Saturday, July 27, 2024
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शुभ्रा ओझा की हास्य-कविता – वैक्सीन और उम्र

वैक्सिनेशन को लेकर
है बहुत मारा- मारी
मेरा नंबर क्यों आ नहीं रहा ?
कोई तो बतलाओ भाई,
अमेरिका का तो यही हाल
पचास से नीचे वाले
कर रहे…
अपनी बारी का इंतजार।
लेकिन…भारत में पैंतालीस से ऊपर वालों को
लगने लगा है वैक्सीन,
तो हमने भी पूछ लिया
अपनी बड़ी ननद से
“आपने लगवाया या नहीं वैक्सीन”
हँसने लगी वो मेरी बात सुनकर
फिर मुझसे बोली –
“अभी हमारी उमर ही है बस तीस
ये अलग बात है दिखते है सिर्फ बीस।”
यह सुनते जीजा जी भी आ धमके
फिर हम से बोले-
“आप दोनों मोहतरमा जरा इधर भी ध्यान फरमाएं
मुझे देख कोई मेरी भी उमर बताएं
बीस दिखने वाली के साथ
मैंने शादी के अठाईस बरस बिताए
तो जरा कोई… मेरी भी उमर बताए।”
सुन जीजा की बात दीदी झुंझलाई,
कट कर दिया फ़ोन उन्होंने
और मैं मंद ही मंद मुसकाई।
इस किस्से के साथ
आप सभी से कहनी है इक बात
उमर को वैक्सीन से ना जोड़े
अगर मिल रहा हो मौका
तो वैक्सीन जाकर जरूर ले लें।
शुभ्रा ओझा
शुभ्रा ओझा
रूट्स टू हिन्दी की संचालिका। कविता, कहानी और संस्मरण आदि विधाओं में सृजन। विभिन्न पत्र - पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। संपर्क - [email protected]
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