आजकल के परिवेश में रामचरित मानस और राम, सीता और लक्ष्मण के चरित्र को जनमानस तक पहुँचाने का प्रयास जब नगण्य हो गया है, ये शोध लेख कर कौतुहल जगा और आनन फानन में मैं पूरा लेख पढ़ गया l मानस में भले ही माता माया हों लेकिन जन जन के हृदय रूपी मंदिर में भक्ति भाव के अक्षुणण भाव से सुशोभित हैं l लेखिका ने प्रमाण सहित जिस परिपक्वता से लेख सृजन किया है वह उनकी घोर लेखन तपस्या को स्वतः मुखरित कर रहा है l मेरा सुझाव मात्र यही है कि थोड़ा और सरल विश्लेषण साधारण बोलचाल के शब्दों को लेकर करें ताकि किसी को भी शब्दों से डर न लगे l शानदार प्रस्तुति हेतु हृदय से बधाई और आशीर्वाद…
आजकल के परिवेश में रामचरित मानस और राम, सीता और लक्ष्मण के चरित्र को जनमानस तक पहुँचाने का प्रयास जब नगण्य हो गया है, ये शोध लेख कर कौतुहल जगा और आनन फानन में मैं पूरा लेख पढ़ गया l मानस में भले ही माता माया हों लेकिन जन जन के हृदय रूपी मंदिर में भक्ति भाव के अक्षुणण भाव से सुशोभित हैं l लेखिका ने प्रमाण सहित जिस परिपक्वता से लेख सृजन किया है वह उनकी घोर लेखन तपस्या को स्वतः मुखरित कर रहा है l मेरा सुझाव मात्र यही है कि थोड़ा और सरल विश्लेषण साधारण बोलचाल के शब्दों को लेकर करें ताकि किसी को भी शब्दों से डर न लगे l शानदार प्रस्तुति हेतु हृदय से बधाई और आशीर्वाद…