ब्रिटेन की वर्तमान प्रधानमंत्री लिज़ा ट्रस ने कहा कि महारानी की मृत्यु देश और दुनिया के लिए बहुत बड़ा सदमा है। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय वह शिला थीं जिस पर आज के ब्रिटेन का निर्माण हुआ है… उनके शासन-काल में हमारा देश विकसित हुआ और फला-फूला है।

गुरूवार रात आठ बज कर पचास मिनट पर मैंने वॉटफ़र्ड हाई स्ट्रीट स्टेशन पर अपनी शिफ़्ट ख़त्म की और प्लैटफॉर्म नंबर एक पर अपनी गाड़ी पकड़ने के लिये आ खड़ा हुआ। 
वहां एक आम इन्सान हाथों में फूलों का गुलदस्ता लिये खड़ा था। मैंने उससे पूछा, “ये फूल ले कर कहां जा रहे हो? उसने बहुत सादग़ी से कहा – बकिंघम पैलेस!
मेरी आंखें नम हो आईं… मैं सोचने लगा कि इस इन्सान का महारानी एलिज़ाबेथ के साथ कोई नाता नहीं… यह कभी उससे जीवन में मिला नहीं… फिर इतनी रात को गाड़ियां बदलते हुए वॉटफ़र्ड से बकिंघम पैलेस केवल श्रद्धा-सुमन पेश करने के लिये जा रहा है। इसे किसी प्रकार की तकलीफ़ का कोई अहसास नहीं।  
वॉटफ़र्ड से बकिंघम पैलेस जाना ठीक वैसे ही है जैसे कि फ़रीदाबाद से कनॉट प्लेस जाना। मगर यहां कोई सीधी रेलगाड़ी या मेट्रो नहीं। तीन तीन गाड़ियां बदलने के बाद पैदल भी चलना। सोचने को मजबूर हो गया कि महारानी एलिज़ाबेथ के लिये आम आदमी के मन में कितना आदर और स्नेह है। 
हम दोनों एक दूसरे से महारानी के बारे में बातें करते रहे। पुरवाई के पाठकों को बताना चाहूंगा कि इस साल महारानी ने अपने शासन काल के सत्तर वर्ष पूरे किये। और मैं 21 अक्तूबर को अपने जीवन के सत्तर वर्ष पूरे करने जा रहा हूं। यानी कि मैं उसी वर्ष पैदा हुआ था जिस वर्ष महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय सिंहासन पर विराजमान हुई थीं। 
याद रहे कि अपनी मृत्यु के समय महारानी केवल यू.के. की राष्ट्राध्यक्ष नहीं थीं। इसके अतिरिक्त वे ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, बहामा, जमैका, ग्रेनाडा और बेलीज़ की भी मुखिया थीं। 
बकिंघम पैलेस ने अपनी आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा, “96 वर्षीय रानी एलिज़ाबेथ का निधन उनके स्कॉटिश महल बाल्मोरल कैसल में शांतिपूर्ण स्थिति में हुआ।” यह भी बताया गया कि अब ताज प्रिंस चार्ल्स के सिर पर पहनाया जाएगा। वे चार्ल्स तृतीय कहलाएंगे। 73 साल की आयु में राजगद्दी पर बैठने वाले प्रिंस चार्ल्स सबसे अधिक उम्रदराज़ राजा कहलाएंगे।  
ब्रिटेन के इतिहास में राजगद्दी में सबसे लंबे अर्से पर बैठने वाली शख़्सियत महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय ही कहलाएंगी। 
जब एलिज़ाबेथ का राज्याभिषेक हुआ था, उस समय ब्रिटेन का साम्राज्य के रूप में 70 से अधिक देशों के क्षेत्र पर अधिकार था। भारत को भी केवल पाँच वर्ष पूर्व ही स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी। ब्रिटिश साम्राज्य का अंत बहुत तेज़ी से हुआ क्योंकि हर देश ने जल्दी से जल्दी अपने-अपने भाग्य का फ़ैसला करते हुए ब्रिटेन से स्वतंत्रता पा ली।
मिस्त्र, केन्या और अन्य देशों में क्रांतियों को कुचलने के घोर प्रयासों के बाद महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के मंत्रियों ने भी किंग जॉर्ज के नक़्शे-कदम पर चलते हुए उन देशों की स्वतंत्रता की मांग को स्वीकार करने के लिये मजबूर होना पड़ा।  
महारानी एलिज़ाबेथ ने ब्रिटेन में 15 प्रधानमंत्रियों का कार्यकाल देखा। जब महारानी ने राज गद्दी संभाली तो विंस्टन चर्चिल ब्रिटेन के प्रधानमंत्री थे। महारानी ने  एंथनी ईडन, हैरल्ड मैक्मिलन, एलेक डगलस होम, हैरॉल्ड विल्सन, टेड हीथ, जेम्स कैलेहन,, मार्ग्रेट थैचर, जॉन मेजर, टोनी ब्लेयर, गॉर्डन ब्राऊन, डेविड कैमरॉन, टेरेसा में, बॉरिस जॉन्सन और लिज़ ट्रस तक सभी प्रधानमंत्रियों को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलवाई। इस में कंज़रवेटिव और लेबर पार्टी दोनों के प्रधानमंत्री शामिल हैं। 
वहीं भारत में भी पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक सभी प्रधानमंत्रियों का कार्यकाल देखा। गिनीज वर्ल्ड ऑफ़ रिकॉर्ड के मुताबिक एलिज़ाबेथ राष्ट्रमंडल समूह के सबसे ज्यादा देशों के सिक्कों में ख़ुद की फोटो वाली महारानी भी हैं।
महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का जन्म 21 अप्रैल 1926 को लंदन, यूनाइटेड किंगडम में हुआ था और इनके पिता का नाम प्रिंस अल्बर्ट व माता का नाम बोज लियोन था। एलिजाबेथ द्वितीय का पूरा नाम एलिजाबेथ एलेग्जेंड्रा मैरी विंडसर था। इन्हें घर पर प्यार से लिलीबट नाम से पुकारा जाता था। उनकी एक बहन भी थीं जिनका नाम मार्गरेट रोज़ था। 
किंग जॉर्ज पंचम की मृत्यु के बाद एलिज़ाबेथ द्वितीय के पिता किंग जॉर्ज षष्टम राजा बने। एलिजाबेथ द्वितीय की शिक्षा महल में ही हुई, उन्हें जानवरों से बेहद प्यार था वे बचपन से ही ज्यादा समय जानवरों के साथ व्यतीत करती थी। विशेषकर वे घोड़ों और कुत्तों से प्रेम करती थीं जो जीवन भर बरकरार रहा। 
एलिज़ाबेथ के महारानी बनने की भी एक प्यारी सी कहानी है। वह अपने पति प्रिंस फ़िलिप के साथ केन्या गयी हुईं थीं। रात का समय था और वे केन्या सफ़ारी में जानवरों के साथ समय बिता रही थीं। रात को वहां रहने का कोई और स्थान नहीं था। एलिज़ाबेथ और फ़िलिप रात को एक पेड़ पर मचान में सोये। सुबह जब एलिज़ाबेथ को समाचार मिला के वह महारानी बन गई हैं, उस समय वे न तो धरती पर थीं और न ही आकाश में… बस बीच में एक पेड़ की मचान पर थीं।
ब्रिटेन की बहुत सी पीढ़ियों ने केवल एक ही इन्सान को अपने देश की राजगद्दी पर बैठे देखा है और वो हैं महारानी एलिज़ाबेथ। महारानी के धैर्य की कोई सीमा नहीं थी। उनके जीवन काल में पारिवारिक, सामाजिक और राजनीतिक उथल-पुथल का सामना उन्होंने बहुत शालीनता और धैर्य से किया।
‘डायना और प्रिंस चार्ल्स का अलग होना; डायना की मौत; चार्ल्स का कैमिला पार्कर बोल्ज़ से विवाह; प्रिंस हैरी और उसकी पत्नी मेगन मार्कल का विद्रोह’ – इन सभी स्थितियों का सामना महारानी ने पूरी परिपक्वता, धैर्य और शालीनता से किया। उन्होंने स्वयं को किसी भी प्रकार के विवाद में नहीं फंसने दिया।
