राजस्थान के सिनेमा के इतिहास में जो लम्बे समय से सूखा सा पड़ा हुआ था उसमें अब पिछले तीन-चार सालों से फिर सिनेमाई फूल खिलने लगे हैं। अब तेजी से विकास की ओर बढ़ने के साथ ही तेजी से फ़िल्में रिलीज़ करने जा रहे हैं राजस्थान के सिनेमा निर्देशक, निर्माता। इन निर्देशकों को सहारा मिला है अब हरियाणा के एक मात्र रीजनल ओटीटी प्लेटफार्म स्टेज एप्प का। स्टेज एप्प ने हरियाणवी फ़िल्में और वेब सीरीज एक के बाद एक धुंआ धार तरीके से दर्शकों के सामने रखी है। अब इन्होंने अपने पांव फैलाए हैं राजस्थान की ओर। हरियाणा के क्षेत्रीय सिनेमा को विकसित करने के इरादे से ओटीटी के मार्केट में आए स्टेज के निर्माता राजस्थान में भी क्षेत्रीय सिनेमा को जीवन देने जैसी बातें करते दिखाई देने लगे हैं पिछले कुछ अरसे से। इसके बाद वह दिन दूर नहीं जब ये लोग भोजपुरी या दूसरी भाषाओं को भी अपने यहां स्थान देने लगेंगे। 
राजस्थान के सिनेमा इतिहास में पहली बार वेब सीरीज बनाकर इतिहास रचने जा रहे फिल्म निर्देशक पंकज सिंह तंवर से युवा फिल्म समीक्षक तेजस पूनियां की कुछ अंतरंग बातचीत हुई जिसका कुल निचोड़ आपके सामने है। 
राजस्थान में फिल्मों को लेकर एक समय तक जो सूखा सा पड़ा हुआ था ऐसे में हम वेब सीरीज लेकर आ रहे हैं। फिर ये तो जग ज़ाहिर है कि जब इंसान की प्यास बहुत अधिक होती है और उसे मटकी का ठंडा पानी सिर्फ़ एक गिलास ही मिल जाए तो उसे बहुत अधिक तृप्ति का अनुभव होता है। मेरे हिसाब से ठीक वैसा ही है ये भी। दर्शकों को भी एक अच्छे प्रयास की प्यास है। चूंकि हमारा राजस्थानी दर्शक जिसमें हम सब भी आते हैं और सब क़िस्म का कंटेंट देख सब देख ही रहे हैं। चाहे फिर वो किसी भी भाषा में हो।फ़िलहाल वो अपनी प्यास बड़े प्लेटफार्म्स जैसे नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम आदि से बुझा रहे हैं और इन सभी के बीच अगर उन्हें सिर्फ़ इतना सा भी पता चले कि उन्हीं के बीच से उन्हीं की अपनी भाषा में, उनकी पसंद के आसपास का कुछ आने वाला है तो उनमें उत्सुकता ज़रूर बनेगी। बस इस जानकारी को अच्छे से लोगों तक पहुंचाना होगा। तभी यह सूखा पूरी तरह खत्म हो सकेगा। वरना आप चाहे जितना भी बना लें अगर बाहर न आया ठीक से तो कोई मतलब नहीं।
इस सीरीज में कास्टिंग भी इसी तरह की गई है कि जितने भी कलाकार आपको नज़र आएँगे वो सभी राजस्थानी भाषा-भाषी है। राजस्थान उनकी जन्म स्थली है, कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी सफलता की सीढ़ी यहीं से चढ़नी शुरू की थी। इस।  सभी राजस्थानी कलाकार देखने को मिलेंगे। हालांकि कास्टिंग जोधपुर, जयपुर, उदयपुर, मुंबई सभी जगह से की गई है।  लेकिन उनकी जड़ें राजस्थान से हैं।  और ये भी ध्यान रखा गया है कि भिन्न – भिन्न  जगह से भिन्न -भिन्न  कलाकार शामिल हों ताकि हर कलाकार अपनी तरफ़ से जब कभी सीरीज के बारे में बात करे तो सीरीज के बारे में ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक यह जानकारी फैले की राजस्थानी सिनेमाई इतिहास में पहली बार ऐसा कुछ बनने जा रहा है और यह भी एक इतिहास ही होगा अपने आप में।
