“चिंटू जिद नहीं करते.. कहा न बर्थडे घर पर ही मनायेंगे । कोई होटल-वोटल नहीं ।” नेहा ने चिंटू को अपना अंतिम फैसला सुनाया ।
चिंटू की जिद है कि इस बार उसका बर्थडे रीगल होटल में सेलीब्रेट किया जाये । रीगल होटल कोई छोटा-मोटा होटल नहीं है । अभी अगले क्वार्टर की स्कूल फीस जमा करनी है । एक झटके में बचत का बेलेंस बिगड़ जायेगा । कितनी मुश्किल से घर चल रहा है, ये नेहा और विक्की ही जानते हैं । प्रायवेट नौकरी में मिलता ही कितना है । खून चूस लेते हैं आदमी का । सेलरी इतनी ही देते हैं कि अगले महीने तक चूसने लायक खून शरीर में बन जाये । वो तो विक्की की मां की पेंशन न होती, तो चिंटू को अंग्रजी मीडियम स्कूल में पढ़ाना, एक सपना ही रह जाता । बच्चे पैसे की कीमत क्या जानें ।
“पर मम्मी, मेरे दोस्त विशाल ने भी तो अपना बर्थडे होटल में मनाया था… प्लीज मम्मी ।” चिंटू रूआंसा हो गया ।
“चिंटू अब तुम पिटने वाले हो । कल से समझा रही हूं, तुम्हारी समझ में नहीं आ रहा है । नहीं यानी नहीं ।” नेहा ने चिंटू का कान जोर से मरोड़ दिया । थप्पड़ के लिए हाथ उठा ही था कि सासू मां आ गई ।
“क्या बात है.. क्यों पीछे पड़ी है सबुह से चिंटू के ?”
“कुछ नहीं मां फालतू की जिद कर रहा है । होटल चलो । वहां बर्थडे मनायेंगे ।”
तभी नेहा के पतिदेव विक्की भी आगये । नेहा का समर्थन करते हुए बोले – “मां, कुछ नहीं ये आउटिंग-वाउटिंग आजकल की सब चोचले बाजी है । आप हमारे जन्मदिन पर खीर- पूरी बना देती थीं, टीका-पटा कर दिया, और हो गया बर्थडे । चिंटू बेटा, मम्मी ठीक ही तो कह रही हैं क्या करेगा होटल में ? न कोई तुझे जाने न हमें पहचाने । घर में कम से कम तेरे दो चार दोस्त तो रहेंगे ।”
“पापा आप नहीं समझोगे.. होटल में खाने के साथ बर्थडे बॉय को केक “फ्री” में मिलता है ।” चिंटू ने ठुनकते हुए पैर पटके ।
“बेटा ! वो खाने के पैसों में केक की कीमत वसूल कर लेते हैं । कोई फ्री में कुछ नहीं देता ।” विक्की ने चिंटू के फ्री वाले भ्रम को दूर करने की कोशिश की, और फेक्ट्री के लिए निकल गया ।
बाल हट । चिंटू की अंतिम आस अब दादी थीं । उनकी बात घर में कोई नहीं टालता ।
“दादी प्लीज.. आप मम्मी-पापा को कहिए न होटल चलें । दोनों आपका कितना कहना मानते हैं । बस एक बार प्लीज, मेरी प्यारी दादी…”
पोते की मनुहार से अब तक दादी केंडी आइसक्रीम की तरह पिघल चुकी थीं ।
“ठीक है । मैं ले चलूंगी अपने चिंटू को होटल । हम वहीं मनायेंगे तुम्हारा जन्मदिन । अब रोना धोना बंद करो ।” चिंटू दादी से लिपट गया ।
“मां…” नेहा का मुंह खुला रह गया । ये रीगल होटल चलने की कह रहा है । बड़ा महंगा है । आप कहां इसकी बातों में आ रही हैं ।”
चिंटू को महंगे सस्ते से कोई मतलब नहीं था । दादी की मंजूरी मिल गई । उसकी खुशी का तो ठिकाना ही नहीं रहा । नेहा परेशान थी । मां जी को अंदाजा नहीं है । अभी बैठे ठाले चार-पांच हजार रूपये फिजूल में खर्च हो जायेंगे ।
नेहा को मालूम है, मां जी के पास एक “आपात कोष” है, जिसे वो अक्सर घर पर आये अकस्मात संकट के दिनों में इस्तेमाल करती हैं । हो सकता है, इस बार वो खुशी के मौके पर इसी में से कुछ खर्च करने की सोच रही हों ।