एलिज़ाबेथ की अपने होने वाले पति फ़िलिप से पहली मुलाक़ात 1934 से 1937 में हुई थी। प्रिंस फ़िलिप उनके दूर के रिश्तेदार। महारानी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि 13 वर्ष की उम्र में ही उन्हें फ़िलिप से प्यार हो गया था और उन्होंने उन्हें प्रेमपत्र भी लिखने शुरू कर दिये थे। 
प्रिंस फ़िलिप एक जर्मन नागरिक थे और उन्होंने शाही नौसेना के लिये द्वितीय विश्व युद्ध में भाग भी लिया था। 20 नवंबर 1947 को तमाम विरोधों को ताक पर रखते हुए प्रिंस फ़िलिप और एलिज़ाबेथ का विवाह हो गया था। महारानी की तीन पुत्र चार्ल्स, एंड्रू और एडवर्ड हैं और एक बेटी है जिसका नाम है प्रिंसेज़ एन। 
भावुक किंग चार्ल्स तृतीय ने कहा – मेरी प्यारी मां के लिए, जब आप मेरे प्यारे स्वर्गीय पापा से मिलने के लिए अपनी अंतिम महान यात्रा शुरू कर रही हैं, तो मैं बस यह कहना चाहता हूं कि हमारे परिवार और राष्ट्र के परिवार के लिए आपके प्यार और समर्पण के लिए धन्यवाद। आपने इतने वर्षों तक इतनी लगन से सेवा की…। किंग चार्ल्स ने अपने सबसे बड़े बेटे विलियम और बहू केट को प्रिंस और प्रिंसेस ऑफ वेल्स भी घोषित किया।
आम तौर पर राजा की पत्नी को रानी कहा जाता है। मगर प्रिंस चार्ल्स और कैमिला पार्कर का मामला थोड़ा पेचीदा है। हालात को ध्यान में रखते हुए महारानी एलिज़ाबेथ ने कैमिला को ‘पटरानी – Queen Consort’ का दर्जा दिया ‘रानी – Queen’ का नहीं। मगर उन्होंने इस बात की अनुमति भी दे दी कि जब चार्ल्स को राजा घोषित किया जाए तो मंच पर कैमिला और प्रिंस विलियम गवाह के तौर पर हस्ताक्षर कर सकें। 
ब्रिटेन की वर्तमान प्रधानमंत्री लिज़ा ट्रस ने कहा कि महारानी की मृत्यु देश और दुनिया के लिए बहुत बड़ा सदमा है। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय वह शिला थीं जिस पर आज का ब्रिटेन का निर्माण हुआ है… उनके शासन-काल में हमारा देश विकसित हुआ और फला-फूला है।
महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा कि महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को हमारे समय की एक दिग्गज के रूप याद किया जाएगा। उन्होंने सार्वजनिक जीवन में गरिमा और शालीनता का परिचय दिया। उनके निधन से आहत हूं… इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और ब्रिटेन के लोगों के साथ हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने महारानी के साथ वाली अपनी मुलाकात का भी जिक्र किया। मोदी ने लिखा कि 2015 और 2018 में यूके की अपनी यात्राओं के दौरान मेरी महारानी एलिजाबेथ -2 के साथ यादगार मुलाकातें हुईं। मैं उनकी गर्मजोशी और दयालुता को नहीं भूलूंगा। एक बैठक के दौरान उन्होंने मुझे वह रूमाल भी दिखाया जो महात्मा गांधी ने उनकी शादी में उपहार में दिया था।
महारानी का अंतिम संस्कार संभवतः 19 सितम्बर को होगा और उसमें विश्व के बड़े नेताओं के शामिल होने की संभावना है। उस दिन ब्रिटेन में अवकाश घोषित कर दिया गया है। उनके जाने से हर व्यक्ति को कुछ ऐसा महसूस हो रहा है जैसे उनके अपने परिवार का कोई सदस्य संसार छोड़ गया है।  
लेखक वरिष्ठ साहित्यकार, कथा यूके के महासचिव और पुरवाई के संपादक हैं. लंदन में रहते हैं.

26 टिप्पणी

  1. ज्ञानवर्धक संपादकीय की परंपरा का एक और ज्ञानवर्धक संपादकीय पढ़ने को मिला, हार्दिक आभार।

  2. You summed up the life of Queen Elizabeth and her qualities of geniality and sagacity so well.
    She was always politically correct when she met/dealt with political leaders and problems of her own country or those of others;showing no sign of personal rancour or agreeableness .
    Her forbearance of all ups n downs that took place in her own life and in those of her family members also fetches our admiration.
    Thank you for providing us with such a detailed chart of her life as a Queen.
    Regards.
    Deepak Sharma

  3. श्रद्धांजलि सुमन समोए सुंदर सम्पादकीय! रानी के जीवन की अहम जानकारियाँ देता हुआ।

  4. आम आदमी का महारानी के प्रति आदर और प्रेम उनकी लोकप्रियता को दर्शाता है ,उनके शासनकाल के हर लम्हे को वर्णित करती हुई सम्पादकीय हेतु साधुवाद ,महारानी को श्रद्धांजलि
    Dr Prabha mishra

    • धन्यवाद प्रभा जी। आप तो आजकल स्वयं लन्दन में हैं और सभी समाचार फ़ॉलो कर रही होंगी।

  5. पिछले अठारह वर्ष में लगभग हर वर्ष ६ महीने ब्रिटेन में रहने के कारण वहाँ की हर तरह की सूचना मिलने की प्रतीक्षा रहती है.
    आपसे ही फेसबुक पर यह सूचना मिली.रानी के बारे में जानकारी के लिये आभार.
    दुखद!
    भावभीनी श्रद्धांजलि!
    शील निगम

  6. आदरणीय तेजेन्द्र जी,
    बहुत ही सुंदर सम्पादकीय गढ़ा गया है। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय जी की इतनी खूबसूरत और वृस्तित जानकारी पढ़ने मिली इसके लिए आपका आभार। आपकी सरल शब्दशैली लेख को अलंकृत कर रही है। महारानी एलिजाबेथ को श्रद्धासुमन अर्पित करते है। आपको शुभकामनाएं ।

  7. Windsor castle मेरे घर से बस 3 मील की दूरी पर है। कल उस तरफ़ से गुज़रा तो श्रद्धांजलि देनेवालों की उमड़ी भीड़ देख कर आश्चर्य हुआ। इतनी मॉडर्न प्रजा भी रानी से इतना प्यार करती है। अद्भुत है यह सब।

  8. रानी एलिज़ाबेथ द्वितीय और ब्रिटेन के राजघराने से सम्बन्धित विस्तृत जानकारी आपके सम्पादकीय से प्राप्त हुई। रानी इतनी लोकप्रिय रहीं, यह बात उनके जीवनकाल को सार्थक बनाती है।

  9. लोकप्रिय शख़्सियत की मालकिन महारानी एलिज़ाबेथ के विषय में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराने के लिए आपका शुक्रिया। हमारी विनम्र श्रद्धांजलि ।

  10. भावभीनी श्रद्धांजलि,आज तो आपके संपादकीय ने भाव विभोर कर दिया। जितना पढ़ते जा रहे थे उतनी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी। बहुत ही गहराई से और दिल से लिखा आपने। आज शब्द अपने आप बोल रहे थे। साधुवाद सर
    इतनी विस्तृत जानकारी के लिए ।

  11. मैं रिपब्लिकन हूं। ऑस्ट्रेलिया को मोनार्की से छुटकारा चाहता हूं। मेरी नजर में ईश्वर पर हम जो कुछ थोपना चाहते हैं थोप देते हैं उसी प्रकार रानी पर भी अपनी मर्जी से विरोधी गुण थोप देते हैं। उसका पद जन्म के संयोग से मिला। योग्यता के आधार पर नहीं। जो ऑस्ट्रेलिया की नागरिक भी नही वह रानी या राजा बन कर राष्ट्र प्रमुख कहलाती है। पर यह मानना पड़ेगा कि अंग्रेजो के भारत पर दमनकारी शासन में रानी या राजा का हाथ नही होता। वे केवल ऐसे शासन की प्रतिनिधि होती हैं।

  12. जानकारियों से भरपूर बेहतरीन संपादकीय के लिए साधुवाद !
    जब हमारा देश दासता की यंत्रणा झेल रहा था,तब भी वे ब्रिटेन की महारानी थीं और आज जब विश्व के शक्तिशाली देशों में अपनी गणना करवा रहा है, वे उसे भी देख गयीं ।

    ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें!
    विनम्र श्रद्धांजलि

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