एक पॉलिटिकल क्राइम थ्रिलर इस सीरीज में देखने मिलेगा दर्शकों को जिसमें सरपंच की कुर्सी के लिए उठा पटक के साथ ही आपसी बैर, रंजिश को समेटे हुए कहानी होगी।
स्टेज एप्प पर पहली बार राजस्थानी कंटेंट वेब सीरीज के माध्यम से आ रहा है। स्टेज जैसा की अपने नाम से ही स्पष्ट है ‘मंच’ अपने नाम को ये बखूबी सार्थक भी कर रहा है। बहुत सारे लोगों को मंच प्रदान करके। हरियाणा में ये एक स्थापित नाम अब हो चुका है जिसे सभी जानते हैं। हरियाणा के बाद अब राजस्थान की ओर स्टेज रुख़ कर चुका है, फिर स्टेज का फ़ोकस रीजनल भाषा में कंटेंट को दर्शकों तक लाना है। मुझे पूरी उम्मीद है कि स्टेज जैसे हरियाणा में सफलता के झंडे गाड़ चुका है वैसे ही राजस्थान में भी सफल रहेगा।
वहीं आने वाले समय में मुझे लगता है कि दूसरी कई रीजनल भाषाओं में भी यह अपना वर्चस्व स्थापित करेगा। पहली बार राजस्थानी भाषा में वेब सीरीज लाने का मौक़ा देकर तथा जोखिम भरा काम करके स्टेज ने मुझ जैसे कई सारे कलाकारों को जो रोज़मर्रा की ज़िंदगी में अपने पैशन को फ़ॉलो कर रहे हैं, को बहुत बड़े दर्शक वर्ग के सामने लाकर खड़ा कर दिया है।
इस ज़िम्मेदारी को समझते हुए हम पूरी ईमानदारी से इस सीरीज को दर्शकों के सामने लाने का प्रयास करेंगे। साथ ही राजस्थान के समस्त कलाकारों की तरफ़ से मैं धन्यवाद भी देना चाहूंगा कि अब हम भी अपने प्रयास स्टेज के मार्फ़त सभी के सामने रख पाएँगे। मुझे पूरा विश्वास है स्टेज को राजस्थान से भी भरपूर प्यार मिलेगा जैसे हरियाणा से मिला।
कब तक यह सीरीज देखने को मिलेगी और इसमें स्टार कास्ट क्या रहेगी, के जवाब में सीरीज के लेखक, निर्देशक तथा स्क्रीप्ले लिखने वाले पंकज सिंह तंवर का कहना है कि- हमारा पूरा प्रयास है कि जल्द से जल्द सीरीज दर्शकों के सामने हम लोग लेकर आ सकें। अभी फ़िलहाल कोई रिलीज़ का दिन तय नहीं हुआ है। लेकिन अब ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा दर्शकों को। इतना तो तय है कि राजस्थानी सिनेमा के इतिहास में पहली बार वेब सीरीज बनने के बाद हम लोग उस इतिहास के प्रथम योद्धा होंगे।
कलाकारों की बात करूं तो सभी कलाकार कहीं ना कहीं  मुख्य सिनेमा या कहें ओटीटी से जुड़े हुए कलाकार हैं। साथ ही ये राजस्थान में अपनी एक पहचान रखने वाले कलाकार हैं। जिनमें शैलेंद्र व्यास (फ़्लाइंग जट्ट, परमावतार श्री कृष्ण इत्यादि), पंकज शर्मा (पपिया फ़ेम), जितेंद्र सिंह राजपुरोहित (बंदिश बैंडिट, स्कैम सीज़न – 2 इत्यादि ), योगेश परिहार (क्राइम पैट्रोल फ़ेम), अविनाश कुमार (एक था रावण एक थी रानी फ़ेम), प्रिया गुप्ता (सोना बाबू फ़ेम), जागीरदार आर वी (इंडिया गोट टैलेंट फ़ेम ), नेमी चंद (नमक) आदि इसमें शामिल होगें। इस तरह से हम एक मजबूत टीम तैयार करने की कोशिश की है।