“ये पहली और आखरी बार है चिंटू… । इसके बाद प्रॉमिस करो ऐसी जिद कभी नहीं करोगे । और सुनो होटल में कोई बदमाशी नहीं । तमीज से रहना । ये जो चपर-चपर की आवाज तुम्हारे मुंह से खाते समय आती है, मुझे वहां नहीं सुनाई देनी चाहिए ।” चिंटू को मम्मी की सारी शर्तें मंजूर थीं ।
वेटर ने मीनू कार्ड टेबल पर रखा । कार्ड में ढेर सारी डिशेज थीं । वेज । नॉनवेज । रेट भी ऊंचे । चार लोगों के लिए, कम से कम आइटम बुलाने पर भी, टोटल तीन हजार के आसपास आ रहा था । नेहा और विक्की तो मां जी के भरोसे ही होटल आये थे । महीने के आखरी दिनों में तो बजट वैसे ही गड़बड़ा जाता है ।
“क्या सोच रही हो बहू ? जो बुलवाना है, जल्दी बोलो । वेटर बेचारा कबसे खड़ा है ।” मां जी ने वेटर को आभार भरी नजरों से देखा ।
नेहा ने वेटर को खाने का ऑर्डर दिया, तभी चिंटू ने पिज्जा की फरमाइश कर दी ।
“ठीक है भैया एक स्मॉल पिज्जा भी ले आइये ।” नेहा ने ऑर्डर फाइनल कर दिया ।
“अंकल..…वो फ्री वाला बर्थडे केक भी लाना ।” फ्री केक तो चिंटू की बर्थडे का मेन एट्रेक्शन था, उसे कैसे भूल सकता था ।
“ओह.. तो आपका बर्थडे है ?” वेटर ने चिंटू से मुस्कुराते हुए पूछा ।
“जी…”
“क्या नाम है आपका ?”
“चित्रांश और घर का चिंटू”
“हेप्पी बर्थडे चित्रांश…” वेटर ने चिंटू को हेप्पी बर्थडे विश किया । चिंटू का बर्थडे केक पक्का हो गया ।
चिंटू ने केक काटा । बर्थडे सॉंग भी हुआ । विक्की ने फोटो खींची । अनमोल पल हैं । पता नहीं फिर कब आना नसीब होगा रीगल होटल में । होटल की जिद थी तो चिंटू की, पर एन्जॉय सबने किया । कई बार रूटीन से हटकर की गई चीजें, जीवन में नया उत्साह उमंग पैदा कर देती हैं । मेनकोर्स खत्म हुआ ।
“डेजर्ट में क्या लेना पसंद करेंगे ?” वेटर ने पूछा
“मम्मी आइसक्रीम…”
“नहीं । बस हो गया ।”
“दादी प्लीज…” चिंटू ने कमजोर कड़ी, दादी की ओर देखा ।
“कह रहा तो बुलवालो न बहू…”
“नहीं मां जी । आइसक्रीम खायेगा, गला खराब कर लेगा । नेहा जानती थी इस डेजर्ट के चक्कर में बिल और बढ़ जायेगा ।
“भैया आप तो बिल ले आईये ।”
सौंफ के साथ वेटर ने बिल दिया ।
“कितने पैसे हुए बहू ।” मां जी ने पूछा ।
“तीन हजार रूपये” नेहा तीन बार अटकी इसे कहने में ।
वेटर ने टोका – “मेडम हमारे होटल में एक स्कीम चल रही है । बर्थडे पार्टी में शामिल जिस गेस्ट की उम्र सबसे ज्यादा होती है, हम उसकी उम्र के बराबर बिल में डिस्काउंट देते हैं । एज प्रूफ के लिए यदि माता जी के पास पेनकार्ड है, तो आपको भी डिस्काउंट मिल जायेगा ।”
“क्या…?” विक्की और नेहा के मुंह से एक साथ शब्द निकले । जैसे शॉक लगा हो । कोई लॉटरी खुल गई हो । तीन हजार रूपये के बिल पर साठ परसेंट डिस्काउंट ।
मां जी ने अपना पर्स खोला । उनका पर्स क्या है, एक छोटी सी दुनिया है उसके अंदर ।
पेनकार्ड, डेबिट कार्ड, उनके संदूक की चाबी, पेंशन की पास बुक, चश्मा, दवाई का पर्चा, सब कुछ है इस छोटे से पिटारे में, जिसे वो हमेशा अपने पलंग के सिराहने रखती हैं ।
साठ पार की हो गई हैं मां । साठ परसेंट का डिस्काउंट पक्का हो गया । मां जी ने “पेन कार्ड” वेटर को दिया और पूछा – “डेजर्ट में वनीला आइसक्रीम है क्या ?” नेहा, विक्की चिंटू खिलखिला उठे ।
“ऐसा धमाकेदार चिंटू का बर्थडे, कभी सोचना न था । एक सेल्फी तो बनती है । वेटर भाई आप भी आइये” विक्की ने यादगार सेल्फी ली ।