उत्तर प्रदेश के देवरिया जिला स्थित ग्राम सजांव में जन्मे पीयूष कुमार दुबे हिंदी के युवा लेखक एवं समीक्षक हैं। दैनिक जागरण, जनसत्ता, राष्ट्रीय सहारा, अमर उजाला, नवभारत टाइम्स, पाञ्चजन्य, योजना, नया ज्ञानोदय आदि देश के प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक व साहित्यिक विषयों पर इनके पांच सौ से अधिक आलेख और पचास से अधिक पुस्तक समीक्षाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। पुरवाई ई-पत्रिका से संपादक मंडल सदस्य के रूप में जुड़े हुए हैं।
सम्मान : हिंदी की अग्रणी वेबसाइट प्रवक्ता डॉट कॉम द्वारा 'अटल पत्रकारिता सम्मान' तथा भारतीय राष्ट्रीय साहित्य उत्थान समिति द्वारा श्रेष्ठ लेखन के लिए 'शंखनाद सम्मान' से सम्मानित।
संप्रति - शोधार्थी, दिल्ली विश्वविद्यालय।
ईमेल एवं मोबाइल - sardarpiyush24@gmail.com एवं 8750960603
वीना जी ने बहुत बढ़िया ढंग से प्रत्येक प्रश्नों के उत्तर दिये
ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जैसे किस साहित्य की देवी खुद चलकर ज्ञान दे रही है।
वीना जी का साहित्य के प्रति नजरिया ही अलग है। पुरवाई टीम का यह बहुत अच्छा फैसला था कि उन्होंने इस श्रृंखला में वीना जी को शामिल किया।
वे युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा है क्योंकि वह हर रोज कुछ नया लिखती हैं।
साहित्य के क्षेत्र में इसी तरह अपना परचम लहराती रहे यही हमारी कामना है वे स्वस्थ रहें और खुश रहें।
आदरणीय बीना जी
ऐसा प्रतित हो रहा था मानो हम सामने बैहकर आपको सुन रहें हैं. बहुत ही बढिया और मार्मिक विचार!!!
आदरणीय दुबे जी आपका बहुत धन्यवाद ☺️
rinku chatterjeeप्रश्न सटीक हों तो उत्तर भी सार्थक होते हैं। पुरवाई की खासियत है कि बहुत ही अलग और मानीखेज़ विषयों पर विस्तार से चर्चा करती है। इस सराहनीय योगदान के लिए पुरवाई टीम और वीणा जी को साधुवाद
प्रो. बिना शर्मा जी का यह साक्षात्कार अति प्रबुद्ध होने के साथ ही व्यावहारिक भी है। आदरणीय बीना दीदी ने सभी प्रश्नों का सारगर्भित समाधान प्रस्तुत किया है। बन्धुवर श्री दुबे जी के प्रश्न आज के समय और हिन्दी की वास्तविक स्थिति के अनुरूप हैं, जिनसे वैश्विक स्तर पर भी हिन्दी के सभी पक्षों की चुनौतियों के समाधान खोजने के द्वार खुल से गये हैं।