राजस्थानी सिनेमा में अपार संभावनाएँ और गुजाईशें हैं। यह एक ऐसी सोने की खदान है जिसे अभी तक कोयला समझा जाता रहा है। ना जाने कितनी अनगिनत कहानियां यहाँ दफ़न हैं जिन्हें दर्शकों के सामने लाया जा सकता है। बढ़िया कलाकार और लोग भी हैं यहां बस उन सभी पर विश्वास दिखाने वाला कोई चाहिए। दर्शक इंतज़ार में हैं और मेरे नज़रिए से कहूं तो बढ़िया है और आने वाला समय ज़बरदस्त है राजस्थानी सिनेमा के लिहाज से।
इस वेब सीरीज के बाद बदलाव कितना आएगा ये कह पाना तो जल्दबाज़ी होगी। हां प्रयासों में सुधार की गुंजाइश ओर बढ़ेगी ये पक्का है। फिर चाहे वो हमारे खुद के लिए हो या फिर अन्य कलाकारों के लिए। हमारे प्रयास से हो सकता कोई लोग सरोकार करे कोई ना करे परंतु हमारे प्रयास के बाद अन्य फ़िल्ममेकर भी प्रयास करेंगे और बढ़िया कंटेंट लाने की कोशिश तेज होगी जो कि फ़िलहाल हमारे राजस्थान के सिनेमा की सबसे बड़ी ज़रूरत है।
राजस्थानी सिनेमा के पिछड़ने का मूल कारण और समस्या है उसका समय के साथ खड़े न रह पाना। मेरे लिहाज़ से सबसे बड़ा फ़ैक्टर भी यही है कि हम समय के साथ नहीं चल सके। दूसरे नजरिए से कहा जाय तो इस वजह से हम पिछड़े नहीं है बस ज़माना आगे चल रहा है बहुत। क्योंकि  अगर हम राजस्थानी फ़िल्म्स की बात करें तो कुछ समय से ज़्यादातर कंटेंट जो भी बनता है तो पता नहीं क्यों ऊँट, टीला, टीलों पे कालबेलिया, लोक गायक, धोती कुर्ता आदि चीजें ख़ासतौर पर जो राजस्थान का प्रतिनिधित्व कर रही है। उन्हीं के इर्द गिर्द कहानियां सामने आती रहीं।
हीरो साफ़ा लगा कर ही घूमेगा, किसी टीले की झोपड़ी में ही रहेगा आदि चीजें फ़िक्स सी हो गई है। परंतु हक़ीक़त बहुत अलग है। आप और मैं राजस्थान से हैं, राजस्थानी बोलते हैं पर जीवन यापन आज के समय के हिसाब से कर रहे हैं नहीं? बस यही बात पर्दे पर लानी है। हमारी ट्रेड मार्क चीजें हम दिखाएँगे ज़रूर दिखाएँगे पर आज के हिसाब से।आज का राजस्थान नेटफ्लिक्स जैसे ओटीटी देखता भी है और उस पर बात भी करता है। वो समय के साथ चल रहा है पर सिनेमा पीछे रह गया है। बस अपडेट होने की ज़रूरत है।
बाकी यही कहूंगा कि बतौर निर्देशक मुझे मेरी टीम पर ज़बरदस्त भरोसा है। फ़िल्म मेकिंग पूरा एक टीम गेम है।एक अच्छी टीम बहुत कुछ करने में सक्षम होती है और मुझे पता है कि मेरी टीम की ओर से इस प्रयास में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं रहने वाली। सभी लोग पूरे जी जान से इसे सफलता पूर्वक बनाने में लगे हैं। इतनी अच्छी टीम का जब मुझ पर भरोसा है तो मैं पूरे भरोसे से कह सकता हूँ कि हम अच्छा ही करेंगे। निर्देशक के तौर पर मैं कॉन्फ़िडेंट हूँ पर थोड़ी सी सरसराहट भी अंदर है, रहनी भी चाहिए इससे मैं मानता हूं कि काम के प्रति फोकस बना रहता है। बाकी सीखने का सिलसिला जारी है, सीखता रहूँगा, प्रयास करता रहूँगा। जैसी भी प्रतिक्रियाएं मिलेंगी उनका स्वागत है सदा। प्रतिक्रियाओं से आपको मालूम रहता है कि आप कितना अच्छा या कहां गड़बड़ कर रहे हैं।

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