1. शाम कई शाम रह जाती है अधूरी सी वक़्त जब नहीं ठहर पाता तुम्हारे पास तुम बेचैन सी दिखती हो मुस्कुराने की नाकाम कोशिशों में मैं थाम लेता हूं खुद को तुम्हारे थोड़ा और करीब चाहता हूं तुम थोड़ी देर और रुक जाओ मेरे साथ कुछ और पलों के साथ के लिए नीला आसमान अब कुछ रंग बदलने लगता है ठीक उस तरह जिस तरह तुम मुस्कुराती हुई गुमसुम हो जाती हो कुछ बूंदें तुमपर आ गिरती है जिससे तुम भी थोड़ी खिल जाती हो बूंदों में लिपटी सौंधी महक सी मैं फिर भी गुम हो जाता हूँ तुम्हारे अंदर के कई सवालों में चाहता हूं पूरा कर लेना उस शाम को जो अक्सर अधूरी ही रह जाती है
2.वीरान शहर
तुम्हारे जाने के बाद शहर कुछ वीरान हो जाता है किसी पुराने से घाट पर अकेले लौट आने पर चहचहाना थम जाता है उन पंछियों का मानो उन्हें भी एहसास हो गया हो तुम्हारे दूर हो जाने का लहरें वापस लौट गई होती है सिर्फ निशान छोड़ कर उन ऊंचे पत्थरों पर ताकि फिर कुछ नया लिख सको उनपर तुम चमकता हुआ आसमान काला पड़ जाता है और फिर ज़ोर से बरसने लगता है ताकि तुम्हारे साथ होने का एहसास बना रहे कुछ देर और तुम्हारी मुस्कुराती हुई आवाज़ अचानक ही सुन लेता हूँ इस शोर में क्योंकि दूर होने के बाद भी एहसास तुम मेरे साथ ही छोड़ दिया करती हो
3. उम्मीद
शाम के एक भीड़ भरी सड़क पर शोर नहीं होता होती है एक उम्मीद उम्मीद तुम्हारे लौट आने की तुम्हारे साथ होने के लिए वक़्त को साथ रोक लिया है वो वक़्त जिसमें तुम्हारी खिलखिलाहट कैद है मेरे लिए सुकून का मतलब तुम्हारी आवाज़ होती है जिस आवाज़ में तुम चाँद के निकल आने पर कुछ देर और बैठ जाने को कहती हो मैंने ठहर जाना तुम्हारी आँखों से सीखा है जो अनगिनत चीज़ों पर ठहर जाती है वैसे ही जैसे किसी घाट के किनारे पर थकान के बाद एक नाव ठहर जाती है
4. अनसुनी कहानियाँ
मैं चाहता हूँ तुमको थाम लेना किसी सुनसान से घाट पर सुनना चाहता हूँ तुम्हारी अनसुनी कहानियाँ तुमको मुस्कुराते देखने का सुख सुखी ज़मीन पर बरसती बूंद सा लगता है तुम्हारे साथ बीत जाने वाला हर पल समुद्र किनारे बैठ डूबते सूरज को देखने जैसा होता है बिना तुम्हारे भी किसी घाट पर अकेलापन नहीं होता उन सीढ़ियों के निशान भी अपने से लगते है जहां तुम न जाने कितनी बार बातें कुरेद दिया करती थी और कुछ देर और ठहर जाना चाहती थी मैं हमेशा तुमको एक नई सी किताब सा देखता हूँ जिसको पढ़ते हुए मैं एक किरदार सा बन जाता हूँ जो उस किताब का बस हिस्सा बन रह जाता है क्योंकि मेरे लिए तुम्हारा साथ होना ही सबकुछ है
5. किरदार
जब भी देखता हूँ तुमको सोचने लगता हूँ उस शाम के बारे में जब तुम खामोश सी होती हो तुम गुम रहती हो उस रेत की तरह जो आज भी नदी के नीचे है जिसको देखते है हम पानी के लौट जाने पर लेकिन उसको थाम लेना आज भी मुश्किल है न जाने क्यूँ मैं तुमको चुपके से क़ैद कर लेना चाहता हूँ तुम्हारी उदासी को तुम्हारे साथ के खामोश लम्हों को और उन पलों को जब इन सब के बाद भी तुम मुस्कुराती हो तुम किरदार होती हो मेरे किसी आधे पढ़े किताब की जिसका कोना मुड़ा हुआ है इतने सालों के बाद भी पलटना चाहता हूं मैं उसे आज भी लेकिन सोचता हूँ साथ कुछ देर और बिता लूं