहा था. चौधरी जी उसे डपटकर, अपना मिजाज़, बिगाड़ना नहीं चाहते थे; सो चुप रहे. अपनी सीट पर आकर, उन्होंने चपरासी रौनक को, बुलाने के लिए, बज़र दबाया; किन्तु कोई प्रतिक्रिया नहीं! चौधरी जी कुछ हैरान हुए. केक बांटने के लिए, रौनक का होना, जरूरी था. वही तो हर साल, उनकी तरफ से, सबका मुँह, मीठा करवाता रहा. चौधरी साब कमरे से बाहर निकले. गैलरी के छोर पर, फाइल- स्टोर था. वहीं स्टूल पर, रौनक बैठा रहता. फिलहाल वह नदारद था. रिकार्ड्स- अफसर और अटेंडेंट, दिखाई पड़े. उनके चेहरों पर, मुर्दनी छाई थी. वहाँ कोई पुलिस- इन्क्वायरी चल रही थी.
पता चला कि रौनक, हमेशा की तरह जल्दी आया था. की- होल्डर से, कार्यालय की चाभियाँ लीं. सब कमरों के ताले खोले. फिर स्टोर में आकर, फांसी लगा ली!!  देवराज को गहरा धक्का लगा था. घर लौटकर, केक वाला डब्बा, जस का तस, पत्नी को थमा दिया.  श्रीमती जी ने, उन्हें अस्तव्यस्त पाकर; प्रश्नवाचक दृष्टि, उन पर गड़ा दी. 
 चौधरी जी अकबकाकर, दूसरी तरफ देखने लगे. पत्नी को क्या बताते कि कोई बन्दा, जानबूझकर; ऑफिस में, फंदा लगाकर, मर गया…क्योंकि वह कार्यालय वालों की, सहानुभूति चाहता था. लोग चंदा जमा करके, उसके घरवालों को, कुछ न कुछ पैसे, अवश्य देंगे. जिनसे उसने उधार लिया था, वे भी अपने पैसे वापस मांगकर, उसके परिवार को सताने से डरेंगे…  सरकारी मुलाजिम को प्रताड़ित करके, आत्महत्या की कगार तक,पहुँचाने का इलज़ाम, कौन अपने सर लेगा?!  उसका नाकारा बेटा,खुद पर शर्मिंदा होगा.सम्भवतः,पिता के स्थान पर,कृपा- नियुक्ति भी पा जाए!
देवराज ने पाया, श्रीमती जी अब भी, उन्हें घूर रही थीं. मन कह रहा था- ‘ यह कैसी  दुनिया- जहाँ पारिवारिक- कर्तव्यों के नाम पर… इन्सान की बलि चढ़ जाती है !!’ उन्होंने स्वयं को सहेजा. वे भी तो तो सदा… कुटुंब की खुशियाँ, बनाये रखना चाहते थे; उनको रंग में भंग, नहीं करना था! चौधरी जी पत्नी से बोले, “थोडा थक गया हूँ…ऑफिस में कुछ इशू था…बट लेट अस सेलिब्रेट…शो मस्ट गो ऑन!” 

विनीता शुक्ला 
प्रकाशित कृतियाँ –
१- अपने- अपने मरुस्थल (कहानी संग्रह)
२- नागफनी (कहानी संग्रह) 
३- एक्वेरियम की मछलियाँ(कविता संग्रह)
४- विविध पत्र- पत्रिकाओं एवं वेबसाइटों (नामान्तर, निकट, व्यंग्य- यात्रा, राष्ट्रधर्म, उत्पल, विभोम- स्वर, उपनिधि, वनिता, जागरण सखी, मेरी सहेली, दि अंडरलाइन, शब्दांकन, विश्व हिंदी साहित्य, सोच- विचार, किस्सा- कोताह,कथारंग वार्षिकी) 
 आदि में रचनाएं प्रकाशित 
विशेष –
१- आकाशवाणी कोची के लिए अनुवाद कार्य 
२- उ.प्र. हिंदी संस्थान द्वारा पं. बद्री प्रसाद शिंगलू पुरस्कार प्रदत्त (सन् २००६)
३- विभिन्न पत्रिकाओं( मेरी सहेली, वनिता) द्वारा पुरस्कृत 
४- ओपन बुक्स ऑनलाइन द्वारा सितम्बर माह (२०१२) की सर्वश्रेष्ठ रचना का पुरस्कार
५- गद्य- कोश में रचनाएं संकलित   
६ – २०१८ का साहित्यगन्धा कथा लेखिका सम्मान 
७- आकाशवाणी लखनऊ से कवितायें प्रसारित (२३-८-१९)
८- प्रेरणा परिवार पुवायां द्वारा मैथिलीशरण गुप्त स्मृति सम्मान (२०२१) एवं मैत्रेयी सम्मान (२०२१) प्रदत्त 
९- प्रखरगूँज प्रकाशन द्वारा लघुकथा प्रखर साहित्य सम्मान (२०२०) प्रदत्त 
१०- विश्व हिंदी अकादमी मुम्बई एवं अबीर एंटरटेनमेंट द्वारा राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय कहानी प्रतियोगिता २०२० 
में सम्मानित 
११- चंडीगढ़ लिटरेरी सोसाइटी द्वारा आयोजित, वार्षिक लघुकथा प्रतियोगिता (२०२१) (हिंदी) की विजेता 
१२- ‘विश्व पुस्तक मेला- २०२४’ में लोकार्पित कथा संग्रह ‘गुमशुदा क्रेडिट कार्ड्स में, कहानी ‘टीस ‘ संकलित 
मोबाइल- (०) ९४४७८७०९२०
१३- आकाशवाणी कोचीन से, साक्षात्कार का प्रसारण
१४-‘द हिन्दू’(कोचीन)समाचार – पत्र द्वारा,  साक्षात्कार प्रकाशित 
ई मेल – [email protected]
पत्राचार का पता- टाइप ५ /९ एन. पी. ओ. एल. क्वाटर्स, ‘सागर’ रेजिडेंशियल काम्प्लेक्स, पोस्ट – त्रिक्काकारा, कोची- ६८२०२१(केरल)
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