होम कविता सुमन शर्मा की दो कविताएँ कविता सुमन शर्मा की दो कविताएँ द्वारा सुमन शर्मा - July 4, 2021 190 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet 1 – रिमझिम रिमझिम बूँदें रिमझिम रिमझिम बूँदें बरसें, सात सूरों की सरगम पर छमछम छमछम राग रागिनियाँ लरजतीं मधुर धुन मुरली पर। उमड़ घुमड़ कर बादल गरजें घिर आयें घनघोर घटायें, मदमस्त हवायें संदेसे लायें, फूल खिलायें,मन महकायें। चमक चमक कर,दामिनी दमके, बनकर आहट घन आयें, बिजुरिया चपला मन बहकाये, याद वो भूली प्रिय की लाये। प्यासी धरा हुई संदल जल, तरू तृण उज्ज्वल चंचल नाचे मयुरा,जन मन डोले, करे सराबोर,बनकर बौछार, सकल जगत को ईश्वर का प्यार। 2 – मन परिंदा मन परिंदा उड़ उड़ जाये, वापस लौट न आना चाहे। अपनी सुहानी दुनिया इसकी, सपनों के जिसमें महल बनाये। प्रीत सुहानी रीत निराली, जग की वो न कोई रीत निभाये। कभी न कोई इसको जाना, कब किस पर फ़ना हो जाये। ज्यों सागर में लहर समाये, खुद अपना अस्तित्व मिटाये। दूर देश तेरे उड़ उड़ आये, आकर के तुझमें रम जाये। छल बल से वश में न आये, थाह ना इसकी कोई पाये। टूटे जब फ़रेब कोई पाये, चुपचाप अकेले अश्क़ बहाये। चाहे किसी से कुछ न पाये, करे न शिकवा,अपने में समाये। मन बावरे को कौन समझाये, कभी राधा कभी मीरा बन ध्याये। धूनी नाम की अलग रमाये। भीतर अपने अलख जगाये। संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं हिंदी भाषा पर मधु शृंगी की कविता प्रीति रतूड़ी की कविताएँ सरिता मलिक की कविताएँ कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.