होम कविता कल्पना मनोरमा के प्रभु राम पर केंद्रित दोहे कविता कल्पना मनोरमा के प्रभु राम पर केंद्रित दोहे द्वारा कल्पना मनोरमा - January 6, 2024 102 1 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet राम एक विश्वास हैं, नहीं धर्म का नाम। जो ध्याता जैसे उन्हें, दिखते वैसे राम।। 1 रीति नीति पर चले थे, रघुकुल दीनानाथ। पूजक केवल देखता, रघुनंदन का हाथ।। 2 वनवासी हो राम ने,जंगल किया सनाथ। शबरी,बाली को मिले, प्रेमी भ्राता साथ।। 3 मर्यादा टिकती तभी,जब हो त्यागी वीर, कौशल्या के राम ने, मन में साधा धीर।।4 रामलला के भवन में, उतरेंगे राकेश बिजनी डोले पवन उड़, मुस्काए शैलेश।।5 हा लक्ष्मण! हा राम रे! कहां गए तुम लोग। मन चातक रट रट मरा, जीवन जैसे घोग।।6 राम नाम का बोलना, राम नाम की आस। त्याग तपस्या लगे जो, राम बसे हैं पास।। 7 जनम सफ़ल होगा तभी, जब आएगा धैर्य। सीख लिया जो धैर्य को, मन आए स्थैर्य।। 8 मर्यादा में डटे थे, रघुकुल आनंदकंद जिसने देखा कह उठा, पुष्प बीच मकरंद।।9 राम लला मां जानकी,लक्ष्मण प्यारे तात। दशरथ जैसे विटप पर, लगते ऐसे पात।। 10 सिया सलौनी चल पड़ीं, महल अटारी छोड़ कंचन मृग मरीचिका, पाई अंधे मोड़।।11 दशरथ के सुत चार हैं, कौशल्या सुत एक राम बिना उनको मिले, दुख के रूप अनेक।।12 रची न होती ऋषी ने, राम कथा अनमोल कैसे मिलता जगत को, मर्यादा का मोल।।13 तुलसी ने रुचि रुचि लिखा, चरित राम मकरंद कामी क्रोधी जो पढ़े, पा जाए आनंद।।14 अविरल धारा सत्य की, बहती सरयू संग रघुकुल में शामिल हुए, सात्विक गुण सारंग ।।15 – कल्पना मनोरमा – संपर्क – kalpanamanorama@gmail.com संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं शोभा प्रसाद की तीन कविताएँ सावित्री शर्मा ‘सवि’ की कविता – चुनावी रंग दीपमाला गर्ग की कविता – ज़िंदगी के इम्तहान 1 टिप्पणी बहुत सुंदर दोहे , जय सिया राम जवाब दें कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.
बहुत सुंदर दोहे , जय सिया राम