Saturday, July 27, 2024
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कमलेश भट्ट कमल के कुछ हाइकु

हर जगह
वुहान ही वुहान
हे भगवान !

दोनों बड़े हैं
कोबिड व गोविन्द
दोनों अड़े हैं !

कोरोना काल
दुखान्त फिल्म का शो
विश्व-मंच पे !

क्यों रे विहान
बना डाले तूने क्यों
इतने वुहान ?

हो चली है क्यों
कोरोना कालरात्रि
इतनी लम्बी ?

रुकें,न रुकें
कोरोना के बाद भी
जग के आँसू !

दयानिधान
कहाँ है तेरी दया
खोजे जहान !

इतने शव
देखे हैं क्या पहले
तूने केशव ?

थू है विहान
तेरी मुट्ठी में भी क्यों
सिर्फ़ वुहान ?

लहूलुहान                      
डॉलर यूरो रूबल
पौंड युवान !

कैसा तांडव
आंँखों ने देखे बस
शव ही शव !

जीतने तक
हार जाएगा सारा
जग बेचारा !

हाथ धोना है
वर्ना जीवन से ही
हाथ धोना है !

कोरोना क्रुद्ध
भूमिगत हैं सारे
देव प्रबुद्ध !

शिकार पर
निकला है कोरोना
कोई रोको ना !

ये भी होना है
कोरोना के बाद भी
भोर होना है !

यदा यदा हि..
तूने कहा था कृष्णा
याद तो है ना ?